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Reading Habit: पढ़ने की हैबिट बदल देगी आपका नजरिया, दूर करेगा तनाव

एक अच्छी किताब में खो जाने का जो सुख है, उसे शब्दों में नहीं बयां कर सकते. यह आनंद व्यस्क और बच्चों दोनों के लिए एक जैसा है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पढ़ना रोजमर्रा की जिंदगी के प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदल सकता है. जानें पढ़ने से जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण कैसे बदलता और विस्तारित होता है.

प्रीति सिंह परिहार

पढ़ना एक आनंददायक शगल से कहीं अधिक हो सकता है. पढ़ने के कई वास्तविक लाभ हैं, चाहे वह साहित्यिक विधा हो या कोई अन्य. सदियों से दार्शनिकों, शिक्षकों, समाजिक विज्ञानियों और मनोवैज्ञानिकों ने इसकी तस्दीक की है. किसी भी अन्य चीज के विपरीत, एक अच्छी किताब हमारे जीवन को बदलने की शक्ति रखती है. लेकिन, टेक्नोलॉजी के तीव्र विस्तार के साथ, ऐसा लगता है कि लोग उन साधारण खुशियों को भूल गये हैं, जो एक अच्छी किताब ला सकती है. किताबें पढ़ने से हम विभिन्न दुनियाओं की यात्रा करते हैं और हमारे आगे विभिन्न पात्रों का जीवन जीने का द्वार खुल जाता है.

आपकी कल्पना का होगा विस्तार

पढ़ना हमें नयी जगहों और रोमांच की एक अलग दुनिया से परिचित कराता है, जिसका शायद हम कभी प्रत्यक्ष अनुभव नहीं कर पाते. यह कल्पना को जागृत करता है, जब किसी कहानी के पात्र जानवरों में बदल जाते हैं, अंतरिक्ष यान में दूर तक यात्रा करते हैं या चींटी के आकार में सिकुड़ जाते हैं. हैरी पॉटर को आपने एक सीरीज के तौर पर टेलीविजन पर देखा है, लेकिन क्या आपको पता है यह बच्चों के लिए लिखी गयी एक नॉवेल की सीरीज है, जिसे पढ़ते हुए आप एक नयी तरह की जादुई दुनिया में दाखिल होते हैं. संस्मरणों और आत्मकथाओं जैसी गैर-काल्पनिक पुस्तकों के माध्यम से, हम कल्पना कर सकते हैं कि विभिन्न देशों, समय अवधियों आदि में जीवन कैसा होगा. कहानियां रचनात्मक कला रूपों में से एक हैं. जैसे-जैसे हम पढ़ते हैं, हम विचारों को आत्मसात कर अपनी रचनात्मक क्षमताओं में सुधार कर सकते हैं.

स्वयं को कर सकेंगे विकसित

पढ़ना हमें दूसरों के बारे में हमारी पूर्व धारणाओं को तोड़कर एक अलग दृष्टिकोण भी देता है. इससे हमारे आसपास की दुनिया और उसमें रहने वाले लोगों के बारे में हमारी समझ को बढ़ने में मदद मिलती है. इससे हमारी आत्म-जागरूकता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता में सुधार होता है. विभिन्न पात्रों के अनुभवों में खुद को शामिल करके, हम अपने दैनिक जीवन में इन अनुभवों से जुड़ सकते हैं. इससे हमें अपनी आत्म-विकास यात्रा में आगे बढ़ने और खुद को बेहतर बनाने में मदद मिलती है. किसी व्यक्ति ने प्रतिकूल परिस्थितियों पर कैसे विजय प्राप्त की, इस बारे में एक जीवनी पढ़कर जान सकते हैं और स्वयं को प्रेरित कर सकते हैं. महात्मा गांधी या मैरी क्यूरी जैसी हस्तियों की कहानियां हमें सिखाती हैं कि कैसे इन प्रसिद्ध लोगों ने भी गलतियां कीं और आत्म-संदेह के माध्यम से काम किया. उनके पास भी सफलता आसानी से नहीं आयी. यह हमें याद दिलाता है कि चाहे हम कोई भी हों, आगे बढ़ने के लिए हमारे अपने संघर्ष और अवसर होंगे.

आपमें संवेदना का होगा विकास

शिक्षक, लेखक और मनोवैज्ञानिक अक्सर कहते हैं कि पढ़ना हमें दूसरों की जगह पर खड़ा करता है. कई अध्ययनों में, शोधकर्ताओं ने पाया कि जो बच्चे फिक्शन पढ़ते हैं, उनमें लोगों की मदद करने की अधिक संभावना होती है, वे अधिक सहृदय होते हैं. किताबों से विभिन्न पात्रों की पृष्ठभूमि, विश्वास और विचार प्रक्रियाओं के प्रति अधिक अभ्यस्त होने का अनुभव वास्तविक जीवन में स्थानांतरित हो जाता है और आजीवन इसका विस्तार होता है. अध्ययन बताते हैं कि जो लोग अधिक पढ़ते हैं, वे दूसरों की भावनाओं को समझने में बेहतर होते हैं.

होता है आत्मविश्वास का निर्माण

अच्छी कहानियां पढ़ने से हम व्यक्तिगत रूप से भी बहुत लाभान्वित होते हैं. किताबें एक बेहतरीन आत्मविश्वास-निर्माता हैं. पढ़ना हमें चिंतनशील और बौद्धिक बनाता है. पाठक यह देखकर आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान भी विकसित कर सकते हैं कि नायक और अन्य पात्र अपनी कठिनाइयों और चुनौतियों को कैसे संभालते हैं. जैसे ही हम पात्रों के संघर्षों को स्वीकार करने और उन पर विजय पाने की सीखने की यात्रा में भाग लेते हैं, तो सचेत रूप से या अवचेतन रूप से हमें विचार मिलते हैं, कि हम ऐसा कैसे कर सकते हैं. हम सीखते हैं कि हम भी अपने आस-पास की जटिल दुनिया से निपटने के लिए अपनी रणनीतियां बना सकते हैं.

पढ़ने से कम होता है तनाव

सोशल मीडिया और आधुनिकीकरण व स्पर्धा के इस दौर में बड़े पैमाने पर युवा तनावग्रस्त रहते हैं. छात्रों को नॉन फिक्शन और फिक्शन दोनों पढ़ने से तनाव कम करने में मदद मिल सकती है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि किताबें, कम से कम अस्थायी तौर पर, व्यक्तिगत मुद्दों से राहत दिलाती हैं. एक अच्छी किताब पढ़ते हुए हम आराम कर सकते हैं, अपने व्यस्त दिमाग को शांत कर सकते हैं और अपने समय में, शांति व शांति की भावना के साथ उबर सकते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि संगीत सुनने या टहलने जाने की तुलना में पढ़ने से तनाव का स्तर अधिक प्रभावी ढंग से कम हो सकता है. ऐसा इसलिए हो सकता है, क्योंकि जैसे-जैसे हम किताब के शब्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, मांसपेशियों का तनाव कम होता जाता है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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