22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कोरोना काल में सुकून भरी खबर, इन कारणों से सीजनल डिजीज का कम हुआ प्रकोप

इस महामारी में भले ही भय, अवसाद और तमाम तरह की अनिश्चितताओं ने अधिकांश लोगों को जकड़ कर रखा है. हालांकि, इस दौरान हम लोगों ने अपनी आदतों और जीवनशैली में जरूरी बदलाव किये हैं. इसके कुछ सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं.

इस महामारी में भले ही भय, अवसाद और तमाम तरह की अनिश्चितताओं ने अधिकांश लोगों को जकड़ कर रखा है. हालांकि, इस दौरान हम लोगों ने अपनी आदतों और जीवनशैली में जरूरी बदलाव किये हैं. इसके कुछ सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. आंकड़ों और स्वास्थ्य विशेषज्ञ के मुताबिक, बीते वर्ष में सीजनल बीमारियों का प्रकोप बिल्कुल कम देखा गया.

कोरोना काल में डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और डायरिया जैसी बीमारियों के मामले अप्रत्याशित रूप से कम पाये गये. निश्चय ही इस महामारी में यह सुकून देने वाली खबर है. रिम्स के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के असोसिएट प्रोफेसर डॉ डीके झा का कहना है कि जीवनशैली और खान-पान में बदलावों के कारण ही इन रोगों का खतरा कम हुआ. पहले की तुलना में अब लोग अधिक जागरूक हुए हैं.

महत्वपूर्ण तथ्य : स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में नवंबर तक के आंकड़ों के अनुसार, इस साल डेंगू के 32,796 मामले सामने आये, जिसमें 16 लोगों की मौत हो गयी. वहीं, 2019 में इसके 1,57,315 मामले सामने आये थे, जिसमें 166 लोगों की मौत हुई थी. 2020 में नवंबर तक चिकनगुनिया के 32,287 संदिग्ध केस सामने आये, जिसमें 5159 कंफर्म मामलों की पुष्टि हुई. वहीं, 2019 में इसके 81,914 संदिग्ध मामले सामने आये थे, जिसमें 12,205 कंफर्म मामलों की पुष्टि हुई.

बार-बार हाथ धोना : इस महामारी में हैंड हाइजीन के प्रति जागरूकता बढ़ी. इसके परिणामस्वरूप लोगों में एक नियमित अंतराल पर हाथ धोने की आदत विकसित हुई. डायरिया को फैलने से रोकने के लिए हाथ धोने का आदत प्रभावी उपाय है. हाथों के द्वारा ही संक्रमण शरीर में प्रवेश करता है.

खान-पान में बदलाव : लॉकडाउन में लगे प्रतिबंधों के कारण सभी स्टॉल, ठेले, चाट, समोसे आदि की दुकानें बंद रहीं, जिससे लोगों में फूड पॉइजनिंग या फूड से संबंधित संक्रमण कम हुआ. लोग जंक फूड के स्थान पर घर में बने भोजन को प्राथमिकता देने लगे.

सैनिटाइजेशन और फॉगिंग : डेंगू और चिकनगुनिया मच्छरजनित रोग हैं. सरकार द्वारा सैनिटाइजेशन और फॉगिंग शहरों या गांवों में बड़े स्तर पर करवाया गया. इसके कारण एडीज इजिप्टी मच्छर का प्रकोप कम देखा गया. इससे इन मच्छरों का प्रजनन भी कम हुआ. चिकनगुनिया और डेंगू दोनों ही ‘मादा एडीज इजिप्टी’ मच्छर के काटने से फैलते हैं.

टेलीकम्युनिकेशन कंसल्टेशन : डेंगू और चिकनगुनिया ऐसी बीमारी है, जिसका मेडिकल साइंस में कोई दवा उपलब्ध नहीं है. लक्षणों के आधार पर इसका इलाज किया जाता है. जब अस्पतालों में आवागमन प्रभावित था, तब अधिकांश मरीज टेलीकम्युनिकेशन कंसल्टेशन से अपना इलाज करवा रहे थे. केवल गंभीर लक्षणों वाले मरीज ही अस्पताल में भर्ती हो रहे थे.

आउटडोर एक्टिविटी में कमी : आउटडोर एक्टिविटी बिल्कुल कम हुआ. इसके कारण लोग रोगजनित मच्छरों के एक्सपोजर में नहीं आये. घरों में रहने के कारण लोगों को मच्छर भी कम काटा.

इम्युनिटी पर फोकस : ज्यादातर लोग इम्युनिटी बूस्टर फूड को प्राथमिकता देने लगे. आयुष मंत्रालय ने भी काढ़ा और गिलोय को खान-पान में शामिल करने का दिशा-निर्देश जारी किया. इससे लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हुई.

बातचीत : चंद्रशेखर कुमार

Also Read: Health Tips: इंम्यूनिटी बढ़ाने से लेकर ठंड से भी राहत देता है नींबू, लेकिन इसे ज्यादा खाने से हो सकती है ये बीमारियां

Posted by: Pritish Sahay

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें