कोलकाता (शिव कुमार राउत): कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने और लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने के लिए सरकार ने देश भर में वैक्सीनेशन अभियान चला रखा है. 134 करोड़ वैक्सीन की डोज अब तक लोगों को लग चुके हैं. तीसरी खुराक या बूस्टर डोज पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. लेकिन, पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्यकर्मी चोरी-छिपे वैक्सीन की तीसरी डोज लेने लगे हैं. इसके लिए बंगाल में एक अलग तरह का खेल चल रहा है.
बताया जा रहा है कि कोलकाता समेत अन्य कई जिलों में स्वास्थ्यकर्मी चोरी-छिपे तीसरी डोज लेने लगे हैं. ऐसा करनेवालों में ज्यादातर डॉक्टर हैं. तीसरी डोज लेने का सरकारी नियम नहीं है, लेकिन ये तिकड़म भिड़ाकर टीके लगवा ले रहे हैं. तीसरी खुराक लेने से पहले वे अपनी एंटीबॉडी की जांच कराते हैं.
अगर उन्हें लगता है कि शरीर में मानक के अनुरूप एंटीबॉडी नहीं बनी है, तो तीसरी डोज के जुगाड़ में लग जाते हैं. बता दें कि तकरीबन सभी अस्पतालों में कुछ वैक्सीन बर्बाद होती है. वैक्सीन के एक वायल से 10 लोगों को टीका लगता है, लेकिन हर वायल में 10% डोज अधिक होती है. यानी 11 डोज होती है. स्वास्थ्यकर्मी इस अतिरिक्त डोज को बर्बाद बता देते हैं और उसका इस्तेमाल खुद कर लेते हैं.
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वायल के अतिरिक्त एक डोज का किया जा रहा है इस्तेमाल
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100 से अधिक डॉक्टर अब तक ले चुके हैं तीसरी खुराक
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1500 से अधिक डॉक्टरों की बंगाल में हो चुकी है कोरोना से मौत
तीसरा टीका लेने का डाटा अधिकृत रूप से वेबसाइट पर दर्ज नहीं होता. सूत्रों के अनुसार, राज्य में 100 से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों ने तीसरी डोज ले ली है. लेकिन, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. यह भी प्रमाणित नहीं हुआ है कि तीसरी डोज सुरक्षित है या नहीं. आइसीएमआर (ICMR) ने अभी दो डोज की ही मंजूरी दी है.
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विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ एंटीबॉडी की जांच कराकर तीसरी डोज लेना खतरनाक हो सकता है. कभी-कभी एंटीबॉडी न भी बनी हो, तो टीके की दो डोज ले चुके लोगों के शरीर में कोरोना से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता आ जाती है.
महानगर में डॉक्टरों का एक वर्ग अनौपचारिक रूप से कोविशील्ड (Covishield) की तीसरी डोज ले रहे हैं. इन्हें डर है कि दो डोज लेने के नौ महीने से अधिक समय बाद उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जायेगी. एसोसिएशन ऑफ हॉस्पिटल्स ऑफ ईस्टर्न इंडिया (एएचइआइ) जल्दी ही स्वास्थ्यकर्मियों के लिए तीसरी डोज की मांग केंद्र से करने की योजना बना रहा है. इस संबंध में केंद्र सरकार को एक पत्र भी लिखा जायेगा.
उधर, एएमआरआइ हॉस्पिटल्स के सीइओ सह एएचईआई के अध्यक्ष रूपक बरुआ ने कहा है कि हमारे पास अभी स्टॉक में पर्याप्त वैक्सीन हैं, जिसका इस्तेमाल हमारे अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं की सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए.
इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (आइपीजीएमइआर) पीजी के प्रो डॉ दिप्तेंद्र सरकार ने बताया कि तीसरी खुराक का प्रभाव सुनिश्चित नहीं है. मौजूदा टीकों से बनी एंटीबॉडी की लंबी उम्र पर अब तक कोई सबूत नहीं है. टीके टीबी और मेमोरी कोशिकाएं भी उत्पन्न करते हैं, जो सुरक्षा प्रदान करती हैं. इसलिए यह साफ नहीं है कि क्या तीसरी डोज से कोई फर्क पड़ेगा या तीसरी लहर में यह प्रभावी होगा.
एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स के महासचिव प्रो डॉ मानस गुमटा ने बताया कि नौ महीने पहले चिकित्सकों का टीकाकरण हुआ था. ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर आम लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मी भी भयभीत हैं. यदि चिकित्सक ही सुरक्षित नहीं रहे, तो कोरोना से जंग हम कैसे जीतेंगे? इसलिए कई सरकारी और निजी अस्पतालों के कोरोना वार्ड में कार्य करने वाले चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्यकर्मी गुपचुप तरीके से वैक्सीन की तीसरी डोज लगवा रहे हैं.
सर्विस डॉक्टर फोरम के डॉ सपन विश्वास कहते हैं कि ने पश्चिम बंगाल में कोरोना से अब तक 1500 से अधिक चिकित्सकों की मौत हो चुकी है. हाल ही में वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके पैथोलॉजिस्ट डॉ देवजीत चटर्जी की मौत हुई है. इसलिए अब सरकार स्वास्थ्यकर्मियों को बूस्टर डोज लगाने पर विचार करे.
Posted By: Mithilesh Jha
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.