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Chronic hepatitis: क्रोनिक हेपेटाइटिस कैसे सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसी लिवर बीमारियों का कारण बनता है?

क्रोनिक हेपेटाइटिस एक लंबी अवधि तक चलने वाला लिवर रोग है जिसमें लिवर की सूजन होती है. यह संक्रमण आमतौर पर हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरस के कारण होता है. लंबे समय तक इलाज न कराने पर यह रोग लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर जैसी गंभीर स्थितियों का रूप ले सकता है. रोग के लक्षणों में थकान, पेट में दर्द, भूख न लगना, और पीलिया शामिल हो सकते हैं. समय पर निदान और उचित चिकित्सा द्वारा इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है. स्वस्थ जीवनशैली और नियमित चिकित्सा जांच से इस बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता है.

Chronic hepatitis: क्रोनिक हेपेटाइटिस एक लंबे समय का लिवर संक्रमण है, जो हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी वायरस के कारण होता है. यह लिवर की कोशिकाओं में सूजन और नुकसान पैदा करता है, जो समय के साथ लिवर को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है.

सिरोसिस कैसे होता है?

लिवर में सूजन

जब हेपेटाइटिस वायरस लिवर पर हमला करता है, तो लिवर में सूजन हो जाती है. यह सूजन लिवर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है.

लिवर का स्कारिंग

लगातार सूजन और कोशिकाओं को होने वाला नुकसान लिवर में फाइब्रॉसिस या स्कार टिशू का निर्माण करता है. यह स्वस्थ लिवर टिशू को बदल देता है और लिवर की कार्यक्षमता को कम कर देता है.

सिरोसिस का विकास

जब स्कारिंग अधिक हो जाती है, तो लिवर कठोर और छोटा हो जाता है. इस स्थिति को सिरोसिस कहते हैं. सिरोसिस लिवर के सामान्य कार्यों को बाधित करता है, जिससे शरीर में विषैले पदार्थ जमा हो सकते हैं और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.

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लिवर कैंसर कैसे होता है?

कोशिकाओं का म्युटेशन

क्रोनिक हेपेटाइटिस के कारण लिवर की कोशिकाओं में लगातार सूजन और पुनर्निर्माण होता है. इस प्रक्रिया के दौरान कोशिकाओं में जीन म्युटेशन हो सकता है.

असामान्य कोशिका वृद्धि

जब जीन म्युटेशन होता है, तो कुछ लिवर कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं. यह असामान्य वृद्धि कैंसर कोशिकाओं का निर्माण करती है.

ट्यूमर का निर्माण

समय के साथ, ये कैंसर कोशिकाएं लिवर में ट्यूमर का निर्माण करती हैं. लिवर कैंसर गंभीर है और अगर जल्दी पता न चले, तो यह घातक हो सकता है.

जल्दी पहचान और इलाज का महत्व

प्रारंभिक पहचान

यदि हेपेटाइटिस का जल्दी पता चल जाता है, तो इसे प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है. इससे लिवर को अधिक नुकसान से बचाया जा सकता है.

उपचार

एंटीवायरल दवाएं हेपेटाइटिस बी और सी वायरस को नियंत्रित करने में मदद करती हैं. ये दवाएं लिवर में सूजन को कम करती हैं और सिरोसिस और लिवर कैंसर के जोखिम को घटाती हैं.

नियमित जांच

हेपेटाइटिस से पीड़ित लोगों को नियमित रूप से लिवर की जांच करानी चाहिए. इससे किसी भी गंभीर समस्या का प्रारंभिक चरण में ही पता लगाया जा सकता है.

सही समय पर पहचान और उपचार से लिवर की बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है और व्यक्ति स्वस्थ जीवन जी सकता है.

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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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