कभी अखबारों में या खबरों में इस बीमारी के सिम्टम्स कभी ज़िक्र होता हैं.एक उदास मन लगातार निराशावादी स्थिति में रहता है और नकारात्मक विचारों से घिरा रहता है. जिससे आप अपने अस्तित्व पर सवाल उठा सकते हैं, दैनिक कार्यों को करने के लिए अपनी ऊर्जा खर्च कर सकते हैं, और आपको जीवन की सामान्य लेकिन सुंदर चीजों से दूर रह जायेगे.
डिप्रेशन एपिसोडिक हो सकता है लेकिन आपके स्वास्त पर भारी असर डालता है.वर्तमान समय में डिप्रेशन एक गंभीर समस्या बनता जा रही है और बड़ी संख्या में लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. जो लोग इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं, उन्हें ठीक होने में लंबा वक्त लगता है.अपने किसी करीबी परिवार के सदस्य या दोस्तों को इस कठिन बीमारी से जूझते हुए देखकर आप उन सकारात्मक बदलावों के बारे में सोचते हैं. जो आप उनके जीवन में ला सकते हैं.
अवसादग्रस्त व्यक्ति का समर्थन करना आसान नहीं है, यह देखते हुए कि लापरवाह या लापरवाही से गढ़े गए शब्द उल्टा पड़ सकते हैं और व्यक्ति को और भी दुखी कर सकते हैं. यदि आप डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को यह नहीं समज पा रहे की यह चरण अस्थायी है और अच्छे दिन का इंतजार कर रहे हैं, तो यहां कुछ चीजें हैं जो आप अपने करीबियों को बता सकते हैं और उन्हें आशा दे सकते हैं:-
1. उन्हें ये बताये “मुझे पता है कि आप अभी जो कुछ भी कर रहे हैं उसे शेयर करने से डर सकते हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि आप यह जान लें कि जब भी आप मानसिक रूप से तैयार हों तो मैं यहां आपके लिए हूं.”
2. उन्हें ये बताये “मुझे मैं हमेशा सही बात नहीं बता सकता लेकिन मैं यहां आपके लिए हूं, हमेशा आपके अनुभव को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश कर रहा हूं.”
3. उन्हें ये बताये की “अगले सप्ताह या अगले महीने की जगह आप इस दिन के सोचे और इसे बेहतर बनाने की कोशिश करे”
4. उन्हें बेहतर फील कराने के लिए उनके साथ बैठने की कोशिश करे और उनसे बात करने की कोशिश करे अगर वो चीज़े शेयर नहीं करना चाहते है. तो उनपे कोई दबाव ना बनाये
5. उन्हें बताये की “वो खुद को बेहतर इंसान के रूप में देखे ना की एक हारे हुए इंसान के रूप में”.
6. उन्हें बताये की “मैं आपकी डिप्रेशन से लड़ने की ताकत की सरहाना करता हूं
7. उन्हें बातये की “आपको अभी सब कुछ ठीक करने की ज़रूरत नहीं है.आराम करें, तब तक ब्रेक लें जब तक आपको ऐसा न लगे कि आप दोबारा कोशिश कर सकते हैं.
8.अपने करीबी को ये बताये ये बीमारी हमेशा नहीं रहेगी अपने आप को मज़बूत करने से इस बीमारी से बहार निकला जा सकता है.
भारत में 20 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 42 प्रतिशत कर्मचारी डिप्रेशन और एंग्जाइटी से पीड़ित हैं डिप्रेशन और अकेलापन भारत सहित पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है और इसे केवल समाज की जिम्मेदारी मानकर नजर अंदाज नहीं किया जा सकता.