Jharkhand News: कल तक जो बच्चे गांव में भटकते रहते थे. खेलते-कूदते थे. बेवजह समय व्यतीत कर रहे थे. अब वे बच्चे क, ख, ग और ए, बी, सी बोलने लगे हैं. गिनती भी बोल लेते हैं. हम बात कर रहे हैं गुमला से 18 किमी दूर फोरी पंचायत के भंडरिया डाड़टोली गांव की. केओ कॉलेज गुमला की पार्ट वन की छात्रा रेखा उरांव गांव के 33 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही है. उन्होंने बच्चों को नि:शुल्क कॉपी, पेंसिल उपलब्ध करायी है. हर दिन दो घंटे रेखा अपने घर पर बच्चों को पढ़ाती है. रेखा की इस पहल से गांव में शिक्षा के प्रति जागरूकता भी आ रही है. जिनके बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. माता-पिता उन बच्चों को रेखा उरांव के घर पढ़ने के लिए भेजते हैं. इनके पति छोटू उरांव हैं. ये मजदूरी कर अपनी पत्नी को पढ़ा रहे हैं.
ऐसे शुरू हुई नि:शुल्क पाठशाला
भंडरिया डाड़टोली में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है. यहां 80 घर है. हर घर में बच्चे हैं. इसमें छह साल से ऊपर के कुछ बच्चे तीन किमी पैदल चलकर फोरी स्कूल पढ़ने जाते हैं, परंतु जो बच्चे छह साल से कम हैं. वे गांव में घूमते-फिरते रहते हैं. बच्चों के दिनभर घर पर रहने से माता-पिता को खेत-खलिहान में काम करने में परेशानी आती है. गांव में आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है, जहां ये बच्चे पढ़ाई कर सके. यह क्षेत्र दुर्गम होने के अलावा विकास से भी दूर है. बच्चे गलत रास्ता अपना न लें. इसलिए रेखा ने अपने ही घर में नि:शुल्क पाठशाला खोल ली और 33 बच्चों को पढ़ाने लगी. बच्चे हर दिन पढ़ाई करने रेखा के घर पहुंचते हैं.
रेखा उरांव के पति राजमिस्त्री हैं
गांव में टीचर के नाम से प्रसिद्ध रेखा उरांव गरीब परिवार से आती है. उसके पति छोटू उरांव राजमिस्त्री हैं. छोटू खुद मजदूरी कर अपनी पत्नी को पढ़ा रहे हैं, परंतु गांव के बच्चों को अनपढ़ बनते देख रेखा उरांव के कहने पर छोटू उरांव गांव के हर घर में जाकर बच्चों को पढ़ने के लिए भेजने की अपील की. इसके बाद से नि:शुल्क पाठशाला एक साल पहले शुरू हुई, जो अबतक जारी है.
आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की मांग
बच्चों की शिक्षा के लिए गंभीर रेखा उरांव व छोटू उरांव सहित ग्रामीणों ने गुमला उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा है. जिसमें भंडरिया डाड़टोली में एक आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की मांग की है, ताकि पांच साल तक के बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर सकें. इन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र के लिए जमीन भी उपलब्ध कराने की बात कही है.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला