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फिजियोथेरेपी के जरिये जल्द रिकवर होते हैं कोरोना संक्रमित, जानें कैसे करें एक्सरसाइज

Coronavirus in Jharkhand (धनबाद) : कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रसित या इससे उबर चुके मरीजों के उपचार में फिजियोथेरेपी बहुत ही कारगर है. इस थेरेपी के लिए अस्पताल या क्लिनिक जाना जरूरी नहीं है. घर पर रह कर भी खुद से इसके जरिये मरीज स्वास्थ्य लाभ कर सकते हैं. यह कहना है सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट डॉ अजीत कुमार का.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 19, 2021 2:29 PM

Coronavirus in Jharkhand (संजीव झा, धनबाद) : कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रसित या इससे उबर चुके मरीजों के उपचार में फिजियोथेरेपी बहुत ही कारगर है. इस थेरेपी के लिए अस्पताल या क्लिनिक जाना जरूरी नहीं है. घर पर रह कर भी खुद से इसके जरिये मरीज स्वास्थ्य लाभ कर सकते हैं. यह कहना है सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट डॉ अजीत कुमार का.

प्रभात खबर से बातचीत करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमितों को सांस लेने में अक्सर परेशानी आती है. इसे कोरोना का एक बड़ा लक्षण माना गया है. इसका सीधा संबंध में फेफड़ा से है. इस बीमारी से फेफड़ा प्रभावित होता है. इसलिए जरूरी है कि कोरोना से गंभीर रूप से ग्रसित मरीज कई तरह के थेरेपी कर सकते हैं. बिना लक्षण वाले मरीजों से ज्यादा कारगर यह न्यूमोनिया से ग्रसित मरीजों के लिए होता है. गंभीर रूप से ग्रसित मरीजों को चेस्ट थेरेपी करना चाहिए.

सांस लेने में दिक्कत होने पर यह एक्सरसाइज जरूर करें

एक सवाल के जवाब में डॉ कुमार ने कहा कि चेस्ट परकशन, चेस्ट वाइब्रेशन, डीप ब्रीथिंग, कफिंग जैसी थेरेपी से फेफड़े में जमा बलगम को बाहर निकालने में सहूलियत होती है. जैसे-जैसे बलगम बाहर आता है. वैसे-वैसे मरीजों को राहत मिलती है.

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पोस्ट कोविड मरीज कैसे -कैसे करें थेरेपी

सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट डॉ कुमार के अनुसार, पोस्ट कोरोना फिजियोथेरेपी बहुत जरूरी है. नियंत्रित सांस थेरेपी करें. इस एक्सरसाइज में अपने द्वारा ली जाने वाली सांस को महसूस करना है. उसे 5 से 6 सेकेंड तक फेफड़े में रोक कर रखना है. फिर धीरे-धीरे बाहर निकालना होता है. छाती और पेट पर हाथ रख कर इसे महसूस कर सकते हैं.

1. डॉयफ्रामेटिक ब्रीथिंग एक्सरसाइज : इसको करने के लिए सीधे बैठ जायें. एक हाथ छाती पर एक हाथ पेट पर रखें. फिर सांस को बाहर फूंक मारते हुए छोड़ें. एक दिन में दो बार यह एक्सरसाइज करें.

2. पर्सलिप ब्रीथिंग एक्सरसाइज : यह भी ऊपर वाले एक्सरसाइज की तरह ही करें. केवल इसमें सांस को नाक से गहरा खींचने के बाद मुंह से छोड़ते समय अपने दोनों होठों को इस तरह से रखें कि जैसे सीटी बजा रहे हों.

3. छाती फुलाना : इस एक्सरसाइज में गहरी सांस लेकर छाती के दोनों और अपने हाथ से दबाव बनायें. जिससे फेफड़ों की मांसपेशियां मजबूत बनती है.

4. बलपूर्वक सांस छोड़ना : इस एक्सरसाइज को करने के लिए बैलून में हवा भरी जा सकती है या किसी जलते हुए मोमबत्ती को जोर से फूंकने की कोशिश की जा सकती है या किसी पतली स्ट्रॉ (पाइप) को लेकर पानी में फूंक मार कर बुलबुले पैदा किये जा सकते हैं.

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5. सांस रोकना और जोर से खांसना : इस एक्सरसाइज को करने के लिए पहले गहरी सांस लें और कुछ सेकेंड तक रोकें और फिर जोर से खांसे. इससे फेफड़ों में जमे बलगम को बाहर निकालने में मदद मिलती है.

6. इंसेंटिव स्पाइरोमीटर एक्सरसाइज : इसके लिए मेडिकल दुकान से स्पाइरोमीटर, जो एक प्रकार का ब्रीथिंग एक्सरसाइज यंत्र है खरीद लें. सयंत्र में एक या तीन बॉल (गेंद) होते हैं, जिसको माउथ पीस से सांस अंदर खींच कर उठाना होता है. इस एक्सरसाइज को 15-20 रेपेटिशन के साथ दिन में तीन बार करें. इसके साथ साथ बैठने तथा लेटने की तरीकों में बदलाव करके भी ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाया जा सकता है.

7. सेल्फ प्रोनवेंटिलेशन : दिन में 3 बार 30-30 मिनट तक पेट के बल लेटने की कोशिश करें. दायें या बायें करवट लेटें. इससे भी ऑक्सीजन लेवल में सुधार होता है और फेफड़ों की सबसे छोटी अल्वे ओलेर इकाई खुलती है और सांस लेना आसान हो जाता है. लेकिन, कुछ स्तिथियों में पेट के बल नहीं लेटना चाहिए. जैसे गर्भवती महिला, कोई भी हृदय से संबंधित रोग, किसी प्रकार की रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर याअन्य बीमारी. खाने के तुरंत बाद इस एक्सरसाइज को नहीं करें.

Posted By : Samir Ranjan.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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