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बाइक रैली राइट टू एजुकेशन की टीम रांची पहुंची, थैलेसीमिया और पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैला रही

थैलेसीमिया और पर्यावरण प्रदूषण के प्रति लोगों में जागरूकता फैला रही टीम आज रांची पहुंची. इस रैली में कुल 40 सदस्य शामिल हैं.

बाइक रैली राइट टू एजुकेशन की टीम जिसका उद्देश्य थैलेसीमिया और पर्यावरण प्रदूषण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है. आज रांची पहुंची. इस रैली का आयोजन युवक संघ कोलकाता द्वारा किया गया. इस रैली के अध्यक्ष श्री सत्य रंजन बासु का स्वागत आरकेडीएफ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस चटर्जी ने शाल एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक के रूप में पौधा देकर किया. कोषाध्यक्ष पलाश सरकार का स्वागत आरकेडीएफ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अमित कुमार पांडे ने शाल ओढ़ाकर एवं वृक्षों के संरक्षण के प्रतीक के रूप में पौधा देकर किया.

भारत का प्रथम विश्वविद्यालय जिससे ट्री एंबुलेंस की स्वीकृति मिली

रैली में कुल 40 सदस्यों का स्वागत विश्वविद्यालय के विभिन्न विषयों के शिक्षकों ने उनके संरक्षण एवं रक्तदान के प्रति लोगों में जागरूकता के प्रतीक के रूप में मोमेंटो देकर किया गया. इस स्वागत समारोह की अध्यक्षता आरकेडीएफ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस चटर्जी ने की. अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय भारत का प्रथम विश्वविद्यालय है जिससे ट्री एंबुलेंस की स्वीकृति मिली है जिसके उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह उन पेड़ों का संरक्षण करेगी जो बीमार पेड़ हो गए हैं और डेड हो रहे हैं, उनको पुनर्जीवित करेगी.

थैलेसीमिया बीमारी बच्चों को अपने माता पिता से अनुवांशिक रूप में मिलती है

इस अवसर पर रैली के अध्यक्ष ने अपने भाषण में कहा कि थैलेसीमिया बीमारी बच्चों का रोग है. यह रोग बच्चों में अपने माता पिता से अनुवांशिक रूप में मिलती है. इस बीमारी की पहचान शिशुओं में 3 माह की आयु पूरी होने के बाद होती है. यह खून की बीमारी है. इसमें बच्चे के शरीर में खून की कमी हो जाती है क्योंकि खून में हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है. बच्चों को बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है जिससे बच्चे के शरीर में कई विकृतियां उत्पन्न हो जाती है और अंत में बच्चे की मौत हो जाती है. उन्होंने कहा कि शादी से पहले महिला और पुरुष को खून की जांच करवाना चाहिए. पैदा होने वाले बच्चों के माता-पिता के खून में माइनर थैलेसीमिया के लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें शादी नहीं करनी चाहिए. यदि दोनों में से किसी एक के खून में थैलेसीमिया माइनर लक्षण होते हैं तो पैदा होने वाले बच्चों को थैलेसीमिया नहीं होता.

भारत में कुल जनसंख्या का 3.4 थैलेसीमिया से ग्रसित

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अमित कुमार पांडे ने कहा कि वैदिक परंपरा में लोग एक गोत्र में शादी नहीं करते थे. उन्हें थैलेसीमिया की बीमारी का ज्ञान नहीं था. पर वह जानते थे कि एक गोत्र में शादी होने से पैदा होने वाले बच्चों में कुछ विकृतियां आ जाती है. इसी कारण वह दूसरे गोत्र में शादी करते थे. इस परंपरा के निर्वहन में कमी आई है और रोग में बढ़ोतरी होने लगी है. भारत में कुल जनसंख्या का 3.4 थैलेसीमिया से ग्रसित है. उन्होंने कहा कि यह रैली अपने उद्देश्य में सफल हो साथ ही रैली को अभाव से बचाने के लिए उन्होंने कुछ सहयोग राशि भी प्रदान की. इस समारोह का संचालन प्रोफेसर पंकज चटर्जी ने किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न शिक्षक एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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