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Jharkhand News: कोल डंप में आग से आपदा की आशंका, रैयतों ने पूछा : कोयले की चिंता है, पेट में लगी आग की नहीं?

हजारीबाग के बड़कागांव स्थित एनटीपीसी के कोल डंप में आग लगने के अगले दिन प्रशासनिक अधिकारियों का अमला विस्थापितों और प्रभावित रैयतों से बात करने पहुंचा. एसडीओ ने समझाने की कोशिश की कि आग से आपदा उत्पन्न हो सकती है. इस पर ग्रामीणों ने कहा, ‘कोयले में लगी आग की चिंता है, लोगों के पेट में लगी आग की चिंता क्यों नहीं है?’

बड़कागांव : हजारीबाग जिला के बड़कागांव स्थित एनटीपीसी के कोल डंप में आग लगने के अगले दिन प्रशासनिक अधिकारियों का अमला विस्थापितों और प्रभावित रैयतों से बात करने के लिए पहुंचा. रविवार (4 अक्टूबर, 2020) को जब अधिकारियों का दल पहुंचा. एसडीओ ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि डंप में लगी आग से आपदा उत्पन्न हो सकती है. इस पर ग्रामीणों ने कहा, ‘कोयले में लगी आग की चिंता है, लोगों के पेट में लगी आग की चिंता क्यों नहीं है?’

ग्रामीणों ने अधिकारियों से साफ-साफ कह दिया कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जायेंगी, उनका आंदोलन खत्म नहीं होगा. वे कोयले की न तो ट्रांसपोर्टिंग होने देंगे, न ही कोयले का खनन होने देंगे. झारखंड के हजारीबाग जिला के बड़कागांव प्रखंड में 16 जगहों पर 1 सितंबर, 2020 से चल रहे सत्याग्रह व अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों व रैयतों के साथ प्रखंड व जिला प्रशासन ने रविवार (4 अक्टूबर, 2020) को बैठक की.

बैठक में रैयतों ने बारी-बारी से अपनी राय दी. लोगों ने कहा कि नेशनल थर्मपल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) एवं प्रशासन को कोयले में लगी आग की चिंता है, लेकिन गांवों के लोगों की पेट में जो आग लगी है, उसकी चिंता किसी को क्यों नहीं है? लोगों के पेट की लगी आग कब बुझेगी? कैसे बुझेगी? रैयतों ने एक स्वर में कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मान ली जातीं, तब तक कोयले की ट्रांसपोर्टिंग, कोयले का खनन नहीं करने दिया जायेगा. न ही धरना खत्म होगा.

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एनटीपीसी के कोल डंप में आग लगने के बाद एनटीपीसी के प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त से मुलाकात की. उपायुक्त को बताया कि यदि कोयले को वहां से नहीं हटाया गया, तो बड़ा हादसा हो सकता है. इसके बाद उपायुक्त के आदेश पर एसडीओ विद्या भूषण, स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों को वार्ता करने के लिए बुलाया.

राज्य सरकार प्रभावित लोगों के साथ : अंबा प्रसाद

विधायक अंबा प्रसाद ने ग्रामीणों की बातों का समर्थन किया. कहा कि एनटीपीसी इतने घमंड में है कि आज तक उसने ग्रामीणों से वार्ता तक करने की जरूरत नहीं समझी. राज्य सरकार के उच्चस्तरीय कमेटी के प्रस्ताव को भी मानने से कंपनी ने इनकार कर दिया है. केंद्र सरकार झारखंड राज्य को किसी तरह का लाभ नहीं देना चाहती है. एनटीपीसी ने भी अड़ियल रुख अपना रखा है.

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अंबा प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार और उसकी कंपनियां कौड़ी के भाव में झारखंड की खनिज संपदा को लूटना चाहती है. विधायक ने कहा कि पकरी बरवाडीह परियोजना अगर राज्य सरकार के अधीन होता, तो अब तक सभी विस्थापित एवं प्रभावितों की मांगें पूरी हो चुकी होती. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनसे कहा है कि सरकार विस्थापितों एवं प्रभावितों के साथ है.

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अंबा प्रसाद ने कहा कि रैयतों को घबराने की जरूरत नहीं है. अगर एनटीपीसी यह सोचती है कि लंबे आंदोलन से ग्रामीण थक जायेंगे और आंदोलन खत्म कर देंगे, तो उनकी सोच गलत है. अंबा ने कहा, ‘मैं हर दिन आंदोलनकारियों का हौसला बढ़ाऊंगी और हर हाल में ग्रामीणों की जायज मांगों को पूरा करवाऊंगी.’

डंप में आग से उत्पन्न हो सकती है आपदा : एसडीओ

एसडीओ विद्या भूषण ने कहा कि कोल डंप में आग लग गयी है. इससे आपदा उत्पन्न हो सकती हैं. आपदा को आने से पहले ही इस समस्या को खत्म करना होगा. इस अवसर पर एसडीपीओ भूपेंद्र राउत, अंचल अधिकारी वैभव कुमार सिंह, बीडीओ प्रवेश कुमार साव के अलावा कई ग्रामीण भी मौजूद थे.

Posted By : Mithilesh Jha

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