नयी पेंशन प्रणाली की जगह पुरानी पेंशन लागू कराने की मांग को लेकर गुमला में रविवार को काफी संख्या में शिक्षक व कर्मचारी गोलबंद हुए. शिक्षक व कर्मचारियों ने पेंशन चेतना यात्रा निकाली. नेशनल मूवमेंट फ़ॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के बैनरतले हजारों की संख्या में विभिन्न विभागों के कर्मचारी व शिक्षक परमवीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम में जुटे.
जहां सभी ने अपने हाथों में ओपीएस समर्थित तख्तियां व बैनर लिए जुलूस की शक्ल में नगर के जशपुर रोड, मेन रोड, टावर चौक तथा डीएसपी रोड का परिभ्रमण करते हुए मुरली बगीचा स्थित माध्यमिक शिक्षक संघ भवन पहुंचकर सभा में तब्दील हो गयी. संघ भवन के हॉल में संयोजक सुमित कुमार नंद ने नेशनल पेंशन सिस्टम की खामियां व ओल्ड पेंशन स्कीम की खूबियां गिनाते हुए कहा कि वर्ष 2004 के बाद सरकारी नौकरियों में आये कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद दी जाने वाली पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया.
पुरानी पेंशन व्यवस्था में कर्मचारी के रिटायरमेंट की तिथि के अंतिम वेतन के आधार पर गारंटीड पेंशन व उसपर महंगाई राहत प्रावधानित था. जबकि उसके स्थान पर नयी अंशदायी पेंशन व्यवस्था को लागू किया गया जो कि पूरी तरह से शेयर बाजार पर आधारित व कर्मचारी विरोधी है. इसको लेकर शिक्षक कर्मचारियों व अधिकारियों में भारी आक्रोश है.
नेशनल मूवमेंट फ़ॉर ओल्ड पेंशन स्कीम वर्ष 2018 से ही अनवरत ओपीएस के पक्ष में आवाज बुलंद कर रहा है. संगठन के संघर्षों की ही देन है कि पूर्व के 10 प्रतिशत की बजाय एनपीएस में सरकारी अंशदान बढ़ाकर 14 फ़ीसदी किया गया है. ग्रेच्युटी व पारिवारिक पेंशन की व्यवस्था भी पुनर्बहाल हुई है.
किंतु ओल्ड पेंशन जैसे अहम मसले पर अब तक हमलोग कामयाब नहीं हो पाये हैं. वह भी तब, जबकि वर्तमान झामुमो की हेमंत सरकार ने चुनाव पूर्व अपने घोषणापत्र में ओपीएस बहाल करने की बाबत स्पष्ट रूप से संकल्प व्यक्त किया था. यदि सरकार ने एनपीएस को नेस्तनाबूद कर शीघ्र ओपीएस बहाल करने का निर्णय नहीं लिया, तो रांची में बड़ी लड़ाई लड़ने को हम बाध्य होंगे. मौके पर शिक्षक नेता विजय बहादुर सिंह, निरंजन कुमार, जीवन नाथ तिवारी, मंगलेश्वर, प्राण गोविंद दत्ता हरेंद्र कुमार, शुभम रॉय, शिल्पी कुमारी, अजय वर्मा, ब्रजेश आनंद, प्रवीण ओहदार, चंद्रभूषण साहू, बालकृष्ण सहित कई शिक्षक मौजूद थे.