लंदन: कोरोनावायरस ने पिछले दो सालों में 1.5 करोड़ जानें ले ली हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. WHO ने कहा है कि दो वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवायी.
डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से 47 लाख लोगों की मौत हुई. भारत ने डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रामाणिक आंकड़ों की उपलब्धता के बावजूद कोरोना वायरस महामारी से संबंधित अधिक मृत्यु दर अनुमानों को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस्तेमाल किये गये मॉडल और डेटा संग्रह की कार्यप्रणाली संदिग्ध है.
यह देशों द्वारा मुहैया कराये गये आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 60 लाख मौत के दोगुने से अधिक है. ज्यादातर मौतें दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं. डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयियस ने इस आंकड़े को ‘गंभीर’ बताते हुए कहा कि इससे देशों को भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित होना चाहिए.
डब्ल्यूएचओ के तहत वैज्ञानिकों को जनवरी 2020 और पिछले साल के अंत तक मौत की वास्तविक संख्या का आकलन करने की जिम्मेदारी दी गयी थी. रिपोर्ट के मुताबिक 1.33 करोड़ से लेकर 1.66 करोड़ लोगों की मौत या तो कोरोनावायरस या स्वास्थ्य सेवा पर पड़े इसके प्रभाव के कारण हुई. जैसे कि कोविड मरीजों से अस्पताल के भरे होने के कारण कैंसर के मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया.
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यह आंकड़ा देशों की ओर से उपलब्ध कराये गये आंकड़ों और सांख्यिकी मॉडलिंग पर आधारित है. डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 से सीधे तौर पर मौत का विवरण नहीं मुहैया कराया है. येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में संक्रामक रोग विशेषज्ञ अल्बर्ट कू ने कहा, ‘किसी संख्या के बारे में निष्कर्ष पर पहुंचना जटिल काम है, लेकिन डब्ल्यूएचओ के ये आंकड़े यह समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें भविष्य की महामारी का मुकाबला कैसे करना चाहिए और किस तरह की तैयारी रखनी चाहिए.’
भारत जैसे देशों ने कोविड-19 से हुई मौतों के आकलन की पद्धति को लेकर सवाल उठाये हैं. इस सप्ताह की शुरुआत में भारत सरकार ने नये आंकड़े जारी किये, जिससे पता चला कि पिछले साल की तुलना में वर्ष 2020 में 4,74,806 अधिक मौतें हुईं. भारत ने वर्ष 2021 के लिए मौत का अनुमान जारी नहीं किया.
ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ भरत पंखानिया ने कहा कि खासकर गरीब देशों में कोविड-19 से हुई मौतों के बारे में सटीक संख्या का पता कभी नहीं चल सकेगा. उन्होंने कहा कि दीर्घावधि में कोविड-19 से अधिक नुकसान हो सकता है.
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