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झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय की छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़, 6 साल बाद भी नहीं बन सकी स्कूलों की बिल्डिंग

अबतक किसी प्रखंड में झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय भवन निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है. बच्चियों की पढ़ाई बाधित नहीं हो इसलिए सुविधानुसार उन्हें कस्तूरबा गांधी स्कूलों में शिफ्ट किया गया है. अपना स्कूल भवन नहीं होने के कारण डाडी प्रखंड में 12वीं की पढ़ाई बंद है.

Jharkhand News, हजारीबाग न्यूज (आरिफ) : झारखंड के हजारीबाग जिले के दारू, टाटीझरिया, सदर, चलकुशा, कटकमदाग एवं डाडी प्रखंडों में झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय समय पर नहीं बनने से सैकड़ों छात्राओं की पढ़ाई बाधित है. सभी स्कूल 2015 में शुरू हुए हैं. अपना स्कूल भवन नहीं होने से नामांकित बच्चियां कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में पढ़ने को मजबूर हैं. भवन निर्माण विभाग की ओर से एक वर्ष के भीतर स्कूल भवन बनना था. इसे छह वर्ष बाद भी पूरा नहीं किया गया है.

सदर एवं दारू प्रखंड की बच्चियां 50 किलोमीटर दूर पदमा प्रखंड कस्तूरबा स्कूल में पढ़ रही हैं. कटकमदाग स्कूल 30 किलोमीटर दूर कटकमसांडी कस्तूरबा में शिफ्ट हैं. टाटीझरिया को बगल के बिष्णुगढ़ एवं चलकुशा को बगल के बरकट्ठा प्रखंड कस्तूरबा स्कूल से जोड़ा गया है. डाडी प्रखंड झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय मध्य विद्यालय के पुराने स्कूल भवन में चल रहा है. इसमें पहले से कमरे की कमी है. जो कमरे हैं, वे जर्जर स्थिति में है. चहारदीवारी तो छोड़ दीजिए, बेहतर किचन शेड भी नहीं है. अपना स्कूल भवन नहीं होने से डाडी में 12वीं की पढ़ाई शुरू से बंद है.

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हजारीबाग जिले के 10 प्रखंड विष्णुगढ़, बरही, चुरचू, कटकमसांडी, पदमा, चौपारण, इचाक, बरकट्ठा, बड़कागांव एवं केरेडारी में पांच सितंबर 2006 से कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय चालू किया गया है. इसी तर्ज पर नौ वर्ष बाद 2015 में बाकी के छह प्रखंड दारू, टाटीझरिया, सदर, चलकुशा, कटकमदाग एवं डाडी में झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय की स्थापना हुई थी. एक वर्ष के भीतर स्कूल भवन बनाने का निर्णय लिया गया था. इसे छह वर्ष बीत जाने के बाद भी अब-तक पूरा नहीं किया गया है.

चलकुशा प्रखंड स्कूल भवन बनकर तैयार है, ह्वाइट वाशिंग काम बाकी है. दारू में छत ढलाई हुई है. प्लास्टर काम प्रगति पर है. कटकमदाग में बिल्डिंग बनकर तैयार है. डाडी में दूसरे तल्ले का लिंटर कार्य किया गया है. टाटीझरिया में ह्वाइट वॉशिंग काम बाकी है. वहीं सदर प्रखंड में जमीन नहीं मिलने से अब तक विद्यालय की नींव भी नहीं रखी गयी है.

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झारखंड सरकार को कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय के बाद झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय चालू कर ड्रॉपआउट बच्चियों को शिक्षा से जोड़ना था. राज्य में झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय 66 हैं. वहीं कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की संख्या 203 है. इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक, गरीब एवं अनाथ विद्यार्थियों को नजदीकी विद्यालय में पढ़ाई से जोड़ना है. हजारीबाग के छह प्रखंडों में समय पर स्कूल भवन नहीं बनने से विद्यार्थी परेशान हैं. बता दें कि 2019 में 12वीं कला संकाय की परीक्षा में झारखंड की आठवीं स्टेट टॉपर बबीता कुमारी हजारीबाग के चूरचू प्रखंड के चरही कस्तूरबा की छात्रा है.

इचाक कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय चालू हुए 16 वर्ष गुजर गये हैं, अबतक अपना विद्यालय भवन नहीं बना है. इचाक बाजार स्थित प्रखंड संसाधन केंद्र (बीआरसी) में 2005 से कस्तूरबा स्कूल का संचालन हो रहा है. अपना स्कूल भवन नहीं रहने से यहां स्वीकृत 400 विद्यार्थियों में महज 212 विद्यार्थी नामाकिंत होकर अध्ययनरत हैं. बताया जा रहा है कि स्कूल में रहने की व्यवस्था नहीं होने के कारण क्षेत्र की कई दर्जनों ड्रॉपआउट बच्चियां पढ़ाई से नहीं जुड़ी हैं. इधर, हाल के दिनों में कस्तूरबा स्कूल बोंगा में बनकर तैयार है. स्कूल तक रास्ता नहीं होने के कारण परियोजना कार्यालय निर्माण कार्य एजेंसी से स्कूल को हैंड ओवर नहीं लिया है.

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पूरे प्रकरण पर सांसद विधायक का इस ओर ध्यान नहीं रहने से दर्जनों अभिभावक ठगा महसूस कर रहे हैं. कई अभिभावक सांसद एवं क्षेत्र के विधायक को कोस रहे हैं. वीणा के पिता अभिषेक कुमार ने कहा कि क्षेत्र के विधायक एवं सांसद को चुनाव समय मतदाता याद आते हैं. बाकी समय विधायक-सांसद अपनी खिचड़ी पकाने में मशगूल रहते हैं. उन्हें जनता की समस्याओं से लेना-देना नहीं है. चुनाव आते नेता फिर से सक्रिय हो जाते हैं.

झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यालय की सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी अंजुला कुमारी ने कहा कि अबतक किसी प्रखंड में झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय भवन निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है. बच्चियों की पढ़ाई बाधित नहीं हो इसलिए सुविधानुसार उन्हें कस्तूरबा गांधी स्कूलों में शिफ्ट किया गया है. अपना स्कूल भवन नहीं होने के कारण डाडी प्रखंड में 12वीं की पढ़ाई बंद है. इच्छुक बच्चियों की पढ़ाई कस्तूरबा स्कूल से हो रही है. सभी स्कूल के निर्माण कार्य की जिम्मेदारी झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम को मिली है.

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झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार ने कहा कि पांच प्रखंडों में झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय का निर्माण कार्य किया गया है. सदर प्रखंड में जमीन नहीं मिलने के कारण स्कूल का निर्माण कार्य रूका है. एक स्कूल के निर्माण पर 4.50 करोड़ खर्च है. कुल 22.50 करोड़ है. एक प्रखंड में जी प्लस स्कूल इसमें हॉस्पिटल, स्टाफ क्वार्टर एवं स्कूल की चहारदीवारी का निर्माण करना है. फंड मिलने में देरी हुई है. शीघ्र स्कूल शिक्षा विभाग को हैंड ओवर किया जाएगा.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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