Chhath Puja Nahay Khay 2022: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ होती है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह (Kartik Month) की षष्ठी से शुरू हो जाती है. लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. 29 अक्टूबर को खरना है. डूबते सूर्य को 30 अक्टूबर को व उगते सूर्य को 31 अकटूबर को अर्घ्य दिया जायेगा.
नहाय खाय की सुबह व्रती भोर बेला में उठते हैं और गंगा स्नान आदि करने के बाद सूर्य पूजा के साथ व्रत की शुरुआत करते हैं. नहाय खाय के दिन व्रती चना दाल के साथ कद्दू-भात (कद्दू की सब्जी और चावल) तैयार करती हैं और इसे ही खाया जाता है. इसके साथ ही व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) को प्रारंभ करते हैं. नहाय खाए के साथ व्रती नियमों के साथ सात्विक जीवन जीते हैं और हर तरह की नकारात्मक भावनाएं जैसे लोभ, मोह, क्रोध आदि से खुद को दूर रखते हैं.
नहाय खाए (Naha Khay or Bath-and-eat): यह त्योहार का पहला दिन है, जिस दिन व्रती / भक्त नदी, तालाब, या किसी अन्य जल निकाय में स्नान करते हैं, खासकर गंगा नदी में वे गंगा का पानी घर लाते हैं और इस पानी से वे प्रसाद पकाते हैं.
एक धार्मिक भोजन- नहाय खाय के दिन व्रती कद्दू, लौकी और मूंग- चना का दाल बनाती है. जिसे सबसे पहले व्रती खाती हैं. फिर घर के सदस्यों को अन्य लोगों के बीच प्रसाद के रूप में इसे बांटा जाता है और ग्रहण किया जाता है. इस दिन भक्त घर और आसपास के परिसर की सफाई करते हैं. इस दिन व्रती केवल एक बार भोजन करते हैं.
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नहाए खाए के साथ छठ की शुरुआत होती है. पहले दिन गंगा स्नान करने के बाद कद्दू भात और साग खाया जाता है. बिहार-झारखंड की अगर बात करें तो बिहार में लौकी का प्रचलन है. छठ व्रती नहाय खाए कि दिन कद्दु का सेवन करते हैं. ऐसे में बाजारों में इसे लेकर कद्दू की डिमांड बढ़ जाती है. ऐसी मान्यता है सरसो का साग चावल और कद्दू खाकर छठ महापर्व की शुरूआत होती है. इसलिए व्रत के पहले दिन को नहाए खाए कहते हैं. इन दोनों सब्जियां पूरी तरह से सात्विक माना जाता है. इसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने की क्षमता बढ़ती है. साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अगर देखें तो कद्दू आसानी से पचने वाली सब्जी है.
नहाए खाए के दिन खासतौर पर कद्दू की सब्जी बनायी जाती है. व्रत रखने वाले सबसे पहले इसे ग्रहण करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अलावा इसे खाने के कई सारे फायदे हैं. कद्दू में एंटी-ऑक्सीडेंट्स पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है, जिससे इम्यून सिस्टम स्ट्रांग होता है और व्रती बीमारियों से बचे रहते हैं. इसके अलावा, कद्दू में डाइटरी फाइबर भरपूर मात्रा पाया जाता है. इसके सेवन से पेट से जुड़ी समस्याएं दूर होती है. इसलिए छठ महापर्व के पहले दिन कद्दू भात खाया जाता है.
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नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नए कपड़े पहनने चाहिए.
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साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है. पूजा की वस्तु का गंदा होना अच्छा नहीं माना जाता.
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नहाय खाए से छठ का समापन होने तक व्रती को जमीन पर ही सोती है. व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं.
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घर में तामसिक और मांसाहार वर्जित है. इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा कर देना चाहिए.
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मदिरा पान, धुम्रपान आदि न करें. किसी भी तरह की बुरी आदतों को करने से बचें.
मान्यताओं के अनुसार छठी मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है. इसलिए छठ पूजा के दौरान सूर्य की उपासना की जाती है. कहा जाता है कि सूर्य की पूजा करने से छठी मैया प्रसन्न होती हैं.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.