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Prabhat Khabar Special: गुमला में मड़ुआ से कुपोषण और आर्थिक तंगी दूर करने की पहल, 8600 एकड़ में हुई खेती

रागी मिशन के तहत गुमला में मडुआ की खेती पर विशेष जोर दिया जा रहा है. वहीं, कुपोषणमुक्त जिला बनाने की पहल भी की जा रही है. इस साल जिले के 8600 एकड़ में खेती हुई. मड़ुआ उत्पादन में यह जिला झारखंड में टॉप पर है.

Prabhat Khabar Special: गुमला जिला में मड़ुआ को एक नया आयाम दिया जा रहा है. इसके तहत न केवल जिले में मड़ुआ उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है, बल्कि इससे कुपोषणमुक्त जिला बनाने का पहल भी किया गया है. जिला प्रशासन ने पहली बार रागी मिशन (Ragi Mission) के तहत यह प्रयास किया है, ताकि इसकी खेती कर किसान आर्थिक रूप से मजबूत बनें. साथ ही जिले से कुपोषण की समस्या को खत्म किया जा सके. जिसमें प्रथम चरण में ही बड़ी सफलता हाथ लगी है.

इस साल 8600 एकड़ जमीन पर हुई खेती

पिछले साल तक जिले में मड़ुआ की लगभग चार हजार एकड़ भूमि पर खेती हुई थी, लेकिन रागी मिशन के तहत इस साल लगभग 8600 एकड़ भूमि पर खेती हुई है. मड़ुआ उत्पादन में गुमला जिला पूरे झारखंड राज्य में टॉप पर है. बता दें कि यह एक खरीफ फसल है. गुमला जिला में हर साल लगभग चार हजार एकड़ भूमि पर इसकी खेती होती रही है, लेकिन इस साल इस फसल को रागी मिशन से जोड़ा गया. इसके तहत किसानों को अधिकाधिक मड़ुआ की खेती करने के लिए प्रेरित किया गया.

किसानों को मड़ुआ बीज उपलब्ध

साथ ही कृषि विभाग द्वारा मड़ुआ उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस साल पहली बार लैंपसों के माध्यम से किसानों को अनुदान पर मड़ुआ बीज भी मुहैया कराया गया. जिसका नतीजा यह हुआ कि जो फसल जिले भर में मात्र चार हजार एकड़ भूमि तक ही सीमित थी. उसका प्रसार हुआ और इस साल दोगुणा से भी अधिक 8600 एकड़ भूमि पर इसकी खेती हुई. जिससे लगभग 4500 मिट्रिक टन उत्पादन हुआ है. अब प्रशासन किसानों द्वारा उत्पादित मड़ुआ को कलस्टर स्तर पर खरीदारी करा रहा है. लगभग 200 मिट्रिक टन की खरीदारी हो चुका है, जबकि शेष की खरीदारी जारी है.

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आयरन, कैल्सियम व फाईबर जैसे पोषक तत्वों से दूर होगी कुपोषण की समस्या

जिला प्रशासन ने मड़ुआ से गुमला जिला को कुपोषणमुक्त करने की योजना बनायी है. कुपोषण इस जिले के लिए एक बड़ी समस्या है. जिले में काफी संख्या में बच्चे एवं महिलाएं कुपोषण का शिकार हैं. इसके उत्पादन को बढ़ावा देने का उद्देश्य है कि इसमें आयरन, कैल्सियम और फाईबर प्रचुर मात्रा में रहता है. इन तीनों पोषक तत्वों से कुपोषण की समस्या को दूर किया जा सकता है. किसानों द्वारा उत्पादित मड़ुआ का प्रोसेसिंग कर आटा बनाया जायेगा. उक्त आटा को आंगनबाड़ी केंद्रों को मुहैया कराया जायेगा. जिसे आंगनबाड़ी में अपने वाले बच्चों को भोजन के रूप में मुहैया कराया जायेगा. विशेष रूप से बच्चों को मड़ुआ से बना लड्डू दिया जायेगा. जिला प्रशासन ने इससे बनने वाले लड्डू को पोषण लड्डू नाम दिया है. बच्चों के साथ ही गर्भवती माताओं को भी पोषक आहार के रूप में मड़ुआ का आटा मुहैया कराया जायेगा.

मड़ुआ के लिए प्रोसेसिंग मशीन लगाने का चल रहा काम

मड़ुआ की प्रोसेसिंग के लिए गुमला में प्रोसेसिंग मशीन लगाने का कार्य चल रहा है. बाजार समिति गुमला में प्रोसेसिंग मशीन लगाया जायेगा. अभी बाजार समिति के जिस भवन में प्रोसेसिंग मशीन को लगाया जायेगा. उस भवन का मरम्मती, रंगरोदन, बिजली, पानी आदि का काम चल रहा है. डीसी गुमला सुशांत गौरव ने भी बाजार समिति में रागी के प्रोसेसिंग मशीन के अधिष्ठापन से पूर्व वहां की आवश्यक सुविधाओं को दुरुस्त कर लेने का निर्देश दिया है. साथ ही मड़ुवा की खरीदारी अथवा मार्केटिंग करने के लिए आगे आने वाले संस्था, संगठन व कंपनी का स्वागत किया है.

रागी मिशन सफल रहा, तो उरद और बादाम के लिए भी योजना बनेगी

जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि मड़ुआ में लागत, मेहनत और पानी कम है, लेकिन आमदनी ज्यादा है. इस साल दोगुणा से भी अधिक मड़ुवा का उत्पादन हुआ है. अब इसकी प्रोसेसिंग की तैयारी चल रही है. बाजार में इसकी मांग रही, तो आने वाले साल में बृहत रूप से योजना बनाकर मड़ुआ का उत्पादन किया जायेगा. इसके साथ ही उरद व बादाम जैसे फसलों के प्रोसेसिंग जैसी योजना बनायी जायेगी. ताकि किसानों को अधिक से अधिक आर्थिक लाभ हो और इन फसलों में गुमला जिला की आत्मनिर्भरता भी बढ़े.

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रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान, गुमला.

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