Jharkhand News (गुमला) : मौत का सफर, यह कहना इसलिए सही है क्योंकि घाघरा नदी में पुल नहीं बनी है. जिस कारण चेकडैम में तेज धारा के साथ बहते पानी को पार करने जाने को ग्रामीण मजबूर हैं. यह मामला बिशुनपुर प्रखंड का है. बिशुनपुर प्रखंड को ग्लोबल गांव बनाने की बात खुद बिशुनपुर पहुंचे राष्ट्रपति व सीएम कर चुके हैं. लेकिन, घाघरा गांव के लोग जिस प्रकार जान हथेली पर रखकर सफर करते हैं. ग्लोबल गांव का सपना अधूरा है.
बिशुनपुर प्रखंड के बनालात स्थित घाघरा नदी पुल विहीन है. जिस कारण पानी भरने पर प्रखंड के दर्जनों गांव का संपर्क मुख्यालय से कट जाता है. बिशुनपुर में सोमवार को मूसलाधार बारिश हुई. जिस कारण घाघरा नदी पूरी तरह लबालब भर गया. बारिश से पूर्व जमटी, टेमरकरचा, कटिया, बोरांग, कुमारी एवं कठठोकवा गांव के सैकड़ों ग्रामीण अपने जरूरत का समान की खरीदारी करने के लिए बनारी सप्ताहिक हाट आये हुए थे. तभी मूसलाधार बारिश हो गयी. नदी पूरी तरह से भर गया.
जब गांव के लोग बाजार से अपने घर लौट रहे थे, तो नदी में इतना पानी था कि उसे पार करना संभव नहीं था. ग्रामीण नदी में पानी कम होने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन, रात भर पानी कम नहीं हुआ. सभी लोगों को मजबूरन नदी के किनारे रात गुजारनी पड़ी. सुबह जब नदी में पानी कम हुआ, तो लोग चेकडैम के सहारे छोटे-छोटे बच्चे, साइकिल को कंधे में लेकर जान की परवाह किये बगैर नदी पार किया.
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ग्रामीणों का कहना है कि बनालात एक्शन प्लान के दौरान घाघरा नदी में पुल निर्माण किये जाने की बात कही गयी थी. इसके लिए राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव व डीजीपी सहित कई आला अधिकारी का आगमन भी हुआ था. लेकिन, अब तक घाघरा नदी में पुल का निर्माण नहीं हो सका है. जिस कारण नदी के दूसरे छोर में रहने वाले गांव के लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
कसमार क्षेत्र का घाघरा नदी पुल विहीन है. जिस कारण गांव के लोग नदी में सिंचाई के लिए बनाये गये चेकडैम के सहारे नदी पार करते हैं. लोगों का कहना है कि चेकडैम की चौड़ाई मात्र दो फीट है. जहां गांव के सभी लोग दो पहिया साइकिल एवं पैदल नदी पार करते हैं. इस दौरान कई लोग गिरकर घायल भी हो चुके हैं. फिर भी अब तक घाघरा नदी में पुल का निर्माण नहीं हो सका है.
Posted By : Samir Ranjan.