Health news, Coronavirus, covid 19, heart disease : कोरोनो वायरस (Coronavirus) रोगियों के स्वस्थ होने के बाद केवल फेफड़े (Lungs) गंभीर रूप से प्रभावित नहीं हो रहे हैं, बल्कि हृदय पर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है. एक नए अध्ययन (Coronavirus new Research) के अनुसार, कोविड-19 (Covid-19) के 78 प्रतिशत रोगियों का हृदय स्वास्थ्य प्रभावित (Heart Problem), उनके कोरोना संक्रमण से पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद हुआ है.
अध्ययन में यह भी पाया गया कि 60 प्रतिशत लोग जो कोविड-19 से संक्रमित थे, उनके हृदय की मांसपेशियों में सूजन (मायोकार्डिअल सूजन) देखने को मिली है. यह दावा ‘जामा कार्डियोलॉजी’ पत्रिका का है, जो इसी सोमवार को प्रकाशित हुई है.
आपको बता दें कि जेएएमए (जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन) द्वारा किए गए एक नमूना अध्ययन के अनुसार, 100 कोविड-19 रोगियों के एमआरआई परिणामों की जांच की गई. यह अध्ययन अप्रैल-जून के महीनों के बीच किया गया था. अध्ययन में सभी रोगी 40-50 की उम्र के बीच थे और इन्होंने संक्रमण को मात दी थी.
इन 100 रोगियों में 67 रोगी घर कोरेंटाइन थे. किन्हीं कि स्थिति विषम तो कोई हल्के लक्षणों से पीड़ित था. जबकि, बाकी 23 प्रतिभागी अस्पताल में भर्ती थे. शोधकर्ताओं ने दिल पर कोविड-19 के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एमआरआई (MRI), रक्त परीक्षण और हृदय ऊतक बायोप्सी सहित कई प्रकार के उपकरणों का प्रयोग किया था. शोधकर्ताओं ने कहा कि कोविड-19 के हृदय संबंधी परिणामों पर विशेष अध्ययन की आवश्यकता है.
संक्रमण से ठीक हो चुके 100 में से 78 रोगियों में हृदय की क्षति और सूजन के लक्षण पाए गए. इतने बड़े प्रतिशत के लोगों के दिल के स्वास्थ्य पर पड़े प्रभावों से शोधकर्ता चिंता में हैं. यह अध्ययन यह बताता है कि अभी मरीजों के स्वस्थ होने के बाद पड़ने वाले विभिन्न स्वास्थ्य प्रभावों पर विशेष अध्ययन की जरूरत है.
भारत में विशेषज्ञ, कोविड-19 रोगियों के अस्पताल से छुट्टी के बाद लंबे समय तक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के लिए क्लिनिकल ट्रायल किया जा रहा है. क्योंकि अन्य देशों से आ रहें आंकड़े यही बता रहे हैं कि रोगियों पर संक्रमण के बाद भी प्रभाव लंबे समय तक हो सकता है.
78 प्रतिशत लोगों में हृदय संबंधी समस्या आना काफी गंभीर मामला है. और वायरस के बाद हो रहे इसके प्रभावों में जो हृदय में सूजन की समस्या दिख रही है वह काफी चिंतनीय है. हालांकि, किसी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए बड़े अध्ययन की आवश्यकता है.
लाइफ कोर्स महामारी विज्ञान के प्रमुख और भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के डॉ. गिरिधर बाबू ने अंग्रेजी वेबसाइट एचटी को बताया कि इस अध्ययन को भारत में भी किया जा सकता है. लेकिन, इसके लिए भारी मात्रा में धन और डेटा की जरूरत होगी.
यहां चिकित्सकों ने पाया है कि कोविड-19 अस्पताल से छुट्टी के बाद रोगियों में किडनी, लीवर, यहां तक कि आंखों सहित अन्य दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तकनीकी विंग के तहत संयुक्त निगरानी समूह-स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वतंत्र रूप से कोविड अस्पताल से रिकवरी के बाद होने वाले स्वास्थ्य जटिलताओं के क्लिनिकल आंकड़ों की समीक्षा कर रहे हैं.
इस समूह की अध्यक्षता अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ. राजीव गर्ग कर रहे हैं. जिनके साथ दिल्ली के विशेषज्ञ डॉक्टर और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), भारत के प्रतिनिधि विशेषज्ञ भी शमिल हैं.
यह डेटा देशभर के कई अस्पतालों से एकत्र किया जा रहा है. जो कोविड-19 रोगियों का इलाज कर रहे हैं. इसमें दिल्ली के तीन अस्पताल भी शामिल हैं. जिनमें केंद्र सरकार द्वारा संचालित सफदरजंग अस्पताल, राम मनोहर लोहिया अस्पताल और लेडी हार्ड अस्पताल. इनके अलावा, कोविड-19 रोगियों का इलाज करने वाले छह अन्य अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों से नैदानिक डेटा भी मांगा जा रहा है.
Posted By : Sumit Kumar Verma
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.