भारत में हर 2 में से 1 महिला को है एनीमिया की समस्या, क्या है इसके लक्षण और उपचार, पढ़े पूरी रिपोर्ट

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किये गये पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, देश के केंद्रशासित प्रदेशों में से 13 में आधे से अधिक बच्चे और महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं. विशेषज्ञ से जानिए इसकी गंभीरता को समझना क्यों है जरूरी.

By Prabhat Khabar News Desk | February 8, 2023 2:27 PM

शमीम खान, लेखक : पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एनीमिया की समस्या (Anemia Problem) अधिक नजर आती है. साधारण शब्दों में शरीर में रक्त की कमी को एनीमिया कहा जाता है. शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की कमी होने से आपको न सिर्फ थकान महसूस होगा, बल्कि कई अन्य समस्याएं भी शुरू हो सकती हैं. दरअसल, दुनियाभर में सबसे अधिक एनीमिया रोगी (39.86 प्रतिशत) भारत में हैं. यही वजह है कि भारत सरकार द्वारा महिलाओं, बच्चों और किशोरों में एनीमिया को कम करने के लक्ष्य के साथ एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) अभियान चलाया जा रहा है. पूरी दुनिया में शरीर में आयरन की कमी को एनीमिया का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है.

क्या है एनीमिया

हमारे शरीर की कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों में लाल रक्त कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन द्वारा पहुंचाया जाता है. शरीर में आयरन की कमी से लाल रक्त कणिकाओं और हीमोग्लोबिन का निर्माण प्रभावित होता है. इससे कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जो काबोहाइड्रेट और वसा को जलाकर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जरूरी है. इससे शरीर और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है. इस स्थिति को ही एनीमिया कहते हैं.

किन स्थितियों में होता है एनीमिया

एनीमिया किसी को कभी भी हो सकता है, लेकिन ऐसे लोग जो किसी बीमारी से पीड़ित हैं. उनमें इसके होने की आशंका अधिक होती है, जैसे- गंभीर किडनी रोग, डायबिटीज, हृदय रोग, रुमेटाइड अर्थराइटिस, जिनकी कोई गंभीर सर्जरी हुई हो, इनके अलावा महिला होना एनीमिया का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाता है. साथ ही ऐसे लोग, जो लोग वेजिटेरियन हैं और खान-पान में लापरवाही बरतते हैं, उन्हें आयरन की कमी वाले एनीमिया का अधिक खतरा अधिक हो सकता है.

क्या हैं इसके लक्षण

कमजोरी और थकान महसूस होना, ध्यानकेंद्रन में परेशानी आना, दिल की धड़कन आसामान्य हो जाना, सांस उखड़ना और चक्कर आना, यह सामान्य लक्षण हैं, लेकिन अगर यह स्थिति लगातार बनी रहे तो कई गंभीर लक्षण भी नजर आ सकते हैं, जैसे- छाती में दर्द, सिरदर्द या पैरों में दर्द हो होना. जीभ में जलन होना, मुंह और गला सूखना. मुंह के कोनों पर छाले हो जाना. बालों का कमजोर होकर टूटना. भोजन निगलने में तकलीफ होना. त्वचा, नाखून और मसूड़ों का पीले पड़ जाना. साथ ही इसके लगातार बने रहने से तंत्रिका संबंधी गड़बड़ी हो जाती है, विशेषकर बच्चों में चिड़चिड़ापन. गंभीर होकर यह अवसाद का रूप ले लेता है.

महिलाएं क्यों होती हैं आसान शिकार

पुरुषों की तुलना में महिलाएं एनीमिया की अधिक शिकार होती हैं. वजन कम करने के लिए डायटिंग कर रही लड़कियां भी इसकी शिकार हो जाती हैं. इसके अलावा मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होने, गर्भाशय में ट्यूमर होने पर भी एनीमिया होने की आशंका बढ़ जाती है. स्तनपान कराने वाली महिलाओं में भी एनीमिया होने का खतरा रहता है. एक स्वस्थ महिला के शरीर में हीमोग्लोबीन का सामान्य स्तर 11 ग्राम/डीएल होता है, अगर यह स्तर 9-7 ग्राम/डीएल हो तो यह माइल्ड एनीमिया होता है, जो खान-पान में बदलाव लाकर ठीक हो सकता है. यह स्तर 6-4 ग्राम/डीएल हो, तो उसे सीवियर एनीमिया कहते हैं. इसमें तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है.

