Eyesight Worse During Lockdown, Screen Time And Eyesight, Health News: भारतीय लोग इस समय सबसे अधिक आंख की रोशनी कमजोर होने की समस्या से जूझ रहे है. इसके पीछे मुख्य कारण लॉकडाउन और कोरोना वायरस बताया जा रहा है. दरअसल, इस दौरान बच्चों, व्यस्कों से लेकर बुजूर्गों तक का अधिक समय कंप्यूटर-मोबाइल व अन्य गैजेट में पढ़ाई, काम से लेकर मनोरंजन तक में गुजर रहा है. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत की आबादी का 23 प्रतिशत यानी करीब 27.5 करोड़ लोग आंख की रोशनी की कमजोरी से जूझ रहे है…
टाइम्स ग्रुप के रिपोर्ट में एक अध्ययन के हवाले से छापा गया है कि लॉकडाउन के दौरान बढ़े स्क्रीन टाइम के अलावा मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और बढ़ते उम्र भी आंखों की रोशनी के कमजोर होने के कारण है.
बड़ी बात है कि भारत में एक व्यक्ति का औसतन स्क्रीन टाइम 6 घंटे 36 मिनट पाया गया है, जो बाकि देशों के मुकाबले काफी कम है, बावजूद इसके भारत में इससे आंखों के प्रभावित होने की संख्या अधिक है. हालांकि, करीब एक दर्जन ऐसे भी देश है जहां औसतन स्क्रीन टाइम भारत से ज्यादा है. इनमें फिलीपींस, ब्राजील, साउथ अफ्रिका, यूएस, न्यूजीलैंड समेत अन्य देश शामिल है.
आपको बता दें कि फिलीपींस में 10 घंटे 56 मिनट, ब्राजील में 10 घंटे 08 मिनट, साउथ अफ्रिका में 10 घंटे 06 मिनट, यूएस में 7 घंटे 11 मिनट, न्यूजीलैंड में 6 घंटे 39 मिनट का समय लोग दिनभर में स्क्रीन को देते है. हालांकि, आपको बता दें कि भारत से ज्यादा इन देशों के औसतन स्क्रीन टाइम होने के बावजूद यहां के लोग ज्यादा आंखों की रोशनी के कमजोर होने की समस्या से जूझ रहे है. इसका कारण यहां की ज्यादा आबादी भी है.
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यूके फिल गुड की रिपोर्ट का दावा है कि कोरोना काल में हुए लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के कारण ज्यादातर लोगों का समय घर में गुजर रहा है. ऐसे में या तो उन्हें पढ़ाई के लिए, काम के लिए या इंटरटेनमेंट के लिहाज से अपना ज्यादा समय टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर या अन्य गैजेट्स के साथ गुजारना पड़ रहा है.
आपको बता दें कि यूके फिल गुड की यह रिपोर्ट का माध्यम विभिन्न श्रोत है. इनमें से लैंसेंट ग्लोबल हेल्थ, डब्ल्यूएचओ और स्क्रीनटाइम ट्रैक्टर डाटारिपोर्टल के आंकड़ें भी शामिल है.
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रिपोर्ट के अनुसार आबादी भी बड़ा फैक्टर है. दरअसल, इस रिपोर्ट के अनुसार चाइना का ओवरऑल स्क्रीन टाइम भारत व अन्य देशों से काफी कम है. लेकिन, आंखों की रोशनी से जूझ रहे लोगों की संख्या ज्यादा है. ऐसा इसलिए क्योंकि चीन की आबादी काफी ज्यादा भारत की तरह.
Posted By: Sumit Kumar Verma
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.