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इस खास ग्लूकोज को पानी में घोलकर पिलाने से ही हवा हो जाएगा Corona, जानिए कैसे?

कोरोना रोधी इस दवा को डीआरडीओ की प्रमुख लेबोरेटरीज नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान (इनमास) और हैदराबाद के डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के साथ मिलकर तैयार किया है. यह दवा एक सैशे में पाउडर के रूप में उपलब्ध रहेगी, जिसे पानी में घोलकर पिलाने से मरीज स्वस्थ हो जाते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2021 2:38 PM

Covid-19 Drug of DRDO : अगर आपको यह कहा जाए कि बाजार में बिकने वाले ग्लूकोज या फिर इलेक्ट्रॉल पावडर की तरह ही दिखने वाले खास प्रकार से तैयार ग्लूकोज को पानी में घोलकर पिलाने मात्र से ही कोरोना का संक्रमण ठीक हो जाएगा, तो शायद आप भरोसा नहीं कर सकेंगे. लेकिन, यह हकीकत है और इसे हकीकत में बदलने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ मिलकर दिनरात एक कर दिया. आज इसी का नतीजा है कि सरकार की ओर से इस आसान सी दिखने वाली दवा को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए लॉन्च कर दिया गया है.

संक्रमण पर कैसे काम करती है दवा

बता दें कि कोरोना रोधी इस दवा को डीआरडीओ की प्रमुख लेबोरेटरीज नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान (इनमास) और हैदराबाद के डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के साथ मिलकर तैयार किया है. यह दवा एक सैशे में पाउडर के रूप में उपलब्ध रहेगी, जिसे पानी में घोलकर पिलाने से मरीज स्वस्थ हो जाते हैं. बीते 8 मई को रक्षा मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा था कि 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) के क्लीनिकल टेस्ट में पता चला है कि इससे अस्पताल में भर्ती मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलती है. इसके साथ ही, इस दवा से मरीज जल्दी ठीक होते हैं.

गेम चेंजर साबित हो सकता है पावडर

डीआरडीओ की कोरोना रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) को ऐसे समय में लॉन्च किया गया है, जब भारत कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर की चपेट में है और इसने देश के चिकित्सा प्रणाली को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. ऐसी स्थिति में यह माना जा रहा है कि देश में बनाई गई कोरोना की यह दवा महामारी में गेम चेंजर साबित हो सकती है. फिलहाल, इसकी 10 हजार खुराक बनकर तैयार है और आपातकालीन इस्तेमाल के लिए इसका उत्पादन तेज कर दिया गया है.

कहां-कहां हुआ था क्लिनिकल ट्रायल

डीआरडीओ की जिस 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) को डीसीजीआई की ओर से आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है, उसका क्लिनिकल ट्रायल दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 कोविड अस्पतालों में हुआ था. यह ट्रायल दिसंबर 2020 और मार्च 2021 के बीच 220 मरीजों पर किया गया था.

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वायरस के ग्रोथ के रुकने से स्वस्थ होते हैं मरीज

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज 2डीजी अणु का बदला हुआ स्वरूप है. 2डीजी अणु का इस्तेमाल ट्यूमर और कैंसर कोशिकाओं के इलाज के लिए किया जाता है. डीआरडीओ और डॉ रेड्डी लैब के ट्रायल में इस बात की जानकारी मिली है कि कि 2डीजी कोरोना मरीजों के इलाज में कारगर साबित होने के साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को भी कम करने में सक्षम है. इस दवा को सेकेंडरी मेडिसिन की तरह इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है.

यह दवा काफी हद तक ग्‍लूकोज जैसी है, लेकिन ग्‍लूकोज नहीं है. दवा की खुराक लेने पर वायरस इस ग्‍लूकोज एनालॉग को लेगा और उसी में फंस जाएगा. इसका मतलब यह कि इस दवा का सेवन करने के बाद कोरोना का वायरस अपनी कॉपीज नहीं बना पाएगा. कुल मिलाकर यह कि यह दवा उसकी ग्रोथ को रोकने में कारगर है.

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Posted by : Vishwat Sen

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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