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H3N2 वायरस से डरें नहीं! करें कोविड प्रोटोकॉल का पालन, जानें ये बड़ी बातें

H3n2 Virus: इन दिनों सर्दी के साथ बुखार व खांसी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे का एक कारण मौसम में बदलाव है. मौसम बदलने पर ये समस्याएं कॉमन हैं, लेकिन इसके लिए सिर्फ मौसम की मार ही जिम्मेदार नहीं है.

H3n2 Virus: इन दिनों सर्दी के साथ बुखार व खांसी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे का एक कारण मौसम में बदलाव है. मौसम बदलने पर ये समस्याएं कॉमन हैं, लेकिन इसके लिए सिर्फ मौसम की मार ही जिम्मेदार नहीं है. दरअसल, इन्फ्लुएंजा-ए के सब-टाइप एच3एन2 (H3N2) वायरस की वजह से देशभर में फ्लू के मामले तेजी से सामने आये हैं. इस वायरस का संक्रमण कोरोना वायरस की तरह ही फैलता और इसके लक्षण भी कोविड-19 जैसे ही हैं, जो सभी उम्र के लोगों पर असर डालता है. ऐसे में विशेषज्ञों ने सतर्कता बरतने की सलाह दी है. जानें कैसे करें इससे अपना बचाव.

कोरोना संक्रमण के बाद आजलकल देश में एच3एन2 वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. यह वायरस भी कोरोना की तरह श्वसन तंत्र यानी फेफड़ों पर हमला करता है. इसे हॉन्गकॉन्ग फ्लू भी कहते हैं. कोरोना वायरस और एच3एन2 के कई लक्षण बिल्कुल एकसमान हैं. विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, अभी देशभर की अलग-अलग लैब में फ्लू के मरीजों के जो सैंपल आ रहे हैं. उनमें औसतन 10 में से 6 केस एच3एन2 वायरस के मिल रहे हैं. इसकी वजह से अब तक देश में कई लोगों की जानें भी जा चुकी हैं.

क्या है एच3एन2 वायरस

इंसानों में पहली बार एच3एन2 वायरस की पहचान जुलाई, 2011 में हुई थी. इससे पहले 2010 में ये सूअरों में पाया गया था. यानी कि इस वायरस का शुरुआती कैरियर सूअर रहा है. वर्ष 2012 में पहली बार इस वायरस की वजह से बड़े पैमाने पर लोग संक्रमित हुए थे. एक बार फिर से अपने देश में इसके संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक, एच3एन2 वायरस इन्फ्लुएंजा-ए वायरस के परिवार से आता है, जो म्यूटेट होता रहता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस हर वर्ष थोड़ा बदलता है, जिसे एंटीजेनिक ड्रिफ्ट के रूप में जाना जाता है. यही वजह है कि इस वायरस के खिलाफ बनी इम्युनिटी को चकमा देकर एच3एन2 वायरस इंसानी शरीर को अपनी चपेट में ले लेता है.

कैसे फैलता है यह वायरस

यह संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है. छींकने-खांसने की स्थिति में संक्रमित व्यक्ति के मुंह या नाक से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स के माध्यम से यह फैलता है. साथ ही संक्रमित सतह को छूने के बाद उसी हाथ से अपने मुंह या नाक को छूने से यह आपको संक्रमित कर सकता है.

इसे आम वायरल फ्लू न समझें

इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के अनुसार, कमजोर इम्युनिटी वाले लोग खासकर बच्चे, बूढ़े और पहले से बीमार लोगों को इस वायरस से ज्यादा खतरा है. ऐसे में बूढ़े, बच्चों और पहले से बीमार लोगों में अभी बुखार, सर्दी-खांसी आदि फ्लू के कोई भी लक्षण दिखें, तो उसकी बिल्कुल भी अनदेखी न करें. 50 वर्ष से ज्यादा और पांच वर्ष से कम उम्र के लोगों में इस तरह के लक्षण ज्यादा देखने को मिल सकते हैं. स्कूल जाने वाले बच्चे भी इस इन्फ्लुएंजा की चपेट में आ सकते हैं. अस्थमा, डायबिटीज व हृदय रोग से जूझ रहे बुजुर्गों में यह संक्रमण जानलेवा हो सकता है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह कोरोना की तरह भीड़-भाड़ वाली जगहों में आसानी से लोगों को अपना शिकार बनाता है. ऐसे में बाहर निकलते समय मास्क लगा कर रहने में ही समझदारी है.

