Hypersomnia: अगर आप भी ज्यादा नींद आने की समस्या का सामना कर रहे हैं तो इसके पीछे का कारण स्लीप डिसऑर्डर हो सकता है, जिसे हाइपरसोमनिया कहते हैं. इस स्लीप डिसऑर्डर के कारण इंसान हमेशा थका-थका महसूस करता है. स्लीप डिसऑर्डर कई प्रकार के होते हैं. कुछ लोग इस समस्या से पारेशान हैं कि उन्हे नींद ही नहीं आती जिसे INSOMNIA कहते हैं और कुछ इस बात से बेचैन हैं कि उन्हें आधिकांश समय नींद आती रहती है. विशेषज्ञों के अनुसार करीब 40 प्रतिशत लोग ज्यादा नींद आने की समस्या से परेशान रहते हैं.
दरअसल हाइपरसोमनिया एक ऐसा स्लीप डिसॉर्डर है जिसमें इंसान को हर पल नींद आती है. इस कंडिशन में इंसान अगर रात में 7 से 8 घंटे की भी नींद पूरा कर लेता है तब भी वह व्यक्ति दिन में ज्यादा नींद आने से बेचैन रहता है. ऐसा पीड़ित व्यक्ति हर वक्त सोने के लिए व्याकुल रहता है. आमतौर पर कई बार बहुत लोगों को दिन के वक्त नींद आती ही है. यह रात मे प्रापर स्लीप न लेने के वजह से होता है. लेकिन आपको बात दें कि हाइपरसोमनिया इस हालात से अलग है. हाइपरसोमनिया में अगर इंसान लंबे समय सोने के बाद भी उठे तो उसे दोबारा नींद आती है और उसे ऐसा महसूस होता है कि उसकी नींद अच्छे से पूरी नहीं हुई. इस स्लीप डिसॉर्डर के कारण उस पीड़ित व्यक्ति को बहुत बार शर्मिंदगी का सामना भी करना पर सकता है. हद से ज्यादा नींद आना और आलसपन की वजह से उनके रोजमर्रा की जिंदगी में उन्हें उनके बुनियादी कार्य करने तक में अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है.
हाइपरसोमनिया 2 प्रकार के होते हैं.
प्राइमरी हाइपरसोमनिया
जब किसी व्यक्ति के मस्तिष्क के तंत्र नींद में जागने और नींद से उठने की क्रिया को ठीक से संचालित नहीं कर पाते हैं, तो यह प्राइमरी हाइपरसोमनिया की समस्या है.
सेकेंडरी हाइपरसोमनिया
अगर किसी व्यक्ति को हर पल गहरी नींद की समस्या रहती है और वह हमेशा थकान से परेशान रहता है तो यह सेकेंडरी हाइपरसोमनिया है.
हाइपरसोमनिया की समस्या नींद पूरी ना होना, नैक्रोप्लास्टी, शराब और नशीली दवाइयों के सेवन, कैफिन, स्लीप एप्निया, मोटापा, न्यूरोलॉजिकल समस्या, हाइपो-थाइरॉएडिज्म और किडनी के रोग की वजह से हो सकती है.
अगर आप नीचे दिए गए कुछ समस्याओं से परेशान हैं तो हो सकता है कि यह हाइपरसोमनिया के शुरुआती लक्षण हों
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हर समय थकान महसूस होना.
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दिन में नींद आना.
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सोचने और निर्णय लेने में परेशानी होना.
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ऊर्जा की कमी महसूस होना.
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चिड़चिड़ापन.
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भूख न लगना.
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एकाग्रता में कठिनाई.
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बेचैनी महसूस होना.
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अधिक सोने के बावजूद सुबह उठने में दिक्कत होना.
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अगर आपको ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे तो आप अपने डॉक्टर से इसकी चर्चा जरूर करें. आप अपने दैनिक जीवन में कुछ अच्छे बदलाव कर सकते हैं जैसे:
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स्लीप हाइजीन का ध्यान रखना, सोने से पहले सिगरेट,अल्कोहॉल और कैफीन युक्त ड्रिंक्स से परहेज रखना.
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वजन को नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें.
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पोषण की कमी से बचाव के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करें.
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रोजाना तय वक्त पर सोने की आदत डालें.
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बेडरूम का तापमान न ज्यादा हो न कम हो.
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बेडरूम में टीवी न देखें.
यदि आपको यह समस्या है तो डॉक्टर ब्लड टेस्ट, सीटी स्कैन और स्लीप टेस्ट जैसे जरूरी कदम उठा सकते हैं. इसके साथ आपके डॉक्टर आपकी धड़कन, मस्तिष्क की गतिविधियों और सांसों पर भी नजर रख सकते हैं.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.