Panchayat Chunav : बड़कागांव (संजय सागर) : झारखंड में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल दिसंबर माह में खत्म हो रहा है, लेकिन अब तक पंचायत चुनाव को लेकर किसी तरह की घोषणा नहीं हुई है. इसके बावजूद हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड में पंचायत चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछने लगी है. चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है.
हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. भले ही चुनाव को लेकर घोषणा नहीं की गयी है, लेकिन प्रत्याशी अभी से चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर चुके हैं. वे गांव-घर में दस्तक देने लगे हैं. विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने लगे हैं. गांव में कुछ प्रतिनिधि खेलकूद करा रहे हैं, तो कुछ दावत दे रहे हैं. कुछ पंचायतों के प्रत्याशी लोगों के घरों पर आकर मुलाकात कर रहे हैं.
बड़कागांव मुख्य चौक के चाय विक्रेता संजय गुप्ता का कहना है कि संभावित प्रत्याशियों की भीड़ अब चाय एवं पान दुकानों पर लगने लगी है. यहां पंचायत चुनाव की चर्चा होने लगी है. मुखिया एवं पंचायत समिति सदस्यों की कार्यशैली पर चर्चा होने लगी है. शिक्षक सुकेश कुमार का कहना है कि पंचायत चुनाव को लेकर कुछ लोग भोज, खेलकूद प्रतियोगिता आदि कार्यक्रम करवा रहे हैं. हालांकि बड़कागांव प्रखंड में कौन सी पंचायत में महिला आरक्षण होगा या कौन सी पंचायत में एसटी -एससी का आरक्षण होगा या कौन सी पंचायत सामान्य अथवा पिछड़ा ,अति पिछड़ा के लिए आरक्षित होगी. ये तय नहीं है. इसके बावजूद भी भावी प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में प्रचार कर रहे हैं. बड़कागांव प्रखंड में कुल 23 पंचायतें एवं 3 जिला परिषद क्षेत्र हैं. इसमें से बड़कागांव पश्चिमी ,बड़कागांव पूर्वी, बड़का गांव मध्य है.
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मुखिया अनीता देवी का कहना है कि पंचायत चुनाव सही टाइम पर होना चाहिए क्योंकि जब विधानसभा का उपचुनाव हो सकता है , बिहार में विधानसभा चुनाव हो सकता है, तो झारखंड में पंचायत चुनाव क्यों नहीं हो सकता है ? बड़कागांव पूर्वी पंचायत के मुखिया कैलाश राणा का कहना है कि जिस तरह से बिहार विधानसभा के चुनाव एवं झारखंड में विधानसभा का उपचुनाव हुआ, उसी तरीके से पंचायत चुनाव होना चाहिए. बादम के मुखिया दीपक दास का कहना है कि पंचायत चुनाव नहीं होने से ब्लॉक में अफसरशाही बढ़ जाएगी. विकास का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाएगा.
Posted By : Guru Swarup Mishra