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Sushant Singh Rajput ही नहीं, 7.5% भारतीय हैं डिप्रेशन में, कैसे पहचाने अपने दोस्त, रिश्तेदारों की परेशानी को

Sushant Singh Rajput death, depression ke side effects symptoms, causes & treatment, sign : डिप्रेशन एक सामान्य मानसिक बिमारी जरूर है लेकिन, यह आपके मौत का कारण बन सकती है. बॉलीवुड अभीनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर, सभी उम्र के करीब 264 मिलियन से अधिक लोग इससे ग्रसित है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो ज्यादा चिंता का विषय यह है कि इससे सबसे ज्यादा युवा और पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं ग्रसित है. यह बीमारी एक समय के बाद आत्महत्या का कारण बन जाती है. हाल के दिनों में कोरोना वायरस और लॉकडाउन भी इस बीमारी के बढ़ाने का कारण बनी है.

Sushant Singh Rajput death, depression symptoms : डिप्रेशन एक सामान्य मानसिक बिमारी जरूर है लेकिन, यह आपके मौत का कारण बन सकती है. बॉलीवुड अभीनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर, सभी उम्र के करीब 264 मिलियन से अधिक लोग इससे ग्रसित है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो ज्यादा चिंता का विषय यह है कि इससे सबसे ज्यादा युवा और पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं ग्रसित है. यह बीमारी एक समय के बाद आत्महत्या का कारण बन जाती है. हाल के दिनों में कोरोना वायरस और लॉकडाउन भी इस बीमारी के बढ़ाने का कारण बनी है.

गौरतलब है बॉलीवुड के उभरते युवा कलाकार सुशांत सिंह राजपूत ने रविवार को अपने मुंबई वाले फ्लैट में आत्महत्या कर ली. 34 वर्षीय सुशांत जिंदादिल और खुशनुमा इंसान तो थे ही साथ ही साथ करोड़ो युवा के आइकन भी थे. ऐसा बताया जा रहा है कि उन्होंने डिप्रेशन में आकर खुदकुशी कर ली. हालांकि, इस मामले में जांच जारी है. लेकिन, ये समस्या आम है. डिप्रेशन में आये दिन युवा खुदकुशी जैसे कदम की ओर अग्रसर हो जाते है. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के आंकड़ों की मानें तो दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष करीब आठ लाख मानसिक तनाव में आकर आत्‍महत्‍या कर लेते है. डब्ल्यूएचओ की मानें तो करीब 7.5% भारतीय डिप्रेशन के शिकार है. जबकि, रूस, यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में भी आत्‍महत्‍या अन्‍य देशों के मुकाबले अधिक होती है.

ऐसे में आइये जानते हैं डिप्रेशन या मानसिक तनाव का क्या हो सकता है मुख्य कारण

– किसी अपने के खो जाने की चिंता मानसिक तनाव का कारण बन सकती है.

– आर्थिक रूप से कमजोरी भी इसका प्रमुख कारण है. आमतौर पर घर-परिवार की जिम्मेदारी के बोझ तले परिवार का सदस्य ऐसा कदम उठा लेता है.

– कोरोना और लॉकडाउन भी इसका कारण बनकर उभरा है. कोरोना से डर और लॉकडाउन के दौरान नौकरी या व्यापार में हो रहे हानि से भी मामले आये दिन बढ़ रहे है.

– परिवार से दूर या अकेले रहना भी इसका मुख्य कारण है.

– भविष्‍य को लेकर चिंतित व्यक्ति भी आमतौर पर मानसिक तनाव के शिकार हो जाते है..

– विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित है. उनमें असुरक्षा की भावना भी इसका प्रमुख कारण है.

जानें कैसे पहचाने अपने दोस्त या रिश्तेदारों की परेशानी को

– अगर अपने दोस्त या रिश्तेदार को इस बीमारी से बचाना चाहते हैं तो उनके लाख व्यस्त होने पर भी उनसे संपर्क में रहे. आमतौर पर इस केस में मानसिक तनाव से ग्रसित व्‍यक्ति दूसरों से मिलना-जुलना छोड़ देता है.

– अगर आप ये जानना चाहते हैं कि वह मानसिक तनाव से ग्रसित हैं कि नहीं तो देखें कि कहीं वे भी तो नींद पूरी नहीं कर पा रहे. बार-बार नींद टूट रही है या नहीं. दरअसल, दिमाग में चल रहे तनाव के कारण व्यक्ति ठी से सो नहीं पाता है.

– ऐसे व्‍यक्ति की भूख भी मर जाती है. मानसिक तनाव के दौरान व्यक्ति उससे उबरने की कोशिश कर के थक चुका होता है. और खुद को किसी घटना का दोषी मानने लगता है. उसी के बारे दिन-रात सोचता रहता है, जिसके वजह से भूख पर ध्यान नहीं दे पाता या जानबूझ कर उसे मारने की कोशिश करता है.

– डिप्रेशन के शिकार वाले व्‍यक्ति धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है. वह तनाव में अपनी जिदंगी गुजार रहा होता है, जिससे भूख-प्यास सब मर जाती है. खाना-पीना छोड़ किसी घटना का कारण खुद को समझने लगता है.

– डिप्रेशन से परेशान व्यक्ति आमतौर पर अकेला रहना पसंद करता है. और लोगों से कम घूलता-मिलता है.

– उदासी और उदासीनता में बहुत फर्क होता है. उदासी कुछ समय के लिए हो सकती है, लेकिन जब यह लंबे समय तक उदासी दिखे तो समझ जाएं कि आपका अपना मानसिक रोगी हो गया है.

तनावयुक्त व्यक्ति के दिनचर्या में काफी बदलाव हो जाता है. जिसे पहचान कर आप अपने दोस्तों और परिवार को आत्महत्या करने से बचा सकते है. आपको उनकी परेशानी को समझ उसे समझाने की कोशिश करनी चाहिए. जितना जल्‍दी हो इलाज उनका ईलाज करवाना चाहिए.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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