Jharkhand news: हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव वन क्षेत्र में हाथियों के आतंक से लोग भयभीत हैं. क्षेत्र में आये दिन हाथियों द्वारा हर महीने घटना को अंजाम दिया जाता रहा है. पिछले दो साल में 13 व्यक्तियों समेत दर्जनों मवेशियों को अपनी चपेट में लिया. वहीं, क्षेत्र में करोड़ों की फसल को नष्ट कर दिया है.
नवंबर 2018 से लेकर अब तक हाथियों के हमले से 13 व्यक्तियों एवं दर्जनों में मवेशियों की मौत हो चुकी है. पिछले रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2018 में सिमरा तरी निवासी 45 वर्षीय तुलसी महतो, डोकाटांड़ निवासी 40 वर्षीय डीलू साव, पिपरवार निवासी जगला मुंडा ,मिर्जापुर निवासी मोहम्मद हसीब को हाथियों ने कुचल को मार डाला.
इसके अलावा वर्ष 2019 में शुकुल खटिया निवासी सुगन राजवार, दिसंबर 2019 में बड़कागांव के ग्राम सेहदा निवासी जागो गंजू और 3 फरवरी 2021 को रोगन गंजू को हाथियों ने कुचल कर मार डाला, जबकि 29 जनवरी की रात चंदन गंजू की पत्नी पार्वती देवी को हाथियों ने कुचल डाला. इससे उसकी कमर की हड्डी टूट गयी.
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वहीं, 6 जनवरी 2021 को बाहें गांव निवासी चेतलाल साव को हाथियों ने कुचलकर मार डाला.18 अप्रैल, 2021 को बड़कागांव के चेपाकला निवासी बंधनी मोसोमात को लमकी तरी जंगल में हाथियों ने पटक-पटक कर मार डाला. 28 अक्टूबर को बड़कागांव के सेहदा में नरेश गंझू को हाथियों ने हमला किया था, जिससे गंभीर रूप से घायल हो गया था. जबकि उसके काड़ा को हाथियों ने मार डाला था.
7 अगस्त को मुद्रिका साव की पत्नी वीणा देवी को चेपाकला के जंगल में हाथियों ने कुचल कर मार डाला. 20 दिसंबर को बड़कागांव प्रखंड के ग्राम उरुब में ईंट भट्ठा में काम करने वाले मजदूर एक ही परिवार के रोहनी देवी (40 वर्ष), पुत्र मुकेश कुमार (12 वर्ष), उसकी पुत्री सुंदरी कुमारी (10 वर्ष) को 14 हाथियों ने कुचल कर मार डाला. जबकि 4 लोगों को बुरी तरह से घायल कर दिया. हाथियों के उत्पात से वर्ष 2018 से लेकर अब तक करोड़ों रुपये के फसलों एवं घरों को भी नुकसान पहुंचा चुका है.
वन कर्मियों ने बताया कि फिलहाल हाथियों का कॉरिडोर जंगल ही है. बड़कागांव वन क्षेत्र के गाली ब्लोदर, गोंदलपुरा, जोरा काठ, चरही, चुरचू, शीला जंगल, केरेडारी, हेन्डेगीर, इसको इंदिरा, महोदी पहाड़ आदि क्षेत्र के जंगल ही हाथियों का कॉरिडोर है. वन कर्मियों ने यह भी बताया कि मरने वालों के लिए चार लाख, गंभीर रूप से घायलों के लिए एक लाख, साधारण रूप से घायल व्यक्ति के लिए 15,000 रुपये मुआवजा देने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि जंगलों की अधिक मात्रा में कटाई होने के कारण हाथी जंगल छोड़ गांव की ओर आ जाते हैं. उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया है कि हाथियों को ना छेड़े. हाथी जिधर जाना चाहते हैं, उन्हें शांतिपूर्वक जाने दें. हो-हल्ला ना करें.
रिपोर्ट: संजय सागर, बड़कागांव, हजारीबाग.