कंजंक्टिवाइटिस आंखों की एक बीमारी है. इससे पीड़ित व्यक्ति को आंखों में जलन, दर्द व लालपन जैसी समस्या झेलनी पड़ती है. ये बीमारी एक खास तरह के एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होती है, लेकिन कई मामलों में बैक्टीरिया का संक्रमण भी इसके लिए जिम्मेदार होता है. इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी इसकी चपेट में आ जाती है. श्वसन तंत्र या नाक-कान अथवा गले में किसी तरह के संक्रमण के कारण वायरल कंजंक्टिवाइटिस हो जाता है. अब यहां सवाल ये है आखिर कंजंक्टिवाइटिस है क्या और ये बच्चों में कैसे फैलती है तथा इससे बचने के उपाय क्या है. तो चलिये जानते हैं इसके बारे में.
क्या है लक्षण
कंजंक्टिवाइटिस होने पर आंखें लाल हो जाती हैं. आंखों से पानी आने लगता है. तेज जलन होती है. पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होने लगता है. आंखों में चुभन होने के साथ-साथ सूजन आ जाती है. आंखों से पानी आना और खुजली होना. संक्रमण अधिक बढ़ जाने पर आंखों में हेमरेज, किमोसिज हो जाता है और पलकों में सूजन आ जाती है. अगर इंफेक्शन गहरा हो तो इसकी वजह से आंखों की कॉर्निया को भी नुकसान हो सकता है जिससे आंखों की दृष्टि प्रभावित हो सकती है. मॉनसून सीजन में इस बीमारी का खतरा बच्चों में सबसे ज्यादा रहता है.
बच्चों में फैल रहा कंजंक्टिवाइटिस
इस बीमारी की चपेट ज्यादातर बच्चें आ रहे हैं. दरअसल, बच्चे स्कूल में एक साथ ज्यादा समय गुजारते हैं. वहीं, पेन, पेंसिल और टिफिन बॉक्स का उपयोग एक दूसरे के साथ मिलकर करते है. यही कारण है कि बच्चे तेजी से संक्रमित हो जाते हैं, लेकिन यहां ज्यादा घबराने वाली बात नहीं है, क्योंकि तीन से चार दिन में यह बीमारी ठीक हो जाती है. कुछ में यह एक सप्ताह तक रहती है. लेकिन सावधानी और सतर्कता बरतनी भी जरूरी है. अगर बच्चों में कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जैसे कि रेडनेस, खुजली, आखों से ज्यादा पानी आना या आंख से सफेद लिक्विड का आना, तो उन्हें घर पर रखें और तुरंत आंख के डॉक्टर से संपर्क करे. इससे न केवल संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी बल्कि बच्चे को असुविधा से बचाने में भी मदद मिलेगी.
संक्रमित होने पर इन बातों का रखें ध्यान
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बच्चों को आंखो को बार-बार न छूने से रोकें
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आंखो को साफ करने के लिए टिश्यू पेपर या साफ कपड़े का इस्तमाल करें. इस्तमाल करने के बाद उपयोग किये टिश्यू पेपर या कपड़ें को फेंक दे. ध्यान रहे कि आप दोबारा उसका उपयोग न करें.
किसी से भी आई टू आई कांटेक्ट न बनाने को कहें. -
टीवी या मोबाइल से दूर रखें.
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संक्रमण के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.
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आंखों को साफ पानी से धोते रहने को कहें.
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संक्रमित होने पर बच्चे को आखों में चश्मा पहनायें.
संक्रमण से बचने के उपाय
संक्रमित होने पर बार-बार अपने हाथ एवं चेहरे को ठंडे पानी से धोये, निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कॉस्मेटिक्स आदि को किसी से शेयर न करें, रूमाल, तकिये के कवर, तौलिया आदि चीजों को रोज धोएं, स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें, अगर कोई भी लक्षण दिखाई दे तो घर से बाहर न जाएं और परिवार में भी लोगों से शारीरिक दूरी बनाकर रखें, आंखों को बार-बार हाथ न लगाएं, खुजली होने पर आंखों को बिल्कुल मले नहीं, आई ड्रॉप डालने से पहले और बाद में हाथों को साबुन से अवश्य धो लें, बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न लें.
इसके अलावा आप ये उपाय भी कर सकते हैं.
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आंखों पर बर्फ की सिंकाई भी जलन और दर्द से राहत दिलाती है.
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गंदगी और ज्यादा भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.
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संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनकी चीज़ें, जैसे- चश्मा, तौलिया, तकिया आदि न छुएं. इसी तरह अपना तौलिया, रूमाल और चश्मा आदि किसी के साथ शेयर न करें.
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अपने हाथों को नियमित रूप से हैंडवॉश से साफ करते रहें.
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आंखों की सफाई का पूरा ध्यान रखें और उन्हें ठंडे पानी से बार-बार धोएं.
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बच्चों में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए बच्चे को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना सिखाना होगा. उन्हें बार-बार अपने हाथों को साबुन और पानी से धोने के लिए कहें. खासकर आंखों को छूने के बाद, टिश्यू का इस्तेमाल करने के बाद या फिर ऐसे लोगों के संपर्क में आने के बाद जिनमें कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण हो सकते हैं.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.