COVID 19 के कारण तीस लाख नि:संतान दंपति को नहीं मिल सका IVF तकनीक का लाभ, जानें कैसे किया जाता है उपचार
Due to COVID 19 three crore Infertile couples could not get the benefit of IVF technique : आईवीएफ तकनीक बांझपन के उपचार में काफी अहम है, आंकड़ों के अनुसार भारत में तीन करोड़ युगल ऐसे हैं जो संतान उत्पत्ति में असमर्थ हैं, लेकिन उनमें से केवल तीस लाख ही उपचार के माध्यम से संतान प्राप्त करने का भरोसा करते हैं.
आईवीएफ तकनीक बांझपन के उपचार में काफी अहम है, आंकड़ों के अनुसार भारत में तीन करोड़ युगल ऐसे हैं जो संतान उत्पत्ति में असमर्थ हैं, लेकिन उनमें से केवल तीस लाख ही उपचार के माध्यम से संतान प्राप्त करने का भरोसा करते हैं.
लेकिन वर्ष 2020 में कोविड-19 के अभूतपूर्व संकट के कारण लगाये गये लॉकडाउन ने भारत में तीस लाख निःसंतान दंपतियों के लिए बड़ी चुनौती पेश की. इस दौरान जो दंपती अपना उपचार कराना चाह रहे थे, वे उपचार से वंचित हो गये. अधिकांश दंपतियों को संतान प्राप्ति की अपनी योजना को स्थगित करना पड़ा और जो उपचार करा रहे थे, वे उसे पूरा न कर सके.
इस अवधि के दौरान उपचार के लिए आईवीएफ केंद्रों में आने वाले रोगियों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई. अप्रैल से जून तक भारत में लगभग ग्यारह सौ केंद्रों के डेटा विश्लेषण के अनुसार, आईवीएफ चक्रों से गुजरने वाले लोगों की संख्या में लगभग नब्बे प्रतिशत गिरावट देखी गई. हालांकि, जैसे-जैसे आईवीएफ केंद्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के साथ फिर से खुल गये हैं, मरीज उपचार के लिए वापस आना शुरू हो गए हैं.
विश्व आईवीएफ दिवस पर भारत सीरम और वैक्सीन के सहयोग से हील फाउंडेशन द्वारा आयोजित प्रजनन स्वास्थ्य ई-सम्मेलन को संबोधित करते हुए, विंग्स आईवीएफ ग्रुप्स के क्लिनिकल डायरेक्टर और इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी (आईएफएस) के गुजरात चैप्टर के सचिव, डॉ. जयेश अमीन ने कहा, “स्वाभाविक रूप से, मातृत्व एक ऐसा अनुभव है, जिसे पाने के लिए हर महिला तरसती है. गर्भाधान के लिए, कुछ महिलाएं असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) की सहायता लेती हैं. हालांकि, पिछले कई महीनों से चल रही कोविड-19 महामारी ने उन महिलाओं के लिए मां बनने की योजना को प्रभावित किया है, जो उपचार कराने की योजना बना रहीं थीं या जिनका आईवीएफ उपचार चल रहा था.”
जिन जोड़ों की उम्र अधिक हो गई है, उनके पास अपना उपचार कराने के लिए युवाओं जितना समय नहीं है, उनके लिए जल्दी से जल्दी अपना उपचार कराना बुद्धिमानी होगी. जोखिमों का अच्छी तरह मूल्यांकन करने के बाद स्वच्छ वातावरण में प्रक्रिया शुरू की जाती है. कोविड-19 के डर के कारण लोगों को अपना उपचार कराने में देरी नहीं करनी चाहिए.”
युवा भारतीयों के लिए बांझपन किसी महामारी से कम नहीं है. अधिक से अधिक युवा जोड़े बांझपन का उपचार कराना चाहते हैं. भारत में, बांझपन लगभग दस से पंद्रह प्रतिशत विवाहित जोड़ों को प्रभावित करता है. हमारे देश में तीन करोड़ बांझ दंपतियों में से, लगभग तीस लाख सक्रिय रूप से उपचार कराना चाहते हैं. शहरी आबादी में तो यह दर और भी अधिक है, जहां हर छह में से एक दंपति बांझपन से पीड़ित है और उपचार कराने के लिए परेशान है.
भारत सीरम और वैक्सीन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ संजीव नवांगुल ने कहा, “भारत में हर साल बांझपन का उपचार कराने वाले तीन करोड़ लोगों में से लगभग पांच लाख इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ (आईयूआई) उपचार कराना चाहते हैं. लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान, उन्हें कईं समस्याओं का सामना करना पड़ा. हालांकि हम, कोविड-19 के प्रकोप के बाद से ही भारत में प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. ऐसी स्थिति में, जागरूकता फैलाने के लिए प्रजनन स्वास्थ्य ई-सम्मेलन जैसा आयोजन बहुत आवश्यक है, और हम इस तरह की पहल का समर्थन करते हैं. ”
वर्तमान परिस्थितियों में, आईवीएफ उपचार के लिए आने वाले लोगों की संख्या में काफी गिरावट आयी है. भारत में लगभग दो हजार आईवीएफ केंद्रों में से जून के अंत तक खुलने वाले केंद्रों की संख्या आठ सौ से भी कम है. मुंबई के पश्चिमी ठाणे स्थित संतति आईवीएफ ट्रीटमेंट एंड फर्टिलिटी सेंटर की बांझपन और स्त्रीरोग विशेषज्ञ, डॉ. स्वाति डोंगरे ने बताया, “आईवीएफ चक्र शुरू करने के लिए योजना बनाकर कुछ महीनों के लिए तैयारी करनी पड़ती है. कोविड-19 संकट, उसके कारण होने वाले लॉकडाउन उपायों ने अचानक हमारी दुनिया बदल दी है. इसके कारण आईवीएफ चक्र या उपचार को कैंसिल करना पड़ा. आखिरकार, लॉकडाउन में छूट दे दी गई है, फिर भी यात्राओं पर प्रतिबंध है, सार्वजनिक परिवहन सुविधाएं उपलब्ध नहीं है, कुछ स्थानों पर अभी भी लॉकडाउन का विस्तार है. इसके चलते अभी भी या तो उपचार को न कराने या जारी न रखने के निर्णय लिए जा रहे हैं.”
कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य सेवा के लिए समर्पित समूह, हील फाउंडेशन ने अपने ‘स्वास्थ्य जागरूकता’ मुहिम में ‘प्रजनन स्वास्थ्य – ई-सम्मेलन’ आयोजित किया था, जिसमें इन बातों का खुलासा हुआ. इस ई-सम्मेलन का आयोजन विश्व आईवीएफ दिवस के उपलक्ष्य में भारत सीरम एंड वैक्सीन लिमिटेड के सहयोग से किया गया था. इसे ‘भारत में प्रजनन स्वास्थ्य’ के विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों की राय लेने के लिए आयोजित किया गया था. इस ई-सम्मेलन में देशभर के दस प्रजनन स्वास्थ्य और आईवीएफ विशेषज्ञों ने वक्ता के रूप में भाग लिया.
Posted By : Rajneesh Anand
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.