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जारी गांव में आज भी उपेक्षित है शहीद अलबर्ट एक्का का समाधि स्थल, भूल गयी सरकार

Jharkhand news, Gumla news : शहीदों के मजारों पर जुड़ेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा. यह कथन परमवीर चक्र विजेता एवं जारी गांव के वीर सपूत शहीद अलबर्ट एक्का पर सटीक बैठता है. शहीद अलबर्ट एक्का वर्ष 1971 के भारत- पाक युद्ध में शहीद हुए थे. शहादत दिवस 3 दिसंबर को है. जिस देश एवं देश की सेना को शहीद अलबर्ट एक्का पर गर्व है. आज उस शहीद के समाधि स्थल उपेक्षित है, जबकि 5 साल पहले सरकार ने शहीद के समाधि स्थल को सौंदर्यीकरण और चहारदीवारी करने की घोषणा की थी. लेकिन, सरकार घोषणा कर भूल गयी.

Jharkhand news, Gumla news : गुमला (दुर्जय पासवान) : शहीदों के मजारों पर जुड़ेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा. यह कथन परमवीर चक्र विजेता एवं जारी गांव के वीर सपूत शहीद अलबर्ट एक्का पर सटीक बैठता है. शहीद अलबर्ट एक्का वर्ष 1971 के भारत- पाक युद्ध में शहीद हुए थे. शहादत दिवस 3 दिसंबर को है. जिस देश एवं देश की सेना को शहीद अलबर्ट एक्का पर गर्व है. आज उस शहीद के समाधि स्थल उपेक्षित है, जबकि 5 साल पहले सरकार ने शहीद के समाधि स्थल को सौंदर्यीकरण और चहारदीवारी करने की घोषणा की थी. लेकिन, सरकार घोषणा कर भूल गयी.

इसका परिणाम है कि जारी गांव स्थित शहीद के समाधि स्थल के आसपास झाड़ियां और घास उग गये हैं. समाधि स्थल में प्रवेश द्वार भी नहीं है जबकि शहीद के परिजन वर्षों से समाधि स्थल के सौंदर्यीकरण और चहारदीवारी बनाने की मांग करते आ रहे हैं. पूर्व के उपायुक्तों ने भी समाधि स्थल को सुंदर करने की पहल नहीं की. निजी सहयोग से समाधि स्थल पर मार्बल लगाया गया है, लेकिन वो भी ठीक से नहीं लगा है. इससे समाधि स्थल पर चीटियों का डेरा हो गया है. शीलापट्ट भी अब जीर्णशीर्ण अवस्था में हो गया है.

अस्पताल एवं कॉलेज नहीं, सड़कें टूटी

परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का के नाम से बने जारी प्रखंड के 10 साल हो गये, लेकिन इस प्रखंड के 60 गांव आज भी विकास के लिए तड़प रहा है. जिस उम्मीद से जारी को प्रखंड बनाया गया. वह उम्मीद आज भी सरकारी बाबुओं के दफ्तरों के कागजों में दम तोड़ रही है. विकास के नाम पर यहां सिर्फ वादे हुए हैं. प्रखंड की जो स्थिति है. यह किसी गांव से भी बदतर है. अगर आज जारी प्रखंड अपने विकास के लिए तड़प रहा है, तो इसके पीछे राजनीति दांव-पेंच एवं नेताओं के बेरुखी है. अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड में सरकारी भवनों के निर्माण पर रोक लग गयी है. जारी में अस्पताल नहीं है. आईटीआई भवन बना है, लेकिन पढ़ाई शुरू नहीं हुई. अस्पताल नहीं रहने के कारण लोग छत्तीसगढ़ या फिर 70 किमी की दूरी तय कर गुमला इलाज कराने आते हैं. प्रखंड की सड़कें भी खराब है. इस प्रखंड में प्रवेश करने का हर रास्ता टूटा हुआ है.

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विकास को तड़तपा शहीद का गांव

विकास ठप होने का मुख्य कारण राजनीति दांवपेंच है. जारी प्रखंड छत्तीसगढ़ राज्य से सटा हुआ है. 19 मार्च, 2010 को प्रखंड बने जारी में 5 पंचायत है. इसमें 60 गांव आता है. आबादी 30 हजार 926 है. यह पहला प्रखंड है जहां सोलर से बिजली जलती है, लेकिन कुछ ही इलाकों तक बिजली है. ग्रामीण विद्युतीकरण के तहत कई गांवों में बिजली नहीं पहुंची है.

हेमंत सरकार पर है भरोसा, करेंगे पिता के समाधि स्थल का उद्धार : भिंसेंट एक्का

इस संबंध में शहीद अलबर्ट एक्का के पुत्र भिंसेंट एक्का ने कहा कि निजी सहयोग से समाधि स्थल बना है. लेकिन, अभी तक सौंदर्यीकरण एवं चहारदीवारी नहीं हुआ है. अब उम्मीद हेमंत सोरेन सरकार से है. मुझे हेमंत की सरकार में नौकरी मिली थी. अब मेरे शहीद पिता के समाधि स्थल को भी हेमंत सरकार ही ठीक करेंगे. मार्बल ठीक से नहीं लगाया गया है. चीटी घर बना ली है.

Posted By : Samir Ranjan.

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