AIDS awareness: जाने कितनी घाटक बीमारी है एड्स?

एड्स एक गंभीर बीमारी है जो एचआईवी के संक्रमण से होती है. यह बीमारी इम्यून सिस्टम को कमज़ोर बना देता है. लेकिन, जागरूकता, सही जानकारी और सावधानी बरतकर इससे बचाव किया जा सकता है. एड्स के प्रति समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करना और संक्रमित लोगों को उचित देखभाल और समर्थन देना हमारा कर्तव्य है. आइए इसे विस्तार से जानते हैं.

By Jaya Soni | July 20, 2024 5:16 PM

AIDS awareness: एड्स (AIDS) एक घातक बीमारी है जिसे ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) के संक्रमण से होती है. यह वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को कमजोर कर देता है, जिससे रोगी अन्य संक्रमणों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है. एड्स के कारण व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी कम हो जाती है कि साधारण संक्रमण भी जानलेवा साबित हो सकते हैं.

एड्स के लक्षण

एड्स के प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, ठंड, सिरदर्द, गले में खराश, जोड़ों में दर्द और सूजन शामिल हैं. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, रोगी को वजन कम होना, लगातार थकान, लंबे समय तक दस्त, त्वचा पर चकत्ते, और बार-बार संक्रमण होने जैसे गंभीर लक्षण देखने को मिलते हैं. एड्स का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इसके लक्षण कई बार शुरुआती चरणों में प्रकट नहीं होते, जिससे इसे समय पर पहचान पाना मुश्किल हो जाता है.

एचआईवी का संक्रमण कैसे फैलता है?

एचआईवी मुख्यतः संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य (semen), योनि द्रव (vaginal fluid), और मां के दूध के माध्यम से फैलता है. यह असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुईयों का उपयोग, संक्रमित रक्त का संक्रमण, और संक्रमित मां से बच्चे में गर्भावस्था, प्रसव (delivery) या स्तनपान के दौरान फैल सकता है.

एड्स की रोकथाम

एड्स की रोकथाम के लिए कई उपाय अपनाए जा सकते हैं.

सुरक्षित यौन संबंध

कंडोम का उपयोग करके संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है.

सुईयों का सुरक्षित उपयोग

सुईयों और अन्य मेडिकल उपकरणों को साझा नहीं करना चाहिए.

एचआईवी परीक्षण

नियमित एचआईवी परीक्षण करवाना चाहिए, विशेषकर गर्भवती महिलाओं को.

शिक्षा और जागरूकता

लोगों को एड्स के बारे में सही जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे इससे बचाव कर सकें.

एड्स का उपचार

वर्तमान में एड्स का कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) के माध्यम से रोगी के जीवन को बढ़ाया और बेहतर बनाया जा सकता है. यह थेरेपी एचआईवी के प्रभाव को कम करके रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली  को मजबूत बनाती है.

एड्स से जुड़ी ग़लतफ़हमी

कई लोग एड्स के बारे में गलत धारणाओं के शिकार होते हैं, जैसे कि यह केवल समलैंगिक पुरुषों में फैलता है, या फिर संक्रमित व्यक्ति के साथ हाथ मिलाने या एक ही बर्तन में खाने से एचआईवी फैलता है. यह सभी भ्रांतियाँ गलत हैं. एड्स केवल ऊपर दिए गए तरीकों से फैलता है.

एड्स के प्रति समाज का रवैया

एड्स से पीड़ित लोगों को अक्सर समाज में भेदभाव का सामना करना पड़ता है. यह भेदभाव रोगियों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है. समाज को एड्स के प्रति अपनी सोच बदलनी चाहिए और संक्रमित लोगों के प्रति सहानुभूति और समर्थन का प्रदर्शन करना चाहिए.

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