Dengue fever: बच्चों के स्वभाव में ही चंचलता भरी होती है. वे एक जगह टिक पर नहीं बैठते. मौसम कोई भी हो उनके खेल का रूटीन वैसा ही रहना चाहिए जो हमेशा रहता है. ऐसे में कई बार वे बीमार भी हो जाते हैं. दरअसल मानसून में लगातार बारिश से कई जगहों पर जलजमाव की स्थिति बन जाती है. इसी जलजमाव वाले स्थानों में मच्छरों के पनपने और अन्य वेक्टर जनित बीमारियों के फैसने का खतरा बढ़ जाता है. अगर बच्चों में हाई फीवर, चकत्ते, बहुत तेज सिरदर्द और बदन में दर्द बना रहे तो इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए. ये सभी डेंगू के लक्षण हो सकते हैं. बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. माता – पिता को जितनी जल्दी हो सके अपने बच्चे को किसी डॉक्टर से जरूर दिखाना चाहिए.
डेंगू बुखार एक मच्छर जनित बीमारी है. यह एडीज मच्छर से फैलता है, जो जीका और चिकनगुनिया जैसे वायरस भी फैलाता है. मच्छर डेंगू बुखार से पीड़ित किसी व्यक्ति को काटता है और फिर किसी अन्य को काटता है, जिससे वह संक्रमित हो जाता है. इसमें कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगता है. सही से ध्यान नहीं देने पर स्थिति जानलेवा तक हो सकती है. ऐसे जोखिमों से बचने के लिए उपाय करते रहना चाहिए. इसके बचाव के लिए जरूरी है कि घर के अंदर और बाहर पानी जमा नहीं होने दें. डेंगू के मच्छर स्थिर और साफ पानी में पनपते हैं. अगर आपके लिए पानी जमा करना जरूरी है तो बंद कंटेनर में पानी जमा करें. घरों में खिड़कियों में जाली का कवर लगा सकते हैं जिससे ताजी हवा घरों में आए लेकिन मच्छरों की एंट्री ना हो. यदि बच्चे को दो दिनों से अधिक समय से लगातार बुखार हो तो डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है. माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे पूरी आस्तीन वाले और ऐसे कपड़े पहनें जो उनके शरीर के अधिकांश हिस्से को ढंकते हों. इससे मच्छर उन्हें नहीं काट पाएंगे. इसके साथ ही बच्चों के शरीर पर मच्छर भगाने वाली क्रीम का उपयोग करने की सलाह दी जाती है. घरों में डेंगू के मच्छर ना घुसे इसलिए शाम को अंधेरा होने के बाद दरवाजे और खिड़कियों को जरूर बंद कर लें.
मानसून के मौसम में बच्चों के बीमार पड़ने पर कई माता- पिता खुद से ही बच्चों का इलाज शुरू कर देते हैं. ऐसे में मामला सुधरने की बजाय बिगड़ने लगता है. इसलिए खासकर जब बहुत तेज बुखार हो तो अधिक केयर की जरूरत है. इस स्थिति में चिकित्सक के परामर्श पर चलना बहुत महत्वपूर्ण है. इम्युनिटी को मजबूत बनाए रखने का प्रयास करें . बच्चे को पूरे ढंके हुए कपड़े पहनाएं, शरीर के खुले हिस्सों पर मच्छर प्रतिरोधी क्रीम लगाएं और संभव हो तो घर की खिड़कियां और दरवाजे बंद रखना चाहिए. ऐसा करने से डेंगू संचरण का रिस्क कम होता है.मरीज को खूब सारा पानी और तरल पदार्थ पिलाए जिससे वह हाइड्रेटेड रहेगा. जितना संभव हो उतना आराम करना उसके लिए सही रहेगा.
बच्चों में डेंगू के लक्षणों की बात करें तो यह जानना जरूरी है कि डेंगू बुखार आमतौर पर संक्रमण के 4 से 10 दिन बाद अपने लक्षण प्रकट करता है. डेंगू से पीड़ित लगभग 20 में से 1 व्यक्ति में प्रारंभिक लक्षण कम होने के बाद गंभीर डेंगू विकसित हो सकता है . डेंगू के लक्षणों का बिगड़ना जीवन के लिए खतरा बन सकता है. इसलिए माता-पिता को बच्चों में डेंगू के शुरुआती लक्षणों के प्रति अलर्ट रहना चाहिए. इसके लक्षणों में बहुत तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द (विशेष रूप से आंखों के पीछे), शरीर में दर्द, जोड़ों में दर्द और शरीर पर दाने निकलना शामिल हैं जो बुखार के कुछ दिनों के बाद दिखाई देते हैं.कुछ और भी लक्षण जैसे उल्टी, मसूड़ों से खून आना, आसानी से चोट लगना और पेट में दर्द भी होता है. बच्चों में इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो डेंगू बुखार के सही उपचार के लिए मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए. डेंगू बुखार का निदान ब्लड टेस्ट से पहचान करने के बाद किया जाता है.डेंगू बुखार के खतरे से बचने का सबसे अच्छा तरीका खुद को और अपने परिवार को मच्छरों से बचाना है. इसके साथ ही अपने घर और आसपास सफाई रखना और दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करना जरूरी है.
Also Read: Silent heart attack : कैसे पहचाने संकेत, ध्यान से सुनें अपने ‘ दिल ’ की बातDisclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.