Jharkhand News (दुर्जय पासवान, गुमला) : झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत फोरी गांव निवासी फुचा महली (60 वर्ष) 30 साल बाद शुक्रवार (6 सितंबर, 2021) को अपने परिवार से मिला. वह 30 वर्षों से अंडमान-निकोबार में फंसा हुआ था. प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद झारखंड की हेमंत सरकार हरकत में आयी. इसके बाद फुचा महली को अंडमान-निकोबार से शुक्रवार को झारखंड लाया गया.
मुख्यमंत्री श्री @HemantSorenJMM से गुमला के बिशुनपुर निवासी फुचा राम ने मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों के प्रति उनकी संवेदनशीलता की वजह से ही वे 35 वर्ष बाद वे अपने घर लौट सके 1/2 pic.twitter.com/tBsODDeTl7
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) September 3, 2021
रांची पहुंचने के बाद CM हेमंत सोरेन से फुचा महली व उसके परिवार के लोग मिले. फुचा महली ने सरकार का आभार प्रकट किया. जिनकी पहल से उसे 30 वर्ष बाद अंडमान-निकोबार से वापस लाया गया. उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के प्रति राज्य सरकार की संवेदनशीलता की वजह से ही 30 वर्ष बाद अपने परिजनों से मिल पाये.
इधर, अपने परिवार से मिलने की बेचैनी फुचा की उस वक्त खत्म हो गयी, जब वो परिवार को अपने पास देखा. परिवार को देखते ही उनके आंखों में आंसू आ गये. वहीं, पत्नी लुंदी देवी अपने पति को देखकर उसके पैर छूयी. इसके बाद पैर धोकर फुचा महली का गृह प्रवेश कराया गया. बेटा रंथु महली और सिकंदर महली भी 30 वर्ष बाद अपने बेटे को देखकर भावुक हो गये और पिता से लिपट गये. गांव के लोग भी फुचा महली को देखने के लिए उमड़ पड़े.
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गुमला के श्रम अधीक्षक एतवारी महतो ने बताया कि प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद मिशन बदलाव, गुमला के सदस्य आकर मिले थे. लिखित आवेदन सौंपकर फुचा महली को अंडमान-निकोबार से वापस लाने की मांग की थी. इस मामले को प्रवासी नियंत्रण कक्ष में दर्ज किया गया. प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने शुभ संदेश फाउंडेशन से संपर्क किया और फुचा महली को अंडमान-निकोबार से लाने की जिम्मेवारी सौंपी. इसके बाद अंडमान निकोबार के उत्तर नोर्थ के डीसी से संपर्क की फुचा महली के एड्रेस की जांच करायी गयी. फिर शुभ संदेश फाउंडेशन के लोग अंडमान-निकोबार जाकर फुचा महली को शुक्रवार को लेकर रांची पहुंचे हैं.
बेटा सिकंदर महली ने बताया कि मेरे पिता फुचा महली के रांची पहुंचने पर भाई रंथु महली व चाची सुकमनिया महली रांची गयी थी. वे लोग रांची से लेकर मेरे पिता को गांव पहुंचे. 30 वर्ष बाद पिता को देखा. उन्हें छूआ. सिकंदर ने कहा कि मेरे पिता जब 30 वर्ष के थे. तभी वे रोजी-रोजगार की तलाश में अंडमान-निकोबार चले गये थे. अंडमान पहुंचने के बाद उन्हें आश्रय व खाने के लिए भोजन तो मिला, लेकिन मेहताना नहीं दिया गया. इसके बाद वे एक घर में माली का काम करने लगे. जहां उन्हें सिर्फ तीन वक्त का खाना व रहने के लिए एक कमरा मिला था. फुचा गुमला अपने परिवार के पास आना चाहते थे, लेकिन उनके पास पैसा नहीं था. लेकिन, राज्य सरकार और प्रभात खबर की पहल के बाद आज मेरे पिता वापस गांव आ पाये हैं
इधर, फुचा महली की पत्नी लुंदी देवी (58 वर्ष) 30 साल से अपने पति का इंतजार कर रही थी. 30 साल बाद अपने पति को देखकर उसके आंखों में आंसू आ गया. वह अपने पति को कुछ पल तक निहारती रही. वहीं, राज्य सरकार और प्रभात खबर की पहल को उन्होंने भी सराहा.
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रिश्तेदार सरोज कुमार महली ने प्रभात खबर को धन्यवाद दिया है. उनका कहना था कि लेखनी के दम पर ही सरकार गंभीर हुई. जिसके बाद फुचा महली को वापस झारखंड लाया गया. उन्होंने बताया कि गत 2 जुलाई को फुचा महली के अंडमान-निकोबार में फंसे होने की जानकारी प्रभात खबर को दिया गया. जिसके बाद प्रभात खबर ने खबर प्रकाशित किया और जिसका असर हुआ. आज फुचा महली अपने गांव पहुंच गये हैं.
Posted By : Samir Ranjan.