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जरूरत से ज्यादा सख्ती बच्चों की मानसिकता पर कर रही गहरा असर, पेरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान

गलती करने पर बच्चों को डांटना ठीक है, इससे उन्हें अपनी गलतियों का एहसास होगा लेकिन, कुछ माता पिता बच्चों के साथ बहुत ज्यादा सख्त हो जाते हैं जो बच्चे के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है. इसका सीधा असर उनके मानसिक स्वास्य पर पड़ता है.

कई बार माता- पिता बच्चों को अनुशासन के दायरे में रखने के लिए उनके साथ सख्ती से पेश आते हैं. आप जिस तरीके से बच्चे की परवरिश करते हैं और बच्चे के साथ जैसा व्यवहार करते हैं आगे चलकर बच्चे की आदत भी उसी तरह की हो जाती है. गलती करने पर बच्चों को डांटना ठीक है, इससे उन्हें अपनी गलतियों का एहसास होगा लेकिन, कुछ माता पिता बच्चों के साथ बहुत ज्यादा सख्त हो जाते हैं जो बच्चे के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है. इसका सीधा असर उनके मानसिक स्वास्य पर पड़ता है. एक सर्वे में ये पाया गया है कि मां-बाप के जरूरत से ज्यादा सख्त रवैये से ज्यादातर तीन, पांच और नौ साल की उम्र के बच्चों में खराब मानसिक स्वास्थ्य का अत्यधिक जोखिम है.

भरोसे की कमी – अगर आप भी अपने बच्चों से जुड़े हर फैसले खुद लेने पर विश्वास करते हैं तो अपनी ये आदत बदल डालिए. बच्चों से जुड़े हर फैसले में उनकी राय भी लोनी जरूरी है ऐसा नहीं करने पर उनमें अपनी इच्‍छाओं और भावनाओं को पहचानने में दिक्‍कत होने लगती है. इसके अलावा ऐसे बच्चे खुद पर भी आसानी से भरोसा नहीं कर पाते हैं.

नई चीजें नहीं अपनाना – सख्त माहौल में पल रहे बच्चें अलग-अलग परिस्थितियों में भी एक ही तरह का व्‍यवहार करते हैं. इतना ही नहीं ये बच्चे आत्मविश्वास की कमी होने की वजह से नए-नए एक्‍सपेरिमेंट करने से भी हिचकिचाते हैं. कोई भी नई चीजों को अपनाने में ये असहज महसूस करते हैं.

आत्‍मविश्‍वास में कमी – बच्चों के साथ जरूरत से ज्यादा सख्ती करने पर उनके विकास पर बुरा असर पड़ने लगता है. ऐसे बच्चों में आत्‍मविश्‍वास में कमी रहती है, जिनके पेरेंट्स उनकी बात सुने बिना ही उन पर अपनी मर्जी थोप देते हैं. ऐसे बच्चों को यह लगता है कि उनके खुद के विचारों की कोई अहमियत नहीं है और वो अपने हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं. इनका कॉन्फिडेंस् लो हो जाता है. और ये बच्चें दूसरे तो क्या खुद पर भरोसा करने से भी डरते हैं.

कुछ माता-प‍िता बच्‍चे की परवर‍िश में जरूरत से ज्यादा सख्ती से पेश आते हैं, ऐसे बच्‍चों की मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य बुरी तरह से खराब होती है जिनमें ये बातें शामिल है.

  • बच्‍चे की बात को नजरअंदाज करने से उसके मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा असर पड़ सकता है.

  • बच्‍चे को ज्यादा करीब रखने से भी उसका मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य ब‍िगड़ सकता है इससे बच्‍चे को च‍िड़च‍िड़ापन हो सकता है.

  • अगर आप बच्‍चे को ज्‍यादा समय नहीं दे पाते तो उसके साथ कम से कम दिन भर में कुछ देर जरूर बात करें, इससे बच्‍चे को अकेलापन महसूस नहीं होगा.

  • अगर बच्‍चे को रोज डांटते हैं तो उसका मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य खराब हो सकता है.

  • ज‍िन बच्‍चों के माता-प‍िता में झगड़े होते हैं उन बच्‍चों का भी मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य ब‍िगड़ सकता है.

  • अगर आप बड़े होने के कारण बच्‍चे से ज्‍यादा सख्‍त व्‍यवहार करते हैं तो भी बच्‍चे का मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य ब‍िगड़ सकता है.

  • जो माता-प‍िता बच्‍चे को समय नहीं देते उन बच्‍चों का मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य भी ब‍िगड़ सकता है.

बच्‍चों में अनुशासन बनाए रखने के लिए ये जरूरी नहीं है कि आप उस पर हर वक्त सख्ती बरतें. कई ऐसी चीजें, बातें जिन्हें अपना कर आप अपने बच्चे के दिमाग में सही चीजें डाल सकते हैं. बच्चों का मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर करने के ल‍िए इन बातों को फॉलो करें-

  • बच्‍चों से बात करने के ल‍िए आपको उन्‍हीं की भाषा का इस्‍तेमाल करना होगा, यानी आसान शब्‍दों में प्‍यार से बच्‍चे की परेशानी जानें

  • उसकी आदतों और उसकी पसंद की चीजों में आप भी ह‍िस्‍सा लें, जैसे बच्‍चे को कोई खेल या एक्‍ट‍िव‍िटी पसंद है तो आप भी उसके साथ भाग लें

  • डर बनाने के ल‍िए बच्‍चे को हर समय डांटना नहीं चाहिए, इससे बच्‍चे डरने लगते हैं और खुलकर अपने मन की बात नहीं कह पाते, इसल‍िए बच्‍चे को डांटने के बजाय प्‍यार से समझाएं

  • बच्‍चा क‍िसी चीज को लेकर ज‍िद्द करता है तो उसे डांटने के बजाय उस चीज के नुकसान और फायदों के बारे में बताएं. इससे वो सही गलत का फर्क अच्छे से समझ पाएगा.

  • पढ़ाई के लिए दबाव बनाना या कम मार्क्स आने पर डांटना-फटकारना नहीं चाहिए. इससे बच्चा खुद को कम समझता है और जीवन में खुद को दूसरों से पीछे मान लेता है.

डिस्क्लेमर : दी गई जानकारी इंटरनेट से ली गई है. प्रभात खबर डॉट कॉम दिये गए किसी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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