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झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय : ड्रॉप आउट बच्चियों के लिए बनना था स्कूल, 5 साल में जमीन ही नहीं मिली

सदर अंचल में जमीन नहीं मिलने से स्कूल की नींव भी नहीं रखी गई है. छह वर्ष में दारू, टाटीझरिया, चलकुशा, कटकमदाग एवं डाडी प्रखंड मुख्यालय में भी स्कूल भवन निर्माण कार्य अधूरा है. नामांकित बच्चियां 50-50 किलोमीटर दूर कस्तूरबा स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं.

Jharkhand News, हजारीबाग न्यूज (आरिफ) : झारखंड के हजारीबाग जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की ड्रॉप आउट बच्चियों के लिए सदर प्रखंड में बनने वाला झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय पांच वर्ष बाद भी नहीं बना है. हजारीबाग झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम ने योजना को वापस भेजने की कवायद शुरू कर दी है. 4.50 करोड़ की लागत से ये स्कूल बनना था. लगभग पांच एकड़ सरकारी भूमि की आवश्यकता थी. पांच वर्षों में एक डिसमिल भी जमीन नहीं मिली.

दारू, टाटीझरिया, चलकुशा, कटकमदाग, डाडी एवं सदर प्रखंड में झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय 2015 में शुरू हुआ. एक वर्ष के भीतर विद्यालय भवन, हॉस्टल, स्टाफ क्वार्टर्स एवं अन्य निर्माण कार्य में झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम को 22.50 करोड़ खर्च करना था. सदर अंचल में जमीन नहीं मिलने से स्कूल की नींव भी नहीं रखी गई है. छह वर्ष में बाकी के पांच दारू, टाटीझरिया, चलकुशा, कटकमदाग एवं डाडी प्रखंड मुख्यालय में भी स्कूल भवन निर्माण कार्य अधूरा है. नामांकित बच्चियां 50-50 किलोमीटर दूर कस्तूरबा स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं. शिक्षा विभाग स्कूल हैंडओवर के लिए परेशान है.

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झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यालय की सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी अंजुला कुमारी कहती हैं कि अपना स्कूल भवन नहीं होने से कई बच्चियों की पढ़ाई बाधित है. नामांकित बच्चियों को सुविधानुसार कस्तूरबा स्कूलों में शिफ्ट किया गया है. डाडी प्रखंड में 12वीं की पढ़ाई बंद है. स्कूल निर्माण कार्य की जिम्मेवारी झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम को मिली है.

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झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार ने बताया कि पांच प्रखंडों में स्कूल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. सदर प्रखंड में जमीन नहीं मिली है. योजना को वापस भेजने की कवायद शुरू की गई है. एक जी प्लस स्कूल, हॉस्टल, स्टाफ क्वार्टर एवं चहारदिवारी निर्माण पर 4.50 करोड़ खर्च है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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