डॉ अनुराग अग्रवाल
आर्थोपेडिक्स एवं जॉइंट रिप्लेसमेंट, मैरिंगो हॉस्पिटल्स, फरीदाबाद
आलेख : रजनी अरोड़ा
पीठ दर्द का एक अहम कारण रीढ़ की हड्डी या स्पाइन में आयी गड़बड़ी हो सकती है. दरअसल, जब भी स्पाइन की वर्टिब्रा में कोई समस्या हो या स्पाइन की डिस्क की वजह से किसी नर्व पर दबाव पड़ रहा हो, तो पीठ दर्द की समस्या होती है. पीठ दर्द की शिकायत इन दिनों आम हो गयी. खराब जीवनशैली व लगातार बैठ कर काम करने के चलते इस समस्या को बढ़ावा मिल रहा है.
रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क के पिछले भाग से नीचे श्रोणी के पास तक जाती है. यह छोटी-छोटी 33 हड्डियों की श्रृंखला से बनती है, जिन्हें वर्टिबा कहा जाता है. स्पाइन की हड्डियां लिंगामेंट, टेंडनंस, नसों और डिस्क से जुड़ी होती हैं. यह मस्तिष्क और शरीर के दूसरे अंगों तक संदेश का आदान-प्रदान करने में मदद करती हैं. रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती है. एक स्वस्थ रीढ़ हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है. यह पूरे शरीर के वजन को सहन करने के साथ-साथ पूरे शरीर को कंट्रोल भी करती है.
गलत पॉश्चर
स्पाइन के 80 प्रतिशत मरीजों में पीठ दर्द की समस्या गलत पॉश्चर की वजह से होती है. यानी हमारा उठना-बैठना, खडे़ होना, चलने, खड़े होने, सोने का पॉश्चर गलत हो. लंबे समय तक उसी गलत पॉश्चर को अपनाये रहते हैं, जिसकी वजह से धीरे-धीरे पीठ में दर्द होना शुरू हो जाता है.
आरामतलब जीवनशैली
कई बार पीठ दर्द हमारी आरामतलब जीवनशैली की वजह से भी होता है. अगर हम लंबे समय तक बैठे हुए काम करते हैं और बीच में कोई ब्रेक नहीं लेते या कोई एक्सरसाइज शेड्यूल नहीं है. ऐसी स्थिति में हड्डियों में अकड़न की वजह से स्पाइन में दर्द की शिकायत हो सकती है.
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गलत खान-पान
हमारी हड्डियां कमजोर होने की एक बड़ी वजह गलत खान-पान भी रहती है. धूप का एक्सपोजर न हो पाने या आहार में कैल्शियम, विटामिन डी की कमी होने की वजह से भी पीठ दर्द या गर्दन का दर्द होना शुरू हो जाता है.
स्लिप डिस्क
कई बार भारी वजन उठाने या किसी भारी सामान को खींचने से भी रीढ़ के हिस्से में दबाव पड़ता है. इससे स्पाइन डिस्क खिसक कर पीछे चली जाती है और नसों को दबाना शुरू कर देती है. इस दबाव से पीठ दर्द होता है.
इंफेक्शन होने पर
काफी दिनों तक ट्यूबरक्लोसिस इंफेक्शन की वजह से भी स्पाइन में दर्द बना रहता है. इसमें मरीज को पीठ दर्द के साथ शाम के समय शरीर भारी लगता है.
एंक्लोजिंग स्पॉडिलाइटिस
स्पाइन में सूजन व आर्थराइटिस की वजह से पूरी स्पाइन को जकड़ लेता है और उसका मूवमेंट खत्म करना शुरू कर देता है.
ऑस्टियोपोरोसिस
खासकर बड़ी उम्र की महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस से स्पाइन की वर्टिबा में छोटे-छोटे माइल्ड फ्रैक्चर होना शुरू हो जाते हैं.
अगर मरीज को पीठ दर्द के साथ-साथ अपनी स्पाइन में सुबह के समय बहुत ज्यादा जकड़न महसूस हो रही हो और यह धीरे-धीरे बढ़ रहा हो. आराम करने के बावजूद दर्द ठीक न हो रहा हो या बार-बार लौटकर आ रहा हो. यदि पीठ दर्द 10-12 दिन से ज्यादा बना हो, तो डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए और समुचित उपचार कराना चाहिए.
पीठ दर्द से बचने के लिए पॉश्चर ठीक रखना जरूरी है. बैठने की कुर्सी में हैंड सपोर्ट हो, बैक रेस्ट हो और बैक का एंगल 110 डिग्री के करीब हो, ताकि आपकी कमर पर एंजियोप्रेशर न आये. कुर्सी पर बिल्कुल सीधे बैठें. लंबे समय तक बैठे न रहें. हर आधा घंटे बाद ब्रेक लें.
कंप्यूटर पर काम करते समय आगे की तरफ झुकने की जगह अपने कंप्यूटर के मॉनिटर को सीधा रखें, ताकि पीठ दर्द की समस्या न हो. अगर आपको पीठ दर्द या साइटिका दर्द है, तो कुछ एक्टिविटीज अवायड करें, जैसे- एकदम से आगे झुकना, जमीन से कोई चीज उठाते हुए सीधे न झुक कर घुटने मोड़कर उठाएं, ताकि पीठ पर प्रेशर न आये.
एक्सरसाइज शेड्यूल बनाएं. स्वस्थ वजन मेंटेंन करने के लिए एक्सरसाइज शेड्यूल बनाएं, क्योंकि शरीर का वजन जितना ज्यादा होगा, स्पाइन पर दबाव अधिक पड़ता है. खासकर बैक-फोर-मसल्स स्ट्रेंथनिंग, फ्लेक्शन (आगे झुकने वाली) और एक्सटेंशन (रिवर्स या पीछे झुकने वाली) एक्सरसाइज करें. आर्थराइटिस के मरीज दिन में एक बार अपने सारे जोंड़ों का मूवमेंट जरूर करें.
हर दिन पौष्टिक और संतुलित आहार लें. बढ़ती उम्र में बोन डेंसिटी कम होने के कारण हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. कैल्शियम रिच आहार लेना जरूरी है, इसके साथ विटामिन डी के कैप्स्यूल ले सकते हैं या सन-एक्सपोजर ले सकते हैं.
सोते समय भी ध्यान रखें कि बहुत मुलायम या कड़क गद्दे पर न सोएं. सोते समय बच्चे की तरह घुटने मोड़कर व करवट लेकर सोएं, ताकि स्पाइन पर दवाब कम पड़े. स्पाइन व बैक मसल्स रिलेक्स रहें. बिस्तर पर लेटने से उठते समय एकाएक सीधे न उठें. करवट लें. अपने हाथों की सपोर्ट से पहले अपने शरीर के ऊपरी भाग को उठाएं. आराम से बैठ जाएं, तभी खड़े हों.
केस स्टडी :
सेजल लगभग 20 दिनों से पीठ दर्द को लेकर काफी परेशान थी. शुरू में पीठ दर्द को नजरअंदाज कर पेनकिलर लेकर ऑफिस जाती रही, लेकिन दर्द बढ़ने पर दिनचर्या का काम करना भी दूभर हो रहा था. डॉक्टर को दिखाने पर पता चला कि गलत पॉश्चर में उठने-बैठने की वजह से उसकी कमर की वर्टिब्रा में दबाव पड़ रहा था. इसका असर उसकी रीढ़ की हड्डी पर भी पड़ा है. फिलहाल डॉक्टर ने उसे दवाई के साथ कम-से-कम 2 सप्ताह का मेडिकेशन कोर्स करने, कमर पर बेल्ट लगाने और यथासंभव आराम करने की सलाह दी है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.