कोविड-19 के इस मुश्किल दौर में जब हम घरों में रहकर स्वंय की रक्षा कर रहे हैं, ऐसे समय में कोरोना वरियर्स अपनी जान की परवाह न करते हुए अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं. कोरोना वायरस ने एक ओर जहां विश्व को एक स्वास्थ्य संकट में लाकर खड़ा कर दिया है, वहीं डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को एक वरियर की तरह प्रकट किया है और आम जनमानस में डॉक्टरों के प्रति जो विश्वास खो रहा था, उसे भी मज़बूत किया है.
यह कहना है आइएमए के पूर्व अध्यक्ष और पद्मश्री डॉ केके अग्रवाल का. ‘डॉक्टर्स डे’ के मौके पर उन्होंने मोनिका अग्रवाल के साथ बातचीत में कहा कि कोरोना काल में जब पूरी दुनिया के अधिकतर देशों के साथ-साथ पूरे भारत में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया और स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने की कवायद जारी कर दी गयी. स्वास्थ्य मंत्रालय विश्व स्वास्थ्य संगठन के संपर्क में आया, उनसे सुझाव मांगे और उसी तर्ज पर तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं, लेकिन सरकार और जनता के सामने समस्या अभी भी यही थी कि अगर मामले क्षमता से अधिक हुए तो क्या होगा?
ऐसे समय में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ आगे आये और कमान अपने हाथों में ले ली. डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ ने सरकार, विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वयं सेवी संस्थाओं और दूसरे क्षेत्रों के लोगों से स्वच्छता और पर्सनल हाइजीन पर विशेष ध्यान देने को कहा और इसके लिए एडवाइजरी जारी करवाई.
कोरोना वरियर्स डॉक्टरों के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी और अभी भी है कोविड-19 रोगियों का इलाज और जितना संभव हो सके लोगों की जान बचाना. वे इस काम में पूरी निष्ठा और समर्पण से जुड़े हैं. इन वरियर्स के सामने चुनौती खुद की रक्षा भी है, जिसके लिए वह पीपीई किट पहने रहते हैं, परंतु ऐसा कई बार देखा गया कि रोगी का इलाज करने वाले कई डॉक्टर, नर्स और स्टाफ कोरोना से संक्रमित हो गये और कुछ की तो जान भी चली गयी. ऐसे वक्त में जब हर व्यक्ति अपनी जान बचाने की जुगत में लगा है, यह वरियर्स दूसरों की जान बचाने के लिए रोज अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं.
इन वरियर्स के सामने गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य भी चिंता का विषय बना हुआ है. कोविड-19 का वायरस न सिर्फ गर्भवती महिला, बल्कि उसके गर्भ के लिए भी घातक हो सकता है, तो ऐसे समय में गर्भवती महिलाओं के लिए नि:शुल्क परामर्श का इंतजाम भी किया गया है. ऑनलाइन कंसल्टेशन द्वारा उनके हर सवाल और चिंता को सुलझाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. कई ऐसी घटनाएं सामने आयी हैं, जिनमें डॉक्टर्स ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया.
कोरोना काल में मानसिक बीमारियां भी सामने आ रही हैं. वैक्सीन अबतक नहीं बनने के कारण भी कई लोग डिप्रेशन में हैं. नकारात्मक विचार लोगों को मानसिक रूप से कमजोर कर रहे हैं. ऐसे समय में लोग डॉक्टर या मनोचिकित्सक का सहारा चाहते हैं और ये वरियर्स भी यही कोशिश कर रहे हैं कि कैसे लोगों के भीतर तनाव के स्तर को कम किया जाये और इसके लिए ऑनलाइन कांउसलिंग भी उपलब्ध करायी जाये.
Posted By : Rajneesh Anand
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.