क्या चिकन खाने से फैल रहा है कोरोना वायरस, जानें झूठ है या सच?
चीन में अधपके और कच्चे फूड खाने की परंपरा है. वहां जानवरों के औषधि भी आयुर्वेद रूप में कच्चे तौर पर दिए जाते है. यहां के कई रेस्त्रां ऐसे मिलेंगे जहां चमगादड़ का सूप परोसा जाता है. इन सूप के कटोरों में आपको एक साबुत चमगादड़ भी मिलता है. वहीं कई बाघ के अंडकोष और पाम सिवेट के शरीर के अंग शामिल भी होते हैं. सांपों को भी कई तरह से यहां के लोग खाते है. भुना हुआ कोबरा सांप, भालू के भुने हुए पंजे, बाघ की हड्डियों से बनी शराब जैसी डिश महंगे रेस्त्रां में आम है.
चीन से फैले कोरोना वायरस ने 60 से अधिक देशों में डर का माहौल बना रखा है. दुनियाभर में इससे 3000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. बुधवार को जानी मानी कंपनी पेटीएम के एक कर्मचारी के कोरोना प्रभावित होने के बाद कंपनी को दो दिनों के लिए शटर गिरानी पड़ी. इससे पहले नोएडा में भी एक मामले के सामने आने के बाद स्कूल बंद करनी पड़ी थी. इन सब के बिच आज हम आपको कुछ ऐसी जानकारी देने जा रहे जो आपके रसोई से जुड़ी है. यह जानकारी है चिकन को लेकर. दरअसल जितनी तेजी से ये बिमारी नही फैल रही उससे तेजी से फैल रही है इसे लेकर भ्रांतियां.
आपको बता दें की सोशल मीडिया में ये अफवाह फिलहाल जोर-शोर से फैलाया जा रहा है कि चिकन, मीट, मछली व अंडे खाने वाले को इस वायरस का प्रकोप झेलना पड़ रहा है. लेकिन ये बातें कितनी सच है? जानें हमारे इस खास रिपोर्ट में-
आपको बता दें कि भारत में खानें बनाने की प्रक्रिया चीन जैसे अन्य देशों से बिल्कुल भिन्न हैं. यहां किसी रॉ फूड्स में अगर कोई वायरस मौजूद भी रहता है तो उसे विभिन्न तरीकों से पकाए जाने के बाद उसमें छिपे सारे वायरस मर जाते है. उंची आंच में पकाए हुए व्यंजनों के कारण वायरस टिक नही पाते. अत: चिकेन से कोरोना के फैलने की संभावना न के बराबर है.
चीन में परोसे जाते है अधपके भोजन, जानवरों का है बड़ा कारोबार
वहीं चीन में अधपके और कच्चे फूड खाने की परंपरा है. वहां जानवरों के औषधि भी आयुर्वेद रूप में कच्चे तौर पर दी जाती है.
चीन में जानवरों का बड़ा कारोबार है. यहां के कई रेस्त्रां ऐसे मिलेंगे जहां चमगादड़ का सूप परोसा जाता है. इन सूप के कटोरों में आपको एक साबुत चमगादड़ भी मिलता है. वहीं कई बाघ के अंडकोष और पाम सिवेट के शरीर के अंग शामिल भी होते हैं. सांपों को भी कई तरह से यहां के लोग खाते है. भुना हुआ कोबरा सांप, भालू के भुने हुए पंजे, बाघ की हड्डियों से बनी शराब जैसी डिश महंगे रेस्त्रां में आम है. कुछ बाज़ारों में चूहे, बिल्लियां, समेत अन्य दुर्लभ चिड़ियों की प्रजातियां भी कच्चे या अधपके रूप में बेची जाती हैं.
यहां कुछ जानवरों तो स्वाद की वजह से खाए जाते है. वहीं, कुछ जानवरों का इस्तेमाल पारंपरिक दवाओं में कच्चे तौर पर किया किया जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो इस वायरस के प्राथमिक स्रोत चमगादड़ हो सकते हैं. और किसी इंसान से पहले ये वायरस किसी जानवर में गए होंगे.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.