सात दिनों तक रह सकता है असर

विशेषज्ञ के अनुसार, 10 से 15 प्रतिशत मरीजों में ही इस वायरस का संक्रमण खतरनाक है. वहीं, ज्यादातर मरीजों में इसके लक्षण हल्के ही हैं. हालांकि, सामान्य इन्फ्लुएंजा संक्रमण की तुलना में एच3एन2 के संक्रमण से गंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि संक्रमण के लक्षण पांच से सात दिनों तक बने रह सकते हैं. एच3एन2 से होने वाला बुखार आमतौर पर तीन दिनों में उतर जाता है, लेकिन खांसी के लक्षण तीन हफ्ते तक भी बने रह सकते हैं.

इन आदतों से मजबूत होगी इम्युनिटी

तरल पदार्थ लेते रहें : हाइड्रेटेड रहने से शरीर को संक्रमण से लड़ने की ताकत मिलती है. इसके लिए पानी, जूस, नारियल पानी और सूप लें. मीठे पेय पदार्थ, सोडा और कॉफी जैसे पेय पदार्थों से बचें. प्यास नहीं लगने पर भी पानी पीते रहें.

खट्टे फलों का सेवन करें : विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करती हैं. आंवला, संतरा, नीबू जैसी चीजों का खूब सेवन करें.

नमक-पानी से करें गरारे : गले में खराश हो तो नमक के पानी से गरारे करने से ऊपरी श्वसन संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है.

एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से बचें

एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने डॉक्टर की सलाह के बिना अपने मन से कोई एंटीबायोटिक नहीं लेने की सलाह दी है. दरअसल, एंटीबायोटिक सिर्फ बैक्टीरियल संक्रमण में कारगर होते हैं. वहीं, आइएमए ने डॉक्टरों को भी सलाह देते हुए कहा है कि मौसमी फ्लू के लिए मरीजों को एंटीबायोटिक दवाएं लिखने से बचें. यह शरीर में एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बढ़ाता है.

फ्लू वैक्सीन से होगा बचाव

एच3एन2 वायरस से बचाव में फ्लू की वैक्सीन काफी कारगर हो सकती है. फ्लू वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बना देती है, जो मौसमी फ्लू से बचाव करती है. खासतौर पर कमजोर इम्युनिटी वालों और बच्चों व बुजुर्गों को वैक्सीन जरूर लेनी चाहिए. यह टीका हर वर्ष लगवाया जा सकता है. छह महीने से ज्यादा आयु के बच्चे से बुजुर्गों तक सभी टीके लगवा सकते हैं.

बच्चों का रखें खास ख्याल

  • बच्चे को बुखार है और साथ में रैशेज या लूज मोशन आदि लक्षण हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

  • बच्चे को भीड़-भाड़ वाली जगह न भेजें व उनकी सफाई का पूरा ध्यान रखें. साथ ही पोषक खाना खिलाएं.

  • इस समय आप बच्चे को विटामिन-सी युक्त फल यानी खट्टे फल खाने को दें, लेकिन यदि खांसी हो तो इससे बचें.

एच3एन2 से बचाव के लिए

इन बातों का रखें ध्यान

  • वायरल संक्रमण से बचने के लिए बाहर से आने पर अपने हाथों को हैंडवॉश से अच्छी तरह धोएं. खाने से पहले भी हाथों की सफाई का ध्यान अवश्य रखें.

  • घर में किसी को बुखार, सर्दी, खांसी होने पर उनसे दूरी बना कर रखें. करीब जाने की स्थिति में मास्क का प्रयोग करें.

  • अगर आपको भी सर्दी, खांसी व बुखार जैसे लक्षण दिखें, तो सतर्क हो जाएं, ऐसे में घर पर रहें और आराम करें.

  • छींकते-खांसते समय मुंह और नाक को नैपकीन, रुमाल आदि से ढक लें.

  • अपने हाथों से बार-बार आंख, नाक या मुंह को छूने से बचें.

  • भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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