Jharkhand news: गुमला शहर से समाहरणालय (Collectorate) को हटाया जायेगा. शहर से तीन किमी दूर चंदाली स्थित सरकारी भूखंड पर नया समाहरणालय भवन बनेगा. इसके लिए झारखंड सरकार ने प्रशासनिक स्वीकृति दे दी है. नये समाहरणालय भवन बनाने में 50 करोड़ 77 लाख 68 हजार रुपये खर्च होंगे.
बता दें कि समाहरणालय भवन वर्ष 2019 में कंडम घोषित कर दिया गया था. क्योंकि पुराने समाहरणालय भवन की छत टूटकर गिर रही है. पीलर व छत का छड़ दिखने लगा है. कई बार बड़ा हादसा टल गया है. प्रभात खबर ने मामले को उठाते हुए खबर प्रकाशित की. साथ ही नया समाहरणालय भवन बनाने की मांग का मुद्दा भी उठाया. इधर, गुमला विधानसभा के झामुमो विधायक भूषण तिर्की ने भी समाहरणालय भवन की स्थिति को देखते हुए इसे नये सिरे से बनाने की मांग सरकार से की थी. विधायक ने सीएम से मुलाकात कर कहा था कि अगर समाहरणालय भवन को नहीं बनाया गया तो कभी भी बड़े हादसे हो सकते हैं. इसके बाद हेमंत सोरेन सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया और नया समाहरणालय भवन बनाने की प्रशासनिक स्वीकृति दी है.
गुमला विधायक भूषण तिर्की ने कहा है कि गुमला में कई सरकारी भवनों को कंडम (जर्जर) घोषित कर दिया गया है. क्योंकि अब ये भवन ज्यादा दिन तक अपने पैरों में खड़ा नहीं रह सकता है. भवनों के छड़ सड़ गया है. प्लास्टर भी टूट रहा है. कंडम घोषित भवनों से कभी भी हादसा हो सकता है. खासकर वर्ष 1984 से लेकर 1990 तक में बने अधिकांश सरकारी भवन जर्जर हो गया है. जहां कभी भी हादसा हो सकता है.
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विधायक श्री तिर्की ने कहा कि इस कारण भवन प्रमंडल विभाग, गुमला ने इन भवनों को कंडम घोषित कर सरकार को पत्र लिखा है. यहां तक कि समाहरणालय भवन को भी कंडम घोषित कर दिया गया था. भवन की जो स्थिति है. यह ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकती है. भवन का प्लास्टर टूटकर गिर रहा है. पीलर व छत में लगाया गया लोहे का छड़ भी सड़ गया है. छत से कई स्थानों पर पानी टपकता है. फिलहाल में समाहरणालय के शौचालय को किसी प्रकार लोहा के पाइप से टेक कर रखा गया है. मेरे पास समाहरणालय का मुददा आया था. तब मैंने सरकार से इसे बनाने की मांग किया था. सरकार ने इसकी स्वीकृति दे दी है. जल्द नये भवन का निर्माण कार्य होगा.
वर्ष 1990 में बने समाहरणालय भवन में डीसी, एसपी, अपर समाहर्ता, एलआरडीसी, डीएसपी, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, पंचायती राज पदाधिकारी, नजारत, सामाजिक सुरक्षा विभाग सहित कई विभाग संचालित हो रहे थे. लेकिन, जब भवन टूटकर गिरने लगा और हादसे होने लगे, तो सभी विभाग ने वहां से अपना कार्यालय हटा दिया. खाली पड़े सरकारी भवनों में अभी डीसी, एसपी सहित अन्य कार्यालय संचालित है. हालांकि अभी भी उत्पाद विभाग सहित कई विभाग के पदाधिकारियों का कार्यालय जर्जर समाहरणालय में ही संचालित हो रहा है. यहां तक कि झारनेट, प्रेस कॉफ्रेंस हॉल व अन्य विभाग के कमरे समाहरणालय भवन में है.
समाहरणालय स्थित डीएसपी कार्यालय के छत का प्लास्टर टूटकर गिर गया था. उस समय निवर्तमान डीएसपी इंद्रमणि चौधरी घायल हुए थे. वहीं छत के ऊपर से पानी कार्यालयों में टपकता था. पानी के रिसाव से सरकारी दस्तावेज खराब हो रहा था. इस समस्या को देखते हुए छत में अलबेस्टस लगाया गया था. जिससे कुछ हद तक पानी रिसाव कम हुआ था. यहां तक कि समाहरणालय के प्रवेश द्वार में पोर्टिको था जो टूटकर गिर गया था. जिसे बाद में तोड़कर नये सिरे से पोर्टिको बनाया गया है.
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16 मई, 1987 को समाहरणालय भवन का शिलान्यास बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दूबे ने किये थे. वहीं, 26 जनवरी 1990 को इसका उद्घाटन उस समय के बिहार के मुख्यमंत्री डॉ जगरनाथ मिश्र ने किये थे.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.