World Toilet Day 2021 (दुर्जय पासवान, गुमला) : 19 नवंबर यानी विश्व शौचालय दिवस है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य खुले में शौच नहीं करना है. शौचालय का उपयोग करें. इससे हम बीमारियों से बच सकते हैं. खुले में शौच करने से कई तरह की बीमारी फैलती है. वातावरण पर भी असर पड़ता है. इसलिए हम सभी को शौचालय का उपयोग करना चाहिए.
अगर, हम गुमला जिला की बात करें, तो आज भी यहां 50 प्रतिशत से अधिक लोग खुले में शौच करते हैं. क्योंकि स्वच्छ भारत अभियान के तहत गुमला जिले में शौचालय का निर्माण सही से नहीं हुआ. अभी भी हजारों घरों में शौचालय नहीं है. गांव के लोग खुले में शौच जाते हैं. गुमला जिला अब तक ओडीएफ नहीं हुआ है. 50 प्रतिशत आबादी ही शौचालय का उपयोग करता है.
गुमला जिले में एक लाख 23 हजार 927 शौचालय बनना था. लेकिन, अबतक 81 हजार 412 शौचालय का उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा हुआ है. यानी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 81 हजार 412 परिवार ही शौचालय का उपयोग करते हैं. जबकि गुमला जिले में करीब दो लाख परिवार है. पेयजल विभाग, गुमला की मानें तो वर्ष 2019 के बाद से गुमला को शौचालय बनाने के लिए पैसा नहीं मिला है. जिस कारण हजारों घरों में शौचालय नहीं बन पाया है.
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गुमला में शौचालय निर्माण में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है. यहां तक कि शौचालय निर्माण के पैसा को भी घोटाला कर लिया गया था. इसमें कई लोग जेल गये. कुछ लोगों पर अभी भी जांच चल रही है. एक बड़े अधिकारी पर भी जांच बैठी हुई है. गुमला में शौचालय घोटाला के कारण ही वर्ष 2019 के बाद पेयजल विभाग गुमला को नया शौचालय बनाने के लिए पैसा नहीं दिया गया है. सिर्फ समन्वयक व अन्य कर्मियों को मानदेय के लिए पैसा मिल रहा है.
गुमला जिले के कई गांवों में तो शौचालय बना भी नहीं है. लेकिन, प्रशासन ने ओडीएफ घोषित कर दिया. उरू गांव में दर्जनों घरों में शौचालय नहीं है. फिर भी इस गांव में ओडीएफ का बोर्ड लगा दिया गया है. चैनपुर प्रखंड के कोचागानी में भी आधा अधूरा शौचालय बना. इस कारण यहां के लोगों ने शौचालय में लकड़ी रखना शुरू कर दिया.
गुमला जिले में शौचालय निर्माण में खुलकर लूट हुई है. ऐसे शौचालय का निर्माण लाभुकों को खुद करना था. शौचालय बनाने की कीमत 12 हजार थी, जो सीधे लाभुक को देना था. लेकिन, गुमला में शौचालय निर्माण का ठेका कई लोगों को दे दिया गया. इसके बाद लूट शुरू हुई. एक शौचालय 12 हजार रुपये में बनाना है. लेकिन, यहां लूट का पैसा खाने के लिए प्रति शौचालय में दो हजार रुपये कमीशन बांध दिया गया था. इसमें कई मुखिया भी शामिल थे.
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चैनपुर प्रखंड के कोचागानी गांव शहरी जिंदगी से एकदम दूर है. यही वजह है. यहां जागरूकता की कमी है. इसलिए कुछ घरों में शौचालय बना. लेकिन, उसका उपयोग ग्रामीण नहीं करते हैं. बल्कि जंगल की सूखी लकड़ियों को शौचालय के कमरे में रखा गया है. कुछ शौचालय तो बिना उपयोग के ध्वस्त हो गया.
खुले में शौच से बीमारियां उत्पन्न होने के साथ-साथ पर्यावरण दूषित होता है. इसलिए सरकार इस समस्या से उबरने के लिए स्वच्छ भारता अभियान चला रही है. लेकिन एक सर्वे के अनुसार खुले में शौच जाना एक तरह की मानसिकता को दर्शाता है. इसके मुताबिक सार्वजनिक शौचालयों में नियमित रूप से जाने वाले तकरीबन आधे लोगों और खुले में शौच जाने वाले इतने ही लोगों का कहना है कि यह सुविधाजनक उपाय है. ऐसे में स्वच्छ भारत के लिए सोच में बदलाव की जरूरत है.
वर्ष 2001 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत विश्व शौचालय संगठन द्वारा की गयी थी. वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे अधिकारिक तौर पर विश्व शौचालय दिवस घोषित कर दिया गया था. यह दिन लोगों को विश्व स्तर पर स्वच्छता के संकट से निबटने के लिए प्रेरित करता है.
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Posted By : Samir Ranjan.