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हर दिन 6000 बच्चों की हो सकती है मौत, कोरोना संकट के बीच भारत को यूनिसेफ की चेतावनी

coronavirus increase child deaths by 6000 per day, unicef warns India यूनिसेफ ने अपने 73 साल के इतिहास में आने वाले सबसे बड़े खतरे के लिए लोगों को आगाह किया है. बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर खासा प्रभाव पड़ रहा है. यह वायरस हमारे इम्यूनिटी को कमजोर कर रही है. संस्था ने सबसे बड़ी अपील करते हुए कहा है की कोरोना से बचने के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों का जरूर पालन करें क्योंकि आने वाले अगले 6 महीने में दुनियाभर में करीब 6000 बच्चों की प्रतिदिन मौत होने की संभावना है.

By SumitKumar Verma | May 14, 2020 2:32 PM

coronavirus increase child deaths by 6000 per day, unicef warns India यूनिसेफ ने अपने 73 साल के इतिहास में आने वाले सबसे बड़े खतरे के लिए लोगों को आगाह किया है. बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर खासा प्रभाव पड़ रहा है. यह वायरस हमारे इम्यूनिटी को कमजोर कर रही है. संस्था ने सबसे बड़ी अपील करते हुए कहा है की कोरोना से बचने के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों का जरूर पालन करें क्योंकि आने वाले अगले 6 महीने में दुनियाभर में करीब 6000 बच्चों की प्रतिदिन मौत होने की संभावना है.

यूनिसेफ ने यह विश्लेषण जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित खबर के आधार पर किया है. इस विश्लेषण के अनुसार 118 निम्न-मध्यम आय वाले देशों में स्थिति सबसे खराब दिख रही है. नियमित स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती को इसकी मूल वजह बताया गया है. यही कारण है कि पांच साल से कम उम्र के अतिरिक्त 1.2 मिलियन बच्चों की छह महीने में मौत हो सकती है.

उन्होंने आगे कहा कि फिलहाल दुनियाभर में हर छह महीने में करीब 2.5 मिलियन बच्चे अपना पांचवां जन्मदिन नहीं मना पाते हैं. वहीं, जो नया खुलासा हुआ है उसके अनुसार इस 2.5 मिलियन के अतिरिक्त 1.2 मिलियन बच्चों की मौत होने की संभावना जतायी जा रही है.

यूके, यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक सच्चा देशमुख ने कहा, “यह महामारी हम सभी के लिए दूरगामी परिणाम दे रही है. निस्संदेह यह विश्व युद्ध दो के बाद से सबसे बड़ा वैश्विक संकट बनकर उभरा है. जिसमें नन्हें बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा है.

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन, कर्फ्यू होने के कारण कई स्वास्थ्य केंद्र बंद पड़े है. लोग रेगुलर चेकअप नहीं करवा पा रहे या संक्रमण से भयभीत लोग जाना भी नहीं चाह रहे है. बच्चों को जरूरी सेवाएं और खाद्य आपूर्ति नहीं हो पा रही है, शिक्षा व्यवस्था भी चौपट हो गई है. इसके अलावा ब्रिटेन में भी, बच्चों को खसरे के प्रकोप का खतरा बढ़ गया है.

ऐसे में यूनिसेफ कोरोनवायरस के प्रभाव से निपटने के लिए दुनिया भर के बच्चों और परिवारों को इसकी जारी जानकारी दी है और लोगों से सबसे बड़ी अपील करते हुए “सेव जनरेशन कोविड” लॉन्च किया है.

इसके तहत लोगों से भी अपील की गई है की इच्छानुसार डोनेट करें ताकि ऐसे गरीब, निर्धन परिवारों तक महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति की जाए. जिससे बच्चों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सेवाओं को पहुंचाने में मदद मिल सके. इसके अलावा कोरोना वायरस के रोकथाम अभियानों कर कार्य कर रहे संस्थानों को समर्थन किया जा सके.

वहीं, यूनिसेफ यूके के राजदूत, इवान मैकग्रेगर ने कहा कि “मैंने अपने सोलह वर्ष के कार्यकाल में कभी भी ऐसी कोई दूरगामी वैश्विक अपील नहीं की है. इस अपील का एकमात्र उद्देश्य है दुनियाभर के बच्चों को इस संकट से बचाना. उन्होंने बताया कि बुनियादी चिकित्सा नहीं मिल पाने के परिणामस्वरूप हर दिन हजारों बच्चे मर जाएंगे, यह दिल दहलाने वाली भविष्यवाणी है.

उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में, मैंने इथियोपिया, मलावी और भारत जैसी कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं वाले देशों का भ्रमण भी किया है. ऐसे में कई बच्चों से मुलाकात भी की है. उन्होंने विश्वास दिलाते हुए कहा की कोरोनोवायरस महामारी से इन देशों के बच्चों की मरने की संभावना बेहद अधिक हो गई है. उन्होंने ऐसे देशों को इस मुहिम से जुड़ कर आने वाली पीढ़ी को बचाने को कहा.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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