Jharkhand News: झारखंड के हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड क्षेत्र के बरियठ गांव में समाज के लोगों ने बैठक की और अंतिम संस्कार को लेकर लगाये गये पूर्व के प्रतिबंधों में बदलाव का निर्णय लिया. इससे पहले लोगों को सख्त नियमों के कारण अंतिम संस्कार के वक्त काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. अब मृतक के शव को कोई कंधा दे सकता है. पुत्र या पुत्री कोई चिता को आग दे सकता है. अस्थि को बनारस की जगह उस नदी में प्रवाहित किया जा सकता है, जो गंगा नदी में जाकर मिलती हो.
परंपरा में बदलाव की पहल
हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड के बरियठ गांव में पहले किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद कंधा वही व्यक्ति दे सकता था, जिसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी हो. ऐसे में शव को कंधा देने के लिए ऐसे लोगों की तलाश करनी पड़ती थी. ये काफी मुश्किलभरा होता था. इस समस्या के समाधान के लिए ग्रामीणों ने बैठक की. इसके बाद परंपरा में बदलाव का निर्णय लिया गया. अब शव को कोई भी व्यक्ति कंधा दे सकता है.
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अब कोई भी दे सकता है शव को कंधा
भंडार मोहल्ला के राजेंद्र प्रसाद मेहता की पत्नी सुरेश्वरी देवी का निधन होने के बाद समाज की बैठक हुई. अध्यक्षता सेवानिवृत शिक्षक कुलेश्वर प्रसाद मेहता ने की. इसमें निर्णय लिया गया कि पूर्व में शव को कंधा देने के लिए लगाये गये प्रतिबंध को हटाया जाए. अब से कोई भी व्यक्ति मृतक के शव को कंधा दे सकता है.
अस्थि को यहां कर सकते हैं प्रवाहित
समाज की बैठक में दूसरा निर्णय ये लिया गया कि माता-पिता की मृत्यु के बाद लड़का एवं लड़की दोनों में से कोई चिता को आग दे सकता है. तीसरे निर्णय के अनुसार मृत्यु के बाद मृतक (अस्थि) संथ को बनारस नहीं जाकर कोई भी नदी जिसका पानी गंगा नदी में जाकर मिलता है, उस नदी में सनातन रीति रिवाज के अनुसार प्रवाह कर सकते हैं.
समाज ने की बैठक
समाज की बैठक में कांग्रेस प्रदेश प्रतिनिधि दिगंबर कुमार मेहता, राज बलम प्रसाद मेहता, मितेश प्रकाश मेहता, गोविंद प्रसाद मेहता, राजेंद्र प्रसाद मेहता, बाबूलाल महतो, अक्षयवर कुमार, किशोर प्रसाद मेहता, जयनारायणप्रसाद मेहता, सुरेंद्र, अमिताभ, बच्चन मेहता, पंकज मेहता, मंटू मेहता, लालमोहन विकास, अनिल, बंगाली, त्रिवेणी, केदार, कपिल, राजेंद्र, रोशन हरकू समेत अन्य मौजूद थे.
रिपोर्ट: रामशरण शर्मा