आरती श्रीवास्तव
Antibiotic Side Effects: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये एक शोध से यह सच सामने आया है कि कृषि और मवेशियों में एंटीबायोटिक के बढ़ते उपयोग ने मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को संकट में डाल दिया है. इस शोध के मुताबिक फॉर्म में पाली गयी मुर्गियां और सूअर बड़े पैमाने पर ऐसे बैक्टीरिया का स्रोत हो सकते हैं, जो मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए कहीं अधिक प्रतिरोधी हो सकते हैं.
यानी इन पर एंटीबायोटिक दवाइयों का असर नहीं होगा. ऐसे में इनके द्वारा भविष्य में महामारी भी फैल सकती है. वैज्ञानिकों ने चेताया है कि यदि मवेशियों को जल्द बड़ा करने के लिए इसी तरह से उन पर एंटीबायोटिक दवाओं का निरंतर उपयोग होता रहा, तो बैक्टीरिया के ऐसे एट्रेन उत्पन्न हो सकते हैं, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की पहली पंक्ति को भेद सकते हैं. प्रतिरक्षा प्रणाली में रक्षा की पहली पंक्ति उस ढाल को कहते हैं, जो रोगाणुओं को शरीर में प्रवेश करने से रोकती है.
इस शोध का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर क्रेग आर मैकलीन का कहना है कि मुर्गियों को मोटा करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कर हमने अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली से ही खिलवाड़ किया है. लांसेट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट की मानें, तो एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (एएमआर) मलेरिया और एड्स की तुलना में कहीं अधिक लोगों की मौत का कारण बन रहा है. वर्ष 2019 में एएमआर के कारण सीधे तौर पर लगभग 13 लाख लोगों की जान चली गयी थी.
विश्व बैंक का अनुमान है कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस) का उपचार कराने के कारण 2030 तक लगभग ढाई करोड़ अतिरिक्त लोग गरीब हो सकते हैं. एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस उस स्थिति में उत्पन्न होता है जब रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीवी और परजीवी एंटीबायोटिक दवाओं के लगातार संपर्क में रहते हैं और इस कारण वे अपने शरीर को इन एंटीबायोटिक के अनुरूप ढाल लेते हैं और धीरे-धीरे इनके प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं. परिणाम होता है कि इन पर एंटीबायोटिक दवाओं का कोई प्रभाव नहीं होता और संक्रमित मनुष्य लंबे समय तक बीमारी से जूझता रहता है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.