Food: गोवा के व्यंजनों के जायके

गोवा के पेशेवर बावर्ची दुनियाभर में मशहूर थे. इन्हें 'ईस्ट इंडियन कुक’ कहा जाता था. तो गोवा के जायके का मजा लेने के लिए गोवा का सफर जरूरी नहीं. आप जरा सी जहमत उठाकर स्वादिष्ट व्यंजन घर पर बना सकते हैं...

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2022 1:26 PM

पुष्पेश पंत

आजादी का अमृत महोत्सव मनाते अनायास इस बात का स्मरण हो आया कि भारत के सभी हिस्से 15 अगस्त, 1947 को स्वाधीन नहीं हो सके थे. गोवा में चार सौ साल से चला आ रहा पुर्तगाली राज कोई डेढ़ दशक तक जारी रहा. जाहिर है कि इतने लंबे समय तक यूरोपीय उपनिवेश रहने के कारण इस प्रदेश के खान-पान पर फिरंगियों का प्रभाव विविध व्यंजनों में सर्वत्र देखा जा सकता है. अन्यत्र वर्जित बीफ तथा पोर्क दोनों का चलन यहां है. खाने में सिरके और मदिरा का उपयोग भी गोवा के जायकों का अंग है, पर इस सबसे यह नतीजा निकालना गलत होगा कि इस नन्हें राज्य की थाली में स्वदेशी जायकों का अभाव है.

गोवा की ‘फिश करी’

गोवा की सीमा महाराष्ट्र और कर्नाटक से जुड़ी है तथा नदियों और सागर पर सक्रिय सौदागरों के जरिये यहां के निवासियों का संपर्क दक्कन के पठार के व्यापारियों के साथ सदियों से रहा है. दूर-दराज जगहों से आकर विभिन्न समुदायों के लोग यहां बसे, जिनमें सारस्वत ब्राह्मण, पठारे प्रभु कायस्थ उल्लेखनीय हैं. इनमें अनेक ने धर्मांतरण के बाद भी अपनी परंपराओं को सहेज कर रखा है. मछलियां तथा झींगे सभी खाते हैं- अपने को शाकाहारी समझने वाले भी. गोवा की ‘फिश करी’ सुर्खी लिये मंगलूर की करी की याद दिलाती है, जिसमें इमली और नारियल के पानी का इस्तेमाल होता है, पर इसका स्वाद फर्क होता है. ‘बाल चाओ’ झींगों से तैयार होने वाला तीखा अचार है, जो सब्जी की तरह काम लाया जा सकता है. सारपौटेल और विंडालू जैसे विशेष व्यंजन, जो पोर्क से बनाये जाते हैं, आजकल बकरे के मांस से बनाये जाने लगे हैं. इस कारण सिरके-प्याज की जायकेदार जुगलबंदी का मजा वे शौकीन भी ले सकते हैं, जो इस तरह के मांस को निषिद्ध समझते हैं. मुर्गी का सबसे मशहूर स्थानीय व्यंजन ‘चिकन शकूती’ है, जिसका आविष्कार पुर्तगालियों के राज में गोवा में ही हुआ. इसका मसाला ‘क्रिओल’ रसोई की देन समझा जाता है. क्रिओल अर्थात गोरों तथा अश्वेत जायकों तथा खाना पकाने की पद्धतियों का संगम. इस तरह के व्यंजन वेस्ट इंडीज से लेकर अफ्रीका तथा चीन के मकाओ द्वीप तक में चखे जा सकते हैं.

गोवा के शाकाहारी व्यंजन

गोवा के शाकाहारी व्यंजनों को भुलाना ठीक नहीं. ‘वर्द जाक पिकान्ते’ छोटे हरे कटहल की तीखी तरकारी है, जो बंगाल के एंचोलेर कलिया की याद दिलाती है. हरी पत्तेदार सब्जियां, लाल चौलाई भी कम लोकप्रिय नहीं. ‘सना’ इडली की शक्ल का बन है, जिसके लिये चावल के आटे को ताड़ी में साना जाता है. काजू, जो पुर्तगालियों के साथ भारत पहुंचा, फैनी नामक मदिरा बनाने के काम भी लाया जाता है तथा इससे पकौड़े तथा सब्जी भी बनाते हैं. नारियल, वनीला, अंडों तथा शकर से बना परतदार केक बिबिंका भी गोवा की ही ईजाद है. इसके देशज अवतार में गुड़ का प्रयोग होता है.

गोवा के पेशेवर बावर्ची

गोवा के पेशेवर बावर्ची दुनियाभर में मशहूर थे. इन्हें ‘ईस्ट इंडियन कुक’ कहा जाता था. ईस्ट विशेषण वेस्ट इंडीज से फर्क जतलाने के लिए था. यह एक खास मसाले को बरतते थे, जिसे अंग्रेज ‘बॉटल मसाला’ कहते थे. खोपरा, तेज लाल मिर्च, धनिया के अलावा इसमें काली मिर्च, दालचीनी, लौंग आदि शामिल रहते थे. इसका जायका उत्तर भारतीय गरम मसाले से बहुत भिन्न होता है. गोवा के जायके का मजा लेने के लिए गोवा का सफर जरूरी नहीं. आप जरा सी जहमत उठा कर बहुत सारे स्वादिष्ट व्यंजन घर पर बना सकते हैं.

Next Article

Exit mobile version