क्या कहते हैं एनएफएचएस-5 के आंकड़े

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में हर दो में से एक महिला को एनीमिया है. सामान्य महिलाओं में इसका प्रसार लगभग 57 प्रतिशत और गर्भवती महिलाओं में 52 प्रतिशत है. इनमें से सात में से एक महिला ऐसी है, जिसमें हीमोग्लोबिन की मात्रा सात ग्राम/डीएल है. यह अवस्था उनके और उनके गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए घातक है. भारत में बच्चे भी बड़ी संख्या में इसके शिकार हैं. सर्वे के अनुसार, पांच वर्ष से कम उम्र के हर चार में से तीन बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं. इससे उनका उचित शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता और जीवन प्रभावित होता है. विशेषज्ञों के अनुसार, 18 से 50 वर्ष की महिलाओं को लगभग 19 एमजी आयरन की जरूरत होती है.

आयरन के लिए सुपर फूड्स

एनीमिया का सबसे प्रमुख कारण आयरन की कमी है, इसलिए आयरन से भरपूर भोजन लें. आयरन के अच्छे स्रोत हैं- लाल मांस, साबुत अनाज, अंडे, सुखे मेवे, हरी पत्तेदार सब्जियां, मटर, बादाम, खुबानी, फलियां, किशमिश आदि. हालांकि, ध्यान रहे कि आयरन के स्रोत ऐसे हों, जो शरीर द्वारा आसानी से ग्रहण किये जा सकें. हमारा शरीर पादप उत्पादों के मुकाबले पशु उत्पादों से मिलने वाले आयरन (हेम आयरन) को आसानी से ग्रहण कर लेता है. मानव शरीर हेम आयरन 15-35 प्रतिशत, जबकि पादप आयरन का 2 से 10 प्रतिशत ही इस्तेमाल कर पाता है. ऐसे में जो लोग मांसाहारी हैं, वह सप्ताह में एक बार मांसाहार जरूर करें.

क्या हैं इसके होने के कारण

एनीमिया रक्त से संबंधित सबसे सामान्य समस्या है. यह कई प्रकार की होती है, जिसके कारण अलग-अलग होते हैं.

  • रक्त कोशिकाओं का अत्यधिक मात्रा में नष्ट हो जाना.

  • अलग-अलग कारणों से लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में कमी आ जाना.

  • हेमरेज या लगातार रक्त बहने से रक्त की मात्रा का कम हो जाना.

  • फोलेट, विटामिन बी12 और विटामिन ए की कमी.

  • संक्रमण या लंबी बीमारी या आनुवंशिक कारण.

बच सकते हैं इस खतरे से

  • हमेशा संतुलित भोजन खाएं, जिसमें मांस, अंडे, साबुत अनाज, सुखे मेवे, फल और हरी पत्तेदार सब्जियां भरपूर मात्रा में हों.

  • अगर किसी महिला को मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव अधिक हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं, क्योंकि इससे शरीर में आयरन के संग्रह में तेजी से कमी आती है.

  • अगर कोई महिला मां बनने वाली (गर्भवती) है या वह मां बनना चाहती है, तो डॉक्टर की सलाह से आयरन के सप्लीमेंट जरूर लें.

  • समय से पहले जन्मे बच्चों में आयरन की कमी हो जाती है. ऐसे बच्चों के खान-पान पर विशेष ध्यान दें.

इन जांचों से होगी पहचान

एनीमिया रक्त से संबंधित बीमारी है, जिसे शरीर में रक्त की कमी होना भी कहा जाता है. इसके बावजूद रक्तअल्पता की इस स्थिति को पहचानना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण बहुत सामान्य होते हैं. एनीमिया की पहचान व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री, शारीरिक जांच और रक्त परीक्षण द्वारा की जाती है, जिसमें रक्त में लाल रक्त कणिकाओं और हीमोग्लोबिन के स्तर को मापने के लिए कंप्लीटट ब्लड काउंट (सीबीसी) भी शामिल होता है.

कितने प्रकार का होता है एनीमिया

  • अप्लास्टिक एनीमिया : एनीमिया का यह काफी दुर्लभ स्वरूप है. इस स्थिति में शरीर पर्याप्त आरबीसी का उत्पादन नहीं करता है.

  • आयरन की कमी से एनीमिया : यह सबसे आम तरह का एनीमिया है. यह शरीर में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया है.

