Jharkhand News (संजय सागर, बड़कागांव ): झारखंड के हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड स्थित पंकरी बरवाडीह के सौर पंचांग (मेगालिथ) स्थल से सूर्य को उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर करवट लेते हुए देखा गया. सूर्य की इस नजारे को देखने के लिए लोग बुधवार की सुबह से जुटे हुए थे. हालांकि, कोरोना व बादलों के कारण वर्ष 2019 की अपेक्षा जहां इस वर्ष विशेषज्ञ एवं खगोलशास्त्री नहीं आ सके, वहीं सूर्य के इस अद्भुत नजारों को लोग साफ से नहीं देख पायें. बादलों के कारण खगोल प्रेमी कुछ देर निराश तो हुए, पर आखिरकार सूर्य ने इन खगोल प्रेमियों को खुश कर ही दिया. उत्तरायण से दक्षिणायन जाने के सूर्य के इस नजारे को देख लोग खुशी से झूम उठे.
बुधवार की सुबह से ही बादल छाए हुए थे, लेकिन सूर्य का सौंदर्य रूप देखने के लिए लोग सुबह 8 बजे से ही इंतजार करते दिखे. हालांकि, कुछ लोग बादल नहीं छटने के कारण सुबह 6 बजे अपने- अपने घर निराश होकर चले गये, लेकिन सूर्य की अद्भुत नजारा देखने की जिद्द जिनके अंदर थी वो बादलों को छटने का इंतजार बेसब्री से कर रहे थे. कुछ देर बाद धीरे-धीरे बादल छटने लगा और अपनी सौंदर्य रूप लेते हुए सूर्य दिखाई दिया. सौर पंचांग के दो खड़े पत्थर V आकार के खड्ड में सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर करवट लेते दिखा.
खगोलशास्त्र के अनुसार, हर 21 मार्च एवं 23 सितंबर को रात- दिन बराबर होने के कारण सूर्य की किरणें विषुवत वृत्त पर सीधी पड़ती है. ऐसी स्थिति में कोई भी ध्रुव सूर्य की ओर नहीं झुका होता है. इस कारण पृथ्वी पर दिन एवं रात बराबर होते हैं. 23 सितंबर को उतरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु होती है, जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में वसंत ऋतु होती है.
Also Read: सोना सोबरन धोती-साड़ी वितरण योजना की CM हेमंत ने दुमका से की शुरुआत, राज्य के 58 लाख परिवार को मिलेगा लाभ21 मार्च को स्थिति इसके विपरीत होती है. जब उतरी गोलार्र्द्ध में वसंत ऋतु एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद ऋतु होती है. इस कारण पृथ्वी की घूर्णन एवं परिक्रमण गति के कारण दिन- रात एवं ऋतुओं में परिवर्तन होता है. यही कारण है कि 21 मार्च और 23 सितंबर को दिन और रात बराबर होती है. इसलिए सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर करवट लेते दिखाई पड़ता है.
पुरातत्व में विशेष अभिरुचि रखनेवाले बाइस प्रकाशित पुस्तकों के लेखक झारखंड के साहित्यकार विनोद कुमार राज विद्रोही ने कहा कि यदि सरकार इस धरोहर को संरक्षित कर पर्यटन के रूप में विकसित करें, तो हम अपने अतीत को जानकर भविष्य में भी गौरवान्वित महसूस करेंगे. आज भी यह स्थल सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है. मेगालिथ सभ्यता के विशेषज्ञ शुभ आशीष दास, सिमरिया से आये ओम प्रकाश शर्मा व अशोक कुमार वर्मा, हजारीबाग के सतीश कुमार उपाध्याय, मदन उपाध्याय, सुधा उपाध्याय, नीतू उपाध्याय, शिक्षक चंदन ठाकुर, अजय पोद्दार समेत अन्य लोगों ने इक्विनोक्स पॉइंट एवं गौतम बुध स्तूप को संरक्षित करने की मांग की है.
Posted By : Samir Ranjan.