coronavirus anxiety health news : महामारी का यह दौर बढ़ा रहा है एंग्जाइटी, ऐसे करें बचाव

कोविड-19 की इस महामारी के कारण हमारे जीवन के कई पहलुओं पर गहरा प्रभाव पड़ा है. इससे रोजगार, व्यापार और आर्थिक समस्याएं बढ़ी हैं. कोरोना का डर, अकेलापन और अनिश्चितता के माहौल ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है

By Prabhat Khabar News Desk | September 23, 2020 9:35 AM

कोविड-19 की इस महामारी के कारण हमारे जीवन के कई पहलुओं पर गहरा प्रभाव पड़ा है. इससे रोजगार, व्यापार और आर्थिक समस्याएं बढ़ी हैं. कोरोना का डर, अकेलापन और अनिश्चितता के माहौल ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग एंग्जाइटी की चपेट में आ रहे हैं. जीवनशैली में बदलाव और पारिवारिक सहयोग के द्वारा हम अपने परिवार के लोगों या दोस्तों को इसके जोखिम से बचा सकते हैं.

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अत्यधिक बेचैनी और भविष्य का डर किसी व्यक्ति को एंग्जाइटी का शिकार बना सकता है. कई बार इसका कारण वास्तविक या काल्पनिक भी हो सकता है. इसके प्रमुख लक्षण थकान, सिरदर्द और अनिद्रा हैं. प्रत्येक व्यक्ति के लिए ये लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. मामूली लक्षण तो समय के साथ ठीक हो जाते हैं, लेकिन गंभीर लक्षण एंग्जाइटी डिसऑर्डर में तब्दील हो जाते हैं.

कोरोनाकाल में बढ़ा एंग्जाइटी : आइसीएमआर के अनुसार, लॉकडाउन के कारण संसाधनों की कमी, संक्रमित होने का डर और भविष्य की चिंता का मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है. इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के सर्वे के मुताबिक, इस महामारी में प्रत्येक पांच में से एक व्यक्ति भारत में किसी न किसी मानसिक रोग से पीड़ित है. इनमें सबसे ज्यादा मामले एंग्जाइटी के हैं.

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इस सर्वे के मुताबिक, देश में इस महामारी के बाद मानसिक रोग के मामलों में 20 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के हालिया सर्वे में पता चला है कि दुनिया के 50 फीसदी युवा लॉकडाउन के कारण डिप्रेशन और इंग्जाइटी के शिकार हुए हैं.

कैसे करें बचाव

  • अनुशासित जीवनशैली का पालन करें.

  • संतुलित और पौष्टिक डाइट लें.

  • 6-8 घंटे की भरपूर नींद लें.

  • अपने करीबी लोगों के संपर्क में रहें.

  • नियमित मेडिटेशन करें.

  • मूड को रिफ्रेश रखने के लिए म्यूजिक, डांसिंग, सिंगिंग या कुकिंग जैसा कोई हॉबी अपनाएं.

  • गैजेट्स के अधिक इस्तेमाल से बचें.

  • कैफीन, शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने से परहेज करें.

एंग्जाइटी डिसऑर्डर के प्रकार

जनरालाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर : इसमें लोग बिना कारण के भी अत्यधिक चिंता करते हैं. महामारी में जो लोग पूरी तरह स्वस्थ हैं, उनमें भी इसकी आशंका बढ़ गयी है.

ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर : इससे पीड़ित लोग लगातार सोचते रहते हैं या भयभीत रहते हैं. ऐसे में वह कुछ अजीब आदतें विकसित कर लेते हैं, जैसे- कुछ लोग संक्रमण की चपेट में आने के डर से बिना जरूरत के भी हाथ धोते रहते हैं.

पैनिक डिसऑर्डर : इस समस्या से जूझ रहे लोगों को अक्सर ऐसा महसूस होता है, जैसे उनकी सांस रुक रही है या उन्हें हार्ट अटैक आ रहा है. ऐसी समस्या उन लोगों में देखी जा रही है, जिनके परिवार के लोग संक्रमित हुए हैं.

पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर : यह ऐसी स्थिति है, जो किसी तीव्र आघात वाली घटना के बाद विकसित होती है, जैसे जो लोग संक्रमण से ठीक होकर घर आ गये हैं, उन्हें बार-बार अस्पताल के दृश्य दिखते हैं. वे अक्सर भावनात्मक रूप से सुन्न हो जाते हैं.

सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर : यह समस्या उन लोगों में देखी जा रही है, जो इस महामारी से अत्यधिक डरे हुए हैं. इसमें लोगों का सामाजिक संपर्क टूट जाता है.

फोबिया : इसमें किसी वस्तु या स्थिति से गहरा भय उत्पन्न हो जाता है. जैसे, किसी को संक्रमण का डर है, तो किसी को अपने प्रियजन को खोने या नौकरी गंवाने का डर है.

ऐसे में तुरंत करें डॉक्टर से संपर्क : अगर आपमें घबराहट, धड़कनें तेज हो जाना, सांस लेने में तकलीफ, नींद नहीं आना जैसे लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

परिवार के सदस्यों की भूमिका

  • मानसिक रोगियों की बात ध्यान से सुनें और उन्हें सपोर्ट करें.

  • रोगी एक ही बात को दोहरा सकता है. इससे घबराएं नहीं, थोड़ा संयम बरतें.

  • रोगी को सामान्य स्थिति में लाने की कोशिश करें.

  • उन्हें एक्सरसाइज या अन्य एक्टिविटी में सक्रिय रखें.

  • रोगी से नकारात्मक विचार या अनुभव साझा न करें.

एंग्जाइटी के दुष्प्रभाव : एंग्जाइटी के दुष्प्रभाव शरीर और मस्तिष्क दोनों पर पड़ते हैं. लंबे समय तक चलने वाली एंग्जाइटी डिप्रेशन का कारण बन सकता है. समस्या गंभीर होने पर आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. यह याददाश्त को भी प्रभावित करता है.

भारत में हर दूसरे व्यक्ति में दिखे हैं एंग्जाइटी के लक्षण

  • 55% लोग एंग्जाइटी के शिकार हुए हैं.

  • 27% लोगों के मन में आत्महत्या का ख्याल आया.

  • 59% लोगों का स्लिप पैटर्न खराब हुआ है.

  • (स्रोत : अप्रैल-मई 2020 के दौरान 1069 लोगों पर की गयी स्टडी के आधार पर मैक्स हेल्थ केयर, साकेत (दिल्ली) का सर्वे)

Post by : Pritish Sahay

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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