  • सिकल सेल एनीमिया : यह एक आनुवंशिक एनीमिया होता है. इसमें असामान्य हीमोग्लोबीन की वजह से लाल रक्त कणिकाएं सिकल (हंसिया) के आकार की हो जाती हैं. यह उनकी ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता और रक्त प्रवाह की मात्रा को कम करता है.

  • विटामिन की कमी से होने वाला एनीमिया : विटामिन बी 12 की कमी से भी एनीमिया हो सकता है. यदि आप सही मात्रा में विटामिन बी 12 युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करते हैं.

कितना घातक है यह रोग

एनीमिया एक सामान्य और पूरी तरह ठीक होने वाली स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन अगर समय रहते इसका उपचार न किया जाये तो यह जीवन के लिए घातक जटिलताएं भी पैदा कर सकता है. जब लाल रक्त कणिकाओं की संख्या कम हो जाती है, तब पूरे शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए हृदय को ज्यादा रक्त पंप करना पड़ता है. अगर हृदय इतनी मेहनत करेगा, तो उसकी धड़कन बढ़ जायेगी और इससे एक गंभीर अवस्था लेफ्ट वेंट्रीक्यूलर हाइपरट्रॉफी (एलवीएच) हो जायेगी, जिसमें हृदय की मांसपेशियां का आकार बढ़ जाता है. इससे हार्ट फैल्योर होने या लाल रक्त कणिकाओं के जल्दी नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है.

क्या हैं इसके उपचार

एनीमिया का उपचार, इसकी गंभीरता और कारणों पर निर्भर करता है. एनीमिया को ठीक होने में छह से नौ महीने का समय लग जाता है, क्योंकि हमारा शरीर सीमित मात्रा में ही आयरन का अवशोषण कर पाता है. अगर एनीमिया ज्यादा गंभीर नहीं है, तो संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन के सेवन के द्वारा इसे दूर किया जा सकता है. आहार में प्रोटीन, आयरन, विटामिन्स विशेषकर बी कॉम्पलेक्स और सी भरपूर मात्रा में हों. एनीमिया के गंभीर होने पर आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन बी 12 के सप्लीमेंट्स भी लिये जा सकते हैं.

सबसे प्रभावी उपचार आयरन सप्लीमेंट

इसका सबसे प्रभावी उपचार आयरन के सप्लीमेंट्स हैं, लेकिन कई लोगों को इससे पेट में जलन होती है, इसलिए इससे बचने के लिए भोजन के बाद ही इसका सेवन करें. आयरन के सप्लीमेंट्स से मल का रंग काला हो सकता है और कब्ज या डायरिया भी हो सकता है, इसलिए इनका सेवन अधिक मात्रा में न करें. आयरन की गंभीर कमी को इंट्रावीनस आयरन थेरैपी के द्वारा भी ठीक किया जा सकता है. इसके द्वारा आयरन मांसपेशियों या इंट्रावीनस लाइन में इंजेक्ट किया जाता है. रक्त चढ़ाना भी इसका एक उपचार हो सकता है, लेकिन इससे जुड़ी जटिलताओं के कारण यह उपचार ज्यादा प्रचलित नहीं है.

घरेलू उपाय भी हैं सहायक

घरेलू उपाय के जरिये प्राकृतिक तरीके से सिर्फ एनीमिया से निबटने में ही सहायक नहीं हैं, बल्कि आयरन की कमी का स्थायी समाधान भी हैं.

  • एक कप चुकंदर के जूस में एक कप सेब का जूस और एक चम्मच शहद मिलाएं, इसका दिन में एकबार सेवन करें.

  • दिन में दो बार एक पका हुआ केला एक छोटे चम्मच शहद के साथ लें.

  • 10 मुनक्का को रातभर भिगोएं और सुबह खाली पेट बीज निकाल कर खा लें.

  • टमाटर और सेब का जूस पीएं. अधिक मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं, इनका रंग जितना गहरा होगा, उनमें आयरन की मात्रा उतनी ही अधिक होगी.

  • शहद एनीमिया के रोगियों के लिए बहुत अच्छा होता है, क्योंकि यह रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाता है. यह आयरन, कॉपर और मैग्नीशियम से भरपूर होता है.

  • रोज दो-तीन सेब खाएं यह आयरन से भरपूर होते हैं. यह एनीमिया का एक बेहतरीन उपचार है.

  • सात बादाम को रात को भिगो दें और सुबह खाली पेट खाएं.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Next Article

Exit mobile version