कोरोना संक्रमित के शव का पहली बार हुआ पोस्टमार्टम, सफल रही रिसर्च तो सुलझेंगी ये गुत्थियां
Coronavirus postmortems, Covid19, Bhopal AIIMS, Coronavirus, postmortem : देश में पहली बार आईसीएमआर (ICMR) ने कोरोना संक्रमित के शव के पोस्टमार्टम की मंजूरी दी है. जिसके बाद एम्स भोपाल (Bhopal AIIMS) में 58 वर्षीय संक्रमित मरीज का पोस्टमार्टम (postmortem) किया गया. आपको बता दें कि इससे कई राज से परदा उठ सकता है. भोपाल एम्स ने पहले भी रिसर्च के लिए आईसीएमआर से अनुमति मांगी थी. लेकिन, सुरक्षा कारणों से उन्हें इसकी परमिशन नहीं दी गई थी. ऐसे में आइये जानते हैं कैसे मिली उन्हें इसकी इजाजत, क्या सुलझेंगी गुत्थियां व अन्य...
Coronavirus postmortems, Covid19, Bhopal AIIMS, Coronavirus, postmortem : देश में पहली बार आईसीएमआर (ICMR) ने कोरोना संक्रमित के शव के पोस्टमार्टम की मंजूरी दी है. जिसके बाद एम्स भोपाल (Bhopal AIIMS) में 58 वर्षीय संक्रमित मरीज का पोस्टमार्टम (postmortem) किया गया. आपको बता दें कि इससे कई राज से परदा उठ सकता है. भोपाल एम्स ने पहले भी रिसर्च के लिए आईसीएमआर से अनुमति मांगी थी. लेकिन, सुरक्षा कारणों से उन्हें इसकी परमिशन नहीं दी गई थी. ऐसे में आइये जानते हैं कैसे मिली उन्हें इसकी इजाजत, क्या सुलझेंगी गुत्थियां व अन्य…
क्यों किया गया है पोस्टमार्टम
दरअसल, 58 वर्षीय व्यक्ति की कोरोना से मौत के बाद पोस्टमार्टम का आदेश दे दिया गया. विशेषज्ञों की मानें तो रविवार को हुए पोस्टमार्टम से कई गुत्थियों से परदा हट सकता है. इस पोस्टमार्टम का मुख्य उद्देश्य ही था संक्रमित व्यक्ति के मौत के बाद डेड बॉडी पर रिसर्च करना. डॉक्टरों की मानें तो इससे यह पता चल पाएगा कि कोरोना शरीर में कितने लंबे समय तक रह सकता है. इसके अलावा यह वायरस किन-किन अंगों को किस हद तक प्रभावित करता है आदि.
क्या हो सकता था खतरा
कोरोना के बढ़ते प्रसार को देखते हुए यह दिशा-निर्देश पहले से ही जारी किया जा चुका है कि शव के आसपास होने से संक्रमण तक का खतरा हो सकता है. ऐसे में कोरोना संक्रमित के डेड बॉडी के पोस्टमार्टम से स्वास्थ्यकर्मियों को भी संक्रमण का खतरा होने की प्रबल संभावना थी. यही कारण है कि सुरक्षा लिहाज से आईसीएमआर इसकी अनुमति नहीं दे रहा था.
भोपाल एम्स ने पहली भी मांगी थी अनुमति
आपको बता दें कि शव के पोस्टमॉर्टम और रिसर्च के लिए भोपाल एम्स ने पहले भी आईसीएमआर से मंजूरी मांगी थी. हालांकि, सुरक्षा कारणों से अनुमति नहीं दी गयी थी.
कैसे मिली अनुमति
हालांकि, भोपाल एम्स ने सफलतापूर्वक इस पोस्टमॉर्टम को कर लिया. लेकिन, उसके लिए पहले उन्हें संक्रमण रोकने के उपाय के साथ-साथ एडवांस तकनीक से पोस्टमॉर्टम करने का भरोसा आईसीएमआर को दिलाना पड़ा.
आईसीएमआर के बाद किससे लेनी पड़ी अनुमति
यही नहीं आखिरकार जब आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) ने संक्रमित शव के पोस्टमॉर्टम की अनुमति दे दी तो डॉक्टरों को मृत मरीज के परिजनों से भी इसकी सहमती लेनी पड़ी.
किस एडवांस तकनीक से हुआ पोस्टमॉर्टम
आपको बता दें कि डॉक्टर्स की टीम ने पोस्टमॉर्टम से पहले पीपीई किट पहन रखी थी. साथ ही साथ सुरक्षा के सभी गाइडलाइंस को पालन कर रहे थे.
क्या निकला हल
पोस्टमॉर्टम सफलतापूर्वक किया जा चुका है, लेकिन एम्स भोपाल की मानें तो अभी कुछ और संक्रमित शवों का पोस्टमॉर्टम करने के बाद ही सटीक मूल्यांकन किया जा सकता है और उसी के आधार पर फाइनल रिपोर्ट तैयार की जाएगी. शुरूआती दौर में किसी तरह का हल नहीं निकाला जा सकता है.
क्या कहना है भोपाल एम्स के डायरेक्टर का
भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉ सरमन सिंह कि मानें तो पोस्टमॉर्टम से कोरोना द्वारा प्रभावित सारे अंगों की जानकारी मिल पाएगी. शरीर पर वायरस के पड़ने से क्या होता है, यह भी पता चल पाएगा.
किन अंगों को जांचा डॉक्टर की टीम ने
आमतौर पर कोरोना के संक्रमण से दिल, फेफड़े, दिमाग को ज्यादा खतरा होता है. अत: पहली प्राथमिकता इन्हीं अंगों को जांचने की थी. हालांकि, पोस्टमार्टम के दौरान सभी अंगों पर इसके प्रभाव को देखा गया.
पोस्टमार्टम में कौन-कौन से विभाग थे शामिल
पोस्टमॉर्टम के दौरान फॉरेंसिक मेडिसिन के अलावा अन्य तीन विभागों की टीम को भी शामिल किया गया था. ये टीम अपने-अपने जानकारी के मुताबिक उसपर डिटेल रिपोर्ट बना रहे थे. इस पोस्टमॉर्टम की कुल अवधि दो घंटे की थी.
Posted By : Sumit Kumar Verma