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Baby Care Tips: गर्मियों में शिशुओं को होने वाली 2 जटिल समस्याएं, बचाव करने के लिए करें ये उपाय

Baby Care Tips: गर्मी के दिनों में नवजात बच्चे का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. कुछ पेरेंट्स ऐसे होते हैं जिन्हें यह नहीं पता होता है कि 6 माह के शिशु को पानी नहीं पिलाना होता है, चलिए जानते हैं पूरी डिटेल...

Baby Care Tips: 9 महीने की लंबी संघर्षपूर्ण प्रतीक्षा के बाद जब एक मां को उसका बच्चा गोद में मिलता है तो वो उसके भरण पोषन में कोई कमी नहीं होने देती है. लेकिन कुछ पेरेंट्स जो पहली बार पेरन्ट्हुड अनुभव कर रहे होते हैं उनके लिए बच्चे की परवरिश करना थोड़ा कठिन हो सकता है. अक्सर कुछ पेरेंट्स को लगता है कि गर्मियों में उनके 6 माह के शिशु के शरीर में पानी की कमी ना हो इसके चलते वो उसे पानी पिलाने की गलती कर देते हैं, जो नहीं करनी चाहिए. ऐसी ही बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी कुछ और गलतियां और उपाय, आइए जानते हैं.

परेशानी का कारण हो सकती हैं ये दो समस्याएं

नवजात शिशु के नाजुक होने के चलते उसे ज़्यादा देखभाल की जरूरत होती है, जरा सी भी चूक उनके सेहत पर दुष्प्रभाव डाल सकती है. नए माता पिता के लिए डॉक्टर्स ने बच्चे की देखभाल के लिए कुछ ज़रूरी टिप्स साझा किए हैं. बताते हैं की बच्चे इंसानों का छोटा रूप नहीं होते हैं बल्कि ये उनसे बिल्कुल अलग होते हैं, इसीलिए पीडीअट्रिशन को अलग से पढ़ाई करनी पड़ती है.

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  • डॉक्टर्स के अनुसार पेरेंट्स को बच्चे की कभी अपने आप से तुलना नहीं करनी चाहिए, कारण क्योंकि शिशुओं में और उनमें जन्म काफी अंतर होता है और उनसे अलग तरह से ही पेश आना चाहिए. ध्यान रहे 6 माह से कम के बच्चों को पानी नहीं पिलाना चाहिए. क्योंकि इतने छोटे बच्चों के शरीर में पानी की कमी मां का दूध ही पूरा कर देता है और अगर शिशु पाउडर वाला दूध पीता है तो वो भी पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. डॉक्टरों ने और जानकारी देते हुए बताया की मां का दूध 80 से 90 पानी ही होता है और पाउडर वाला दूध भी पानी से बनता है. अब जब बच्चा मां का या पाउडर दूध पीता है, तो उसके शरीर की जरूरत के हिसाब से उसको पर्याप्त पानी मिल जाता है. फिर जब बच्चा 6 महीने बाद खाना खाने लगता है तो उसे पानी भी दिया जा सकता है, किन्तु 6 माह तक पानी बिल्कुल नहीं देना चाहिए.

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  • शिशुओं का रोजाना मल ना करना भी पेरेंट्स की कॉमन शिकायत होती है, जिससे समस्या हो सकती है. ऐसा होने का कारण है बच्चों की आंतों में पाचन प्रक्रिया धीमी गति से होती है, जिससे मल बनने में समय लगता है. लेकिन इससे ये नहीं साबित होता है की बच्चे को कब्ज है, बच्चा अगर 8-10 दिन के अंतर पर मल करता है, और पेस्ट जैसा सॉफ्ट मल करता है तो यह कोई चिंता का विषय नहीं है. अगर बच्चे का मल 8-10 दिन के अंतर पर हार्ड और बकरी के मल जैसा होता है, तो पेरेंट्स को तत्काल प्रभाव से डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

रिपोर्टः श्रेया ओझा

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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