Jharkhand News (आरिफ, हजारीबाग) : हजारीबाग स्थित NH 33 एवं एसपी कोठी से सटे 10 एकड़ एरिया में फैले राज्य का इकलौता सरकारी भू-वैज्ञानिक प्रयोगशाला (Geological Laboratory) देख-रेख के अभाव में जर्जर है. स्वीकृत पद अनुसार, अधिकारी एवं कर्मी नहीं हैं. 75 में 62 पद खाली है रख-रखाव के अभाव में करोड़ों की आधुनिक मशीनें उपेक्षा का शिकार है. सरकारी आवाज जर्जर है. जहां-तहां चारदीवारी टूटी पड़ी है. बावजूद इसके किसी ने सुध लेने की जहमत अभी तक नहीं उठायी है.
भू-वैज्ञानिक प्रयोगशाला की दयनीय स्थिति की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. 30 में एक भी भू-तात्विक विश्लेषक नहीं है. वहीं, एक-एक उपनिदेशक रसायन, वरीय रसायन, वरीय विज्ञान पदाधिकारी का पद खाली है. 12 विज्ञान एवं रसायन पदाधिकारी में मात्र 4 कार्यरत हैं. तीन लिपिक, 30 भू-तात्विक विश्लेषक, 6 विज्ञान सहायक, 4 सेक्शन कटर, 9 प्रयोगशाला परिचर के आलावा आदेशपाल, माली, इलेक्ट्रिशियन, ड्राइवर एवं चौकीदार का पद आज भी खाली है. कुछ कर्मियों को नियम विरुद्ध रखे जाने से सवाल भी उठे है. इसपर कई मामले कोर्ट में विचाराधीन है.
राज्य का इकलौता भू-वैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना तत्कालीन खान एवं भूविज्ञान विभाग, बिहार सरकार ने 1965 पटना में किया था. दो साल बाद 1967 में इसे हजारीबाग स्थानांतरित किया गया. यहां बिहार- झारखंड के अलावा अन्य राज्य की खनिज संपदा जैसे पत्थर, कोयला, जल की श्रेणी (नमूने) का पता लगाकर इसकी रिपोर्ट सरकार, विभाग एवं एजेंसी को भेजी जाती है.
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इस जर्जर स्थिति में आये प्रयोगशाला की चारदीवारी टूटने से जमीन का अतिक्रमण हुआ है. सरकारी क्वार्टर पर कब्जा हो गया है. पास के ही थाना की पुलिस प्रयोगशाला के परिसर को जब्त वाहन खड़ा करने में इस्तेमाल कर रही है. वहीं, कई लोग इस परिसर में खटाल भी चला रहे हैं. इतना ही नहीं चारदीवारी नहीं होने से शराबी एवं जुआरियों का अड्डा भी लग रहा है.
इस संबंध में राजकीय भू-तात्विक प्रयोगशाला, हजारीबाग के निदेशक विजय कुमार ओझा ने कहा कि प्रयोगशाला को बेहतर बनाने के लिए योजना तैयार की जा रही है. वहीं, राजकीय भू-तात्विक प्रयोगशाला, हजारीबाग के प्रधान लिपिक नीरज सिंह ने कहा कि इस प्रयोगशाला को सुसज्जित बनाने के लिए विभाग को रिपोर्ट भेजी गयी है.
Posted By : Samir Ranjan.