Patna: पीएमसीएच के स्पाइन एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ और आस्थालोक हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. (प्रो. ) महेश प्रसाद ने एक 10 साल की बच्ची सुहाना (बदला हुआ नाम) के कूल्हे की सर्जरी कर उसे नया जीवनदान दिया है. बच्ची जन्मजात ही डेवलपमेंटल डिस्प्लेसिया हिप (कूल्हे के डिस्लोकेशन) से परेशान थी. 4 अलग-अलग सर्जरी के बाद उसका कूल्हा सही जगह पर लाया गया. सफल सर्जरी के बाद बच्ची बिल्कुल स्वस्थ है. 2 महीने बाद वह खुद से सामान्य तरीके से चल पाएगी. यह पूरी सर्जरी आस्थालोक हॉस्पिटल में हुआ.
3 घंटे से ज्यादा समय तक चली सर्जरी
डॉ. (प्रो.) महेश प्रसाद ने बताया कि 3 घंटे से ज्यादा समय तक सर्जरी चली, जिसमें 4 अलग-अलग तरीके का ऑपरेशन किया गया. कूल्हा अपनी जगह फिट ना होकर ऊपर की ओर चला गया था, जिसके कारण वह लंगड़ा कर चलती थी. उम्र बढ़ने के साथ चलने में परेशानी बढ़ती जा रही थी, जिसके बाद उसे सर्जरी के लिए लाया गया। सबसे पहले कंटेनमेंट के जरिए हड्डी को नैचुरल जगह पर लाया गया. इसके बाद पेल्विक ऑस्टियोटॉमी में हड्डी को रिशेप किया गया ताकि फिर से वह डिस्लोकेट ना हो जाए. तीसरी सर्जरी फिमोरल ऑस्टियोटॉमी शॉर्टेनिंग के जरिए फीमर हड्डी को सेट किया गया. चौथी सर्जरी में कैप्सूल को रिकन्स्ट्रक्ट किया गया. हमने कूल्हे को सही जगह पर फिट कर दिया है. अब वह सामान्य तरीके से चल पाएगी. सर्जरी को सफल बनाने में डॉ. प्रो. महेश प्रसाद को डॉ. चांद और डॉ. सृजन प्रसाद ने सहयोग दिया.
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डेवलपमेंटल डिस्प्लेसिया हिप का इलाज संभव: डॉ. (प्रो.) महेश प्रसाद
डॉ. (प्रो.) महेश प्रसाद ने बताया कि इस तरह की समस्या जन्मजात होती है, लेकिन इसे बचपन में ही ठीक कर दिया जाता है, जो कम तकलीफदेह होता है. उम्र बढ़ने के साथ सर्जरी काफी तकलीफदेह हो जाती है. ऐसी असामान्यता अगर किसी बच्चे में दिखे तो उसे बचपन में ही डॉक्टर से मिलना चाहिए. यह ठीक किया जा सकता है.
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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.