Jharkhand News: झारखंड के गुमला जिले के पालकोट प्रखंड के टेंगरिया गांव की सबसे वृद्ध महिला अंधविश्वास (डायन-बिसाही) की बलि चढ़ने से बच गयी. गांव के कुछ लोगों ने एक भगत के बहकावे में आकर फूलकुमारी देवी की हत्या करने की योजना बना ली थी. उसके घर पर पत्थरबाजी भी की गयी थी. हालांकि समय रहते पुलिस ने मामले में संज्ञान लिया. जिससे फूलकुमारी व उसके घर वालों की जान बच गयी.
जानकारी के अनुसार गांव के कष्टू नायक के घर में रांची से कुछ लोग मेहमान आये हुए थे. इसमें एक बच्ची बीमार हो गयी थी. परिजन बच्ची को अस्पताल ले जाने की जगह एक भगत के पास झाड़ फूंक कराने ले गये. भगत ने बच्ची का झाड़फूंक करते हुए कहा कि इस पर डायन बिसाही कर दिया गया है. भगत ने गांव के लोधा केरकेट्टा की पत्नी फूलकुमारी देवी पर बच्ची को बीमार करने का आरोप लगाया. इसके बाद गांव के लोग आक्रोशित हो गये. गांव के कुछ लोगों ने फूलकुमारी के घर को घेर लिया और पत्थरबाजी करने लगे. पुलिस को जब इसकी सूचना मिली तो गांव पहुंचकर मामले को शांत कराया.
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कष्टू नायक ने कहा कि उसके घर में रांची से आये मेहमान की बच्ची बीमार हो गयी थी. जिसे गांव के ओझागुणी करने वाले भगत को दिखाया, तो भगत द्वारा बोला गया कि तुम्हारे घर आये मेहमान की बच्ची को लोधा की पत्नी द्वारा नजर लगाया गया है. इसके बाद गांव के लोग लोधा के घर में पत्थर फेंकने लगे. लोधा अपने परिवार के साथ जान बचाकर भाग गया और अपने रिश्तेदार के घर छिपकर जान बचायी. इसकी सूचना सोमवार की सुबह विधायक प्रतिनिधि भूषण सिंह को मिली, तो भूषण सिंह ने पालकोट थानेदार राहुल कुमार झा को इसकी सूचना दी.
सूचना मिलते ही थानेदार दल बल के साथ गांव पहुंचे और लोगों के साथ बैठक कर मामले को सुलझाया. बैठक में लोगों को हिदायत देते हुए कहा कि डायन-बिसाही दुनिया में नहीं है. गांव वाले अंधविश्वास में न फंसें. वहीं थानेदार ने डायन प्रतिषेध अधिनियम के बारे में भी ग्रामीणों को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि गांव के लोग बीमार होते हैं, तो अस्पताल ले जाकर इलाज करायें. अभी कोरोना फिर से आ गया है. आप लोग भीड़ भाड़ से बचें. मास्क का प्रयोग करें.
Posted By : Guru Swarup Mishra