मधुमेह के कारण आंखों की रोशनी कम होना, गुर्दा खराब होना, पेशाब में प्रोटीन आना, कॉलेस्टेरॉल बढ़ना, स्नायुतंत्र की संवेदनशीलता कम हो जाना जैसी परेशानियां आ सकती हैं. यहां तक की ट्यूमर भी हो सकता है. मधुमेह में पोटैशियम युक्त पदार्थों का सेवन लाभकारी होता है. यदि आसन और प्राणायाम नियमित रूप से किया जाये, तो तनाव भी कम होगा और मधुमेह से भी दूर रहेंगे. नीचे दिये जा रहे आसनों के अलावा वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, शशांकासन, मंडूकासन, पवनमुक्तासन और भस्त्रिका प्राणायाम इसमें बेहद फायदेमंद माने जाते हैं.
कपालभाति : कपालभाति प्राणायाम करने से शरीर के 80% विषैले तत्त्व बाहर जाती सांस के साथ निकल जाते हैं. पेट की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं और रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करनेवाली कोशिकाएं सक्रिय रहती हैं. इससे इन्सुलिन का स्तर भी संतुलित रहता है. यह प्राणायाम हर्निया, मिर्गी, स्लिप डिस्क, कमर दर्द अथवा स्टेंट के मरीजों को नहीं करनी चाहिए.
विधि: सुखपूर्वक बैठकर सांसों को लगातार बाहर की ओर फेकें. ध्यान रहे कि सांसें लेनी कम हैं और बाहर फेंकनी ज्यादा है. थकान महसूस हो, तो रुक जाएं. शुरुआत में 20 से 25 बार लगातार सांसों को बाहर की ओर फेकें. फिर थोड़ी देर बाद यह क्रम दुहराएं. शुरुआत में 1 मिनट तक करें.
सुप्त मत्स्येंद्रासन : इस आसन से विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं और पीठ में खिंचाव पैदा होता है. यह पूरे शरीर को शांत करता है और शरीर के भीतरी अंगों को निर्मल करता है. मधुमेह सहित पेट की दूसरी समस्याएं भी इससे दूर होती हैं. कूल्हों या घुटनों में चोट हो, तो इसे न आजमाएं.
विधि : लेटकर दोनों हाथों को कंधे की सीध में दोनों तरफ फैला लें. फिर दायें पैर को घुटने के पास से मोड़कर ऊपर की ओर उठाएं और बायें घुटने पर टिका दें. इसके बाद सांस को छोड़ते हुए, दायें कूल्हे को उठाएं और पीठ को बायीं तरफ मोड लें. दायें घुटने को नीचे की तरफ जाने दें. दोनों हाथ जमीन पर ही रखें. प्रयास करें कि दायां घुटना पूरी तरह से शरीर के बायीं तरफ टिक जाये.
अर्धमत्स्येंद्रासन : इस आसन से लिवर, पेट और किडनी की समस्याएं दूर होती हैं. यह रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाता है, जो डायबिटीज के रोगियों के लिए विशेष फायदेमंद होता है. यह आसन पेट के रोग और कब्ज को ठीक करता है.
विधि : दोनों पैरों को सामने फैलाकर बैठें. बायें पैर को मोड़कर बायीं एड़ी को दाहिने हिप के नीचे आराम से रखें. फिर दायें पैर को मोड़ते हुए दायें पैर का तलवा घुटने की बायीं ओर जमीन पर रख लें. अब बायें हाथ को दायें घुटने की दायीं ओर ले जाएं और कमर को घुमाते हुए दायें पैर के तलवे को पकड़ लें. इसके बाद दायें हाथ को अपनी कमर पर रखें. सिर से कमर तक का हिस्सा दायीं ओर मोड़ें. अपनी क्षमता के अनुसार इसी स्थिति में बैठे रहें. फिर इसे दूसरी ओर से दुहराएं.
धनुरासन: यह पीठ/रीढ़ की हड्डी और पेट के स्नायु को बल प्रदान करता है. छाती, गर्दन और कंधों की जकड़न दूर करता है और मधुमेह के उपचार में काफी कारगर है. गर्भवती महिलाएं इस आसान को न करें.
विधि : पेट के बल लेटें और हाथ पीछे करते हुए पैरों को पकड़ें. सांस भरते हुए सीने और पैरों को ऊपर उठाएं और हाथों को सीधा रखते हुए कूल्हों को ऊपर उठाकर, पैरों को पीछे की ओर खींचें. सिर और जांघों को जमीन से यथाशक्ति ऊपर उठाएं. लंबी सांसों के संग लगभग 20 सेकेंड तक करें. सांस छोड़ते हुए वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं. यह प्रक्रिया तीन से पांच बार दोहराएं.
Posted by: Pritish Sahay
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.