…तो क्या मिल गई Corona की दवा, रेमडेसिविर के शुरुआती ट्रायल में सकारात्मक नतीजे
कोरोना वायरस के इलाज में दवा के असर को लेकर एक नयी उम्मीद जगी है. अमेरिका ने कोविड-19 बीमारी के उपचार के लिए रेमडेसिवियर दवा पर भरोसा जताते हुए कहा है कि इस बात के साफ सबूत मिले हैं कि ये दवा कोविड-19 के मरीजों को ठीक कर सकती है.
कोरोना वायरस के इलाज में दवा के असर को लेकर एक नयी उम्मीद जगी है. अमेरिका ने कोविड-19 बीमारी के उपचार के लिए रेमडेसिवियर दवा पर भरोसा जताते हुए कहा है कि इस बात के साफ सबूत मिले हैं कि ये दवा कोविड-19 के मरीजों को ठीक कर सकती है. रेमडेसिविर के शुरुआती ट्रायल में सकारात्मक नतीजे आए हैं. इस ड्रग का इस्तेमाल इबोला के मरीजों में किया जा चुका है.
Hospitalized patients with advanced COVID-19 who received remdesivir recovered faster than those who received placebo: NIAID
Read @ANI Story | https://t.co/ZsPMQI9Qti pic.twitter.com/DavmzsgNj1
— ANI Digital (@ani_digital) April 29, 2020
विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर इस दवा से जुड़े दावों की पुष्टि होती है तो मौजूदा दौर की एक बेहतरीन ख़बर होगी. लेकिन उन्होंने ये भी कहा है कि ये दवा इस बीमारी के लिए जादुई पुड़िया की तरह नहीं है. इस दवा से लोगों की जान बचाने की क्षमता विकसित होगी, अस्पतालों पर बोझ कम किया जा सकेगा और कुछ जगहों पर लॉकडाउन हटाए जा सकेगा.
बीबीसी के मुताबिक, ट्रायल डेटा के अनुसार दुनिया भर के 75 फीसदी अस्पतालों में एक हजार गंभीर रूप से कोरोना पीड़ितों को यह दवाई दी गई और प्लेसीबो दवाई की तुलना में इनमें से 31 फीसदी अधिक लोग ठीक हो गए. रेमडेसिवियर 15 से 11 दिन का वक्त ले रही है. वैज्ञानिकों ने ये भी कहा है कि यह दवाई प्रभावी हो सकती है. रेमडेसिवियर जिन्हें दी गई उनमें से आठ फीसदी लोग नहीं बचाए जा सके जबकि प्लेसीबो में यह आकड़ा 11 फीसदी है. रेमडेसिवियर अमरीकी कंपनी गिलिएड बना रही है. हालांकि अभी इसकी पुष्टि के लिए और डेटा की जरूरत है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि जो गंभीर रूप से बीमार हैं उनके लिए यह प्रभावी साबित हो सकती है. दुनिया भर के अस्पतालों में इसका ट्रायल चल रहा है. हालांकि इससे पहले चीन में यह ट्रायल में फेल हो गई थी. लेकिन तब कहा गया कि वो ट्रायल बहुत ही शुरुआती और छोटा था. नया ट्रायल यूएस नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शन डिजीज के मंच तले किया गया है. यह अमरीका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के अंतर्गत आता है.
सीएनएन के मुताबिक, अमेरिका के जाने-माने संक्रामक बीमारी विशेषज्ञ डॉ एंथनी फाउची ने कहा है कि यह एक अच्छी खबर है. फाउची ने कहा कि यह तो तथ्य है कि एक ड्रग विषाणु को ब्लॉक कर सकती है. लंदन में एमआरसी ट्रायल यूनिट के निदेशक प्रोफ़ेसर महेश परमार ने कहा है, रेमडेसिवियर का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह पहला अंतर्राष्ट्रीय ट्रायल है. इसके नतीजे से उम्मीद बनी है. इसके डेटा और नतीजों की समीक्षा जारी रहनी चाहिए